बंदूक नियंत्रण कानून

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Published on: June 03, 2022

स्रोत: द हिंदू

खबरों में क्यों?

चर्चा में क्यों ? 

हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका में पिछले 11 दिनों की अवधि के दौरान सामूहिक गोलीबारी की दो घटनाएँ हुईं, जिसमें प्राथमिक विद्यालय के बच्चों सहित 30 से अधिक लोग मारे गए। 

अमेरिका में वर्ष 2020 में कुल 24,576 हत्याएँ दर्ज की गईं, जिनमें से लगभग 79%,(19,384) मौतें गोलीबारी की वजह से हुई हैं। 

अमेरिका में शस्त्रों का विनियमन संघ, राज्य और स्थानीय सरकारों के मध्य विद्यमान साझा प्राधिकरण के माध्यम से किया जाता है। 

अमेरिका के  सर्वोच्च न्यायालय ने पहले माना था कि अमेरिकी संविधान का दूसरा संशोधन आत्मरक्षा के लिये "हथियार रखने और धारण करने" के अधिकार की रक्षा करता है, जबकि संघीय न्यायालयों ने संभावित उल्लंघन के संदर्भ में तर्क दिया है कि संघीय, राज्य और स्थानीय नियम इस अधिकार को बाधित करते हैं। 

भारत में शस्त्र नियंत्रण कानून: 

शस्त्र अधिनियम, 1959: 

परिचय: इसका उद्देश्य भारत में हथियारों और गोला-बारूद के अधिग्रहण, कब्ज़े, निर्माण, बिक्री, आयात, निर्यात और परिवहन से संबंधित सभी पहलुओं को शामिल करना है। 

भारत में बंदूक लाइसेंस प्राप्त करने के लिये अहर्ताएँ: 

भारत में बंदूक लाइसेंस प्राप्त करने के लिये न्यूनतम आयु सीमा 21 वर्ष है। 

आवेदन करने से पांँच वर्ष पूर्व आवेदक को हिंसा या नैतिकता से जुड़े किसी भी अपराध का दोषी नहीं ठहराया गया हो, 'विकृत दिमाग' का न हो, न ही सार्वजनिक सुरक्षा और शांति के लिये खतरा हो। 

संपत्ति योग्यता बंदूक लाइसेंस प्राप्त करने के लिये एक मानदंड नहीं है। 

एक आवेदन प्राप्त होने पर लाइसेंसिंग प्राधिकरण (अर्थात, गृह मंत्रालय), निकटतम पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी को निर्धारित समय के भीतर पूरी तरह से जांँच के बाद आवेदक के बारे में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिये कहता है। 

अधिनियम की अन्य विशेषताएंँ: 

यह 'निषिद्ध हथियार' को उन हथियारों के रूप में परिभाषित करता है जो या तो कोई भी हानिकारक तरल या गैस छोड़ते हैं, या ऐसे हथियार जिन्हें चलाने के लिये ट्रिगर दबाने की आवश्यकता होती है 

यह फसल सुरक्षा या खेल के लिये कम-से-कम 20 इंच के बैरल के साथ चिकनी बोर गन के उपयोग की अनुमति देता है। 

किसी भी संस्था कोे ऐसी बंदूक को बेचने या स्थानांतरित करने की अनुमति नहीं है, जिस पर निर्माता का नाम, निर्माता का नंबर या कोई अन्य दृश्यमान मुहर या पहचान चिह्न नहीं लगी हो। 

आयुध अधिनियम में संशोधन: 

वर्ष 2019 में संशोधित शस्त्र अधिनियम एक व्यक्ति द्वारा खरीद की जा सकने वाली बंदूकों की संख्या को 3 से घटाकर 2 कर सकता है। 

लाइसेंस की वैधता को वर्तमान 3 वर्ष से बढ़ाकर 5 वर्ष कर दिया गया है। 

यह सामाजिक सद्भाव सुनिश्चित करने के लिये लाइसेंस प्राप्त हथियारों के उपयोग को कम करने के लिये विशिष्ट प्रावधानों को भी सूचीबद्ध करता है। 

सज़ा: बिना लाइसेंस के प्रतिबंधित गोला-बारूद के अधिग्रहण, कब्ज़े या ले जाने के अपराध के लिये जुर्माने के साथ-साथ कारावास की सज़ा को 7 से 14 वर्ष के बीच बढ़ा दिया गया है। 

यह बिना लाइसेंस के बंदूकों की एक श्रेणी को दूसरी श्रेणी में बदलने पर रोक लगाता है। 

गैरकानूनी निर्माण, बिक्री और हस्तांतरण के लिये कम-से-कम सात साल की कैद की सज़ा दी जा सकती है, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है, साथ ही जुर्माना भी।  

आगे की राह:

एक तरीका यह है कि सख्त बंदूक नियंत्रण लागू किया जाए और सख्त रूप से प्रतिबंधित किया जाए कि कौन हथियार खरीद सकता है या उसका मालिक कौन है। इस संबंध में अमेरिकी कानून बहुत लचीले और उदार हैं। 

भारत को भी बंदूको के अधिग्रहण और कब्ज़े से संबंधित कानूनों की समीक्षा करने और उन्हें सख्त करने की आवश्यकता है।

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