भारत और ओमान : सहयोग का कार्यक्रम

भारत और ओमान : सहयोग का कार्यक्रम

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Published on: March 26, 2022

खबरों में क्यों?

हाल ही में भारत और ओमान ने वर्ष 2022-2025 की अवधि के लिये विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग कार्यक्रम (POC) पर हस्ताक्षर किये।

ओमान सरकार और भारत सरकार के बीच 5 अक्टूबर, 1996 को विज्ञान और प्रौद्योगिकी में सहयोग हेतु किये समझौते के अनुरूप 2022-2025 की अवधि के लिये विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग को लेकर पीओसी पर हस्ताक्षर किये गए।

सहयोग कार्यक्रम (POC):

  • औषधीय पौधे और प्रसंस्करण।
  • वास्तविक समय में वायु गुणवत्ता निगरानी।
  • आनुवंशिक संसाधनों के क्षेत्र में ज्ञान साझा करने के लिये एक इलेक्ट्रॉनिक मंच का विकास।
  • सस्टेनेबिलिटी (इको-इनोवेट) एक्सेलेरेटर के क्षेत्र में छोटे एवं मध्यम आकार के उद्यमों (SMEs) के लिये तकनीकी विशेषज्ञता।
  • प्लास्टिक जैव-ईंधन और जैव-डीज़ल अनुसंधान (उदाहरण: निम्न-तापमान पर जैव-डीज़ल उत्पादन।
  • उच्च मूल्य के उत्पादों का निष्कर्षण।
  • उद्योग को शिक्षा से जोड़ने वाले स्नातक कार्यक्रमों के लिये सॉफ्टवेयर का विकास।
  • ब्लॉकचेन और फिनटेक समाधान।
  • प्रशिक्षण कार्यक्रम- बिग-डेटा, कोडिंग और परीक्षण, एसटीईएम शिक्षण तथा  विज्ञान और प्रौद्योगिकी  से जुड़े अन्य क्षेत्र।

POC दस्तावेज़ के उद्देश्य:

दोनों देशों की भारतीय और ओमान संस्थानों द्वारा संयुक्त रूप से पारस्परिक हित पर आधारित संयुक्त वैज्ञानिक परियोजनाओं का समर्थन करना।

प्रौद्योगिकी विकसित करने के उद्देश्य से चयनित संयुक्त परियोजनाओं के कार्यान्वयन हेतु वैज्ञानिकों, शोधकर्त्ताओं तथा विशेषज्ञों के आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करना।

इससे अनुसंधान परिणामों का प्रसार होगा तथा अनुसंधान और विकास कार्यों के लिये उद्योगों के साथ संपर्क स्थापित होगा।

वैकल्पिक रूप से भारत और ओमान में वर्ष 2022 से 2025 की अवधि के दौरान पारस्परिक रूप से स्वीकार्य क्षेत्रों में प्रतिवर्ष कम-से-कम एक कार्यशाला आयोजित की जाएगी ।

भारत-ओमान संबंध के प्रमुख बिंदु:

भूमिका:

अरब सागर के दोनों देश एक-दूसरे से भौगोलिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से जुड़े हुए हैं तथा दोनों के बीच सकारात्मक एवं सौहार्दपूर्ण संबंध हैं, जिसका श्रेय ऐतिहासिक समुद्री व्यापार संबंधों को दिया जाता है।

सल्तनत ऑफ ओमान (ओमान), खाड़ी देशों में भारत का रणनीतिक साझेदार है और खाड़ी सहयोग परिषद (Gulf Cooperation Council- GCC), अरब लीग तथा हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (Indian Ocean Rim Association- IORA) के लिये एक महत्त्वपूर्ण वार्ताकार है।

दिवंगत सुल्तान, काबूस बिन सईद अल सैद को भारत और ओमान के बीच संबंधों को मज़बूत करने तथा खाड़ी क्षेत्र में शांति को बढ़ावा देने के उनके प्रयासों को मान्यता देने हेतु गांधी शांति पुरस्कार 2019 दिया गया था।

रक्षा संबंध:

 संयुक्त सैन्य सहयोग समिति (JMCC):

JMCC रक्षा के क्षेत्र में भारत और ओमान के बीच जुड़ाव का सर्वोच्च मंच है।

JMCC की बैठक प्रतिवर्ष आयोजित होती है, लेकिन वर्ष 2018 में ओमान में आयोजित JMCC की 9वीं बैठक के बाद से इसका आयोजन नहीं किया जा सका।

सैन्य अभ्यास:

थल सेना अभ्यास: अल नागाह

वायु सेना अभ्यास:  ईस्टर्न ब्रिज

नौसेना अभ्यास: नसीम अल बह्र

आर्थिक और वाणिज्यिक संबंध:

ओमान के साथ भारत अपने आर्थिक और वाणिज्यिक संबंधों के विस्तार को उच्च प्राथमिकता देता है। संयुक्त आयोग की बैठक (JCM) तथा संयुक्त व्यापार परिषद (JBC) जैसे संस्थागत तंत्र भारत व ओमान के बीच आर्थिक सहयोग को मज़बूती प्रदान करते हैं।

भारत, ओमान के शीर्ष व्यापारिक भागीदारों में से एक है।

भारत, ओमान के लिये आयात का तीसरा सबसे बड़ा (UAE और चीन के बाद) स्रोत और वर्ष 2019 में इसके गैर-तेल निर्यात के लिये तीसरा सबसे बड़ा बाज़ार (UAE और सऊदी अरब के बाद) था।

प्रमुख भारतीय वित्तीय संस्थानों की ओमान में उपस्थिति है। भारतीय कंपनियों ने ओमान में लोहा और इस्पात, सीमेंट, उर्वरक, कपड़ा आदि क्षेत्रों में निवेश किया है।

भारत-ओमान संयुक्त निवेश कोष (OIJIF) जो भारतीय स्टेट बैंक और ओमान के स्टेट जनरल रिज़र्व फंड (SGRF) के बीच एक संयुक्त उपक्रम है तथा भारत में निवेश करने के लिये एक विशेष प्रयोजन वाहन है, का संचालन किया गया है।

ओमान में भारतीय समुदाय:

ओमान में करीब 6.2 लाख भारतीय रहते हैं, जिनमें से करीब 4.8 लाख कर्मचारी और पेशेवर हैं। ओमान में 150-200 से अधिक वर्षों से भारतीय परिवार रह रहे हैं।

यहाँ कई ऐसे भारतीय स्कूल हैं जो लगभग 45,000 भारतीय बच्चों की शैक्षिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये सीबीएसई (CBSE) पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं।

भारत के लिये ओमान का सामरिक महत्त्व:

ओमान होर्मुज़ जलडमरूमध्य के प्रवेश द्वार पर है, जिसके माध्यम से भारत अपने तेल आयात के पाँचवें हिस्से का आयात करता है।

भारत-ओमान रणनीतिक साझेदारी की मज़बूती के लिये रक्षा सहयोग एक प्रमुख स्तंभ के रूप में उभरा है। दोनों देशों के बीच रक्षा आदान-प्रदान एक ‘समझौता ज्ञापन’ फ्रेमवर्क द्वारा निर्देशित होते हैं जिसे हाल ही में वर्ष 2021 में नवीनीकृत किया गया था।

ओमान, खाड़ी क्षेत्र का एकमात्र ऐसा देश है, जिसके साथ भारतीय सशस्त्र बलों की तीनों सेनाएँ नियमित रूप से द्विपक्षीय अभ्यास और स्टाफ वार्ता आयोजित करती हैं, जिससे पेशेवर स्तर पर घनिष्ठ सहयोग और विश्वास को बल मिलता है।

ओमान ‘हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी’ (IONS) में भी सक्रिय रूप से भाग लेता है।

हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति का विस्तार करने हेतु एक रणनीतिक कदम के रूप में भारत ने सैन्य उपयोग और रसद समर्थन हेतु ओमान में दुकम के प्रमुख बंदरगाह तक पहुँच हासिल कर ली है। यह इस क्षेत्र में चीन के प्रभाव एवं गतिविधियों का मुकाबला करने हेतु भारत की समुद्री रणनीति का हिस्सा है।

दुकम बंदरगाह ओमान के दक्षिण-पूर्वी समुद्र तट पर स्थित है।

यह रणनीतिक रूप से ईरान में चाबहार बंदरगाह के निकट स्थित है। मॉरीशस में सेशेल्स और अगालेगा में विकसित किये जा रहे ‘अज़म्पशन द्वीप’ के साथ दुकम भारत के सक्रिय समुद्री सुरक्षा रोडमैप में सही बैठता है।

आगे की राह:

भारत के पास अपनी वर्तमान या भविष्य की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये पर्याप्त ऊर्जा संसाधन नहीं हैं। तेज़ी से बढ़ती ऊर्जा मांग ने ओमान जैसे देशों की दीर्घकालिक ऊर्जा साझेदारी की आवश्यकता में योगदान दिया है।

ओमान का दुकम पोर्ट पूर्व में पश्चिम एशिया के साथ जुड़ने वाला अंतर्राष्ट्रीय शिपिंग लेन के मध्य में स्थित है।

भारत को दुकम पोर्ट औद्योगिक शहर के उपयोग के लिये ओमान के साथ जुड़ने और पहल करने की आवश्यकता है। 

भारत को इस क्षेत्र में रणनीतिक उपस्थिति बढ़ाने और हिंद महासागर के पश्चिमी और दक्षिणी हिस्से में अपनी इंडो-पैसिफिक नीति को बढ़ावा देने के लिये ओमान के साथ मिलकर काम करना चाहिये।

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