एनआरसी लागू करेगा मणिपुर

एनआरसी लागू करेगा मणिपुर

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Published on: August 10, 2022

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मणिपुर विधानसभा ने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) को लागू करने और राज्य जनसंख्या आयोग (SPC) की स्थापना करने का संकल्प लिया है।

यह निर्णय तब लिया गया है जब कम-से-कम 19 शीर्ष आदिवासी संगठनों ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर NRC लागू करने और अन्य सुधारों की मांग की ताकि स्थानीय लोगों को "गैर-स्थानीय निवासियों की बढ़ती संख्या" से बचाया जा सके।

राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर:

‘राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर’ (NRC) प्रत्येक गाँव के संबंध में तैयार किया गया एक रजिस्टर होता है, जिसमें घरों या जोतों को क्रमानुसार दिखाया जाता है और इसमें प्रत्येक घर में रहने वाले व्यक्तियों की संख्या एवं नाम का विवरण भी शामिल होता है।

यह रजिस्टर पहली बार भारत की वर्ष 1951 की जनगणना के बाद तैयार किया गया था और हाल ही में इसे अपडेट भी किया गया है।

इसे अभी तक केवल असम में ही अपडेट किया गया है और सरकार इसे राष्ट्रीय स्तर पर भी अपडेट करने की योजना बना रही है।

उद्देश्य: इसका उद्देश्य ‘अवैध’ अप्रवासियों को ‘वैध’ निवासियों से अलग करना है।

नोडल एजेंसी: महारजिस्ट्रार एवं जनगणना आयुक्त, ‘राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर’ के लिये नोडल एजेंसी है।

मणिपुर में एनआरसी के लिये प्रयत्न:

मणिपुर विधानसभा में प्रस्तुत आँकड़ों के अनुसार, मणिपुर की जनसंख्या में वर्ष 1971 से वर्ष 2011 तक उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो गैर-भारतीयों विशेष रूप से म्याँमार के नागरिकों जिनमें मुख्यतः कुकी-चिन समुदाय हैं, के आने की प्रबल संभावना की ओर इशारा करती है।

कुकी-चिन समूहों के अलावा एनआरसी समर्थक समूहों ने "बांग्लादेशियों" और म्याँमार के मुसलमानों की पहचान की है, जिन्होंने "जिरीबाम के निर्वाचन क्षेत्र पर कब्ज़ा कर लिया है तथा वे घाटी के इलाकों में फैले हुए हैं", साथ ही नेपाली (गोरखा) जिनकी "अत्यधिक संख्या में वृद्धि हुई है" को "बाहरी" के रूप में पहचाना गया है।"

पूर्वोत्तर राज्य "बाहरी" "विदेशियों" या "विदेशी संस्कृतियों" के बारे में अपने संख्यात्मक रूप से कमज़ोर स्वदेशी समुदायों को बाहर निकाले जाने को लेकर बौखलाए हुए हैं।

तीन प्रमुख जातीय समूहों की आबादी वाला मणिपुर भी अलग नहीं है।

ये जातीय समूह गैर-आदिवासी मैतेई लोग, आदिवासी नगा तथा कुकी-ज़ोमी समूह हैं।

इन तीन समूहों के बीच संघर्ष का इतिहास रहा है लेकिन NRC के मुद्दे ने मेती और नगाओं को एक साथ ला दिया है।

उनका कहना है कि एनआरसी आवश्यक है क्योंकि फरवरी 2021 में सैन्य तख्तापलट के कारण पड़ोसी म्याँमार में राजनीतिक संकट ने राज्य में अपनी 398 किलोमीटर की सीमा से सैकड़ों लोगों को जाने के लिये मजबूर कर दिया है।

जो लोग वहाँ से पलायन कर या पलायन कर रहे हैं उनमें से अधिकांश कुकी-चिन समुदायों से संबंधित हैं, जो मणिपुर में कुकी-ज़ोमी लोगों के साथ-साथ मिज़ोरम के मिज़ो से जातीय रूप से संबंधित हैं।

मणिपुर में अन्य सुरक्षात्मक तंत्र:

दिसंबर 2019 में अरुणाचल प्रदेश, मिज़ोरम और नगालैंड के बाद मणिपुर इनर-लाइन परमिट (ILP) प्रणाली के तहत लाने वाला चौथा पूर्वोत्तर राज्य बन गया।

‘बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन एक्ट, 1873’ के तहत कार्यान्वित ‘इनर-लाइन परमिट’ एक आधिकारिक यात्रा दस्तावेज़ होता है, जो कि एक सीमित अवधि के लिये संरक्षित/प्रतिबंधित क्षेत्र में भारतीय नागरिकों को जाने अथवा रहने की अनुमति देता है।

बांग्लादेश (पूर्वी पाकिस्तान), म्याँमार और नेपाल से "आप्रवासियों की घुसपैठ" को चिह्नित करते हुए, संगठनों द्वारा मणिपुर के लिये एक पास या परमिट प्रणाली शुरू की गई, जिसे नवंबर 1950 में समाप्त कर दिया गया

जून 2021 में मणिपुर सरकार ने ILP के उद्देश्य के लिये "मूल निवासियों" की पहचान हेतु आधार वर्ष के रूप में 1961 को मंज़ूरी दी।

अधिकांश समूह इस कट-ऑफ वर्ष से खुश नहीं हैं और 1951 को NRC अभ्यास के लिये कट-ऑफ वर्ष के रूप में मानते हैं।

वर्ष 2021 से गृह मंत्रालय (MHA) ने म्याँमार से भारत में अवैध घुसपैठ को रोकने के लिये नगालैंड, मणिपुर, मिज़ोरम, अरुणाचल प्रदेश में सीमा सुरक्षा बल (BGF) अर्थात् असम राइफल्स को तैनात किया।

इसी तरह के निर्देश अगस्त 2017 और फरवरी 2018 में भी जारी किये गए थे।

पूर्वोत्तर में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) की स्थिति:

असम इस क्षेत्र का एकमात्र राज्य है जिसने किसी व्यक्ति की नागरिकता के लिये कट-ऑफ तिथि के रूप में 24 मार्च, 1971 के साथ वर्ष 1951 के NRC को अद्यतित करने की कवायद शुरू की।

जून 2019 नगालैंड ने भी नगालैंड के स्थानीय नागरिकों का रजिस्टर (RIIN) नामक एक समान प्रयास किया, ताकि मुख्य रूप से गैर-स्वदेशी नगाओं में से स्वदेशी ागाओं को पहचाना जा सके।

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