फ्लोटिंग रेट ऋण

फ्लोटिंग रेट ऋण

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Published on: August 17, 2023

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने  पारदर्शिता बढ़ाने और फ्लोटिंग रेट ऋणों के लिये समान मासिक किस्तों (Equated Monthly Installments- EMI) को पुनर्व्यवस्थित करने के लिये उचित नियम स्थापित करने हेतु एक व्यापक ढाँचा प्रस्तुत किया है।

इसका उद्देश्य उधारकर्त्ताओं की चिंताओं को दूर करना तथा वित्तीय संस्थानों के उचित व्यवहार को सुनिश्चित करना है।

फ्लोटिंग रेट ऋण:

फ्लोटिंग रेट ऋण ऐसे ऋण होते हैं जिनकी ब्याज दर बेंचमार्क दर या आधार दर/बेस रेट के आधार पर समय-समय पर बदलती रहती है।

आधार दर/बेस रेट वह दर है जिस पर भारतीय रिज़र्व बैंक वित्तीय संस्थानों को पैसा उधार देता है, यह दर बाज़ार द्वारा प्रभावित होती है और रेपो रेट इसका सबसे सामान्य उदाहरण है।

फ्लोटिंग रेट ऋण को परिवर्तनीय अथवा समायोज्य-दर ऋण के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि ये ऋण की अवधि के अनुसार भिन्न-भिन्न हो सकते हैं।

क्रेडिट कार्ड, बंधक/गिरवी रखी वस्तुओं और अन्य उपभोक्ता ऋणों के लिये फ्लोटिंग रेट ऋण बहुत आम हैं।

यदि भविष्य में ब्याज दरों में गिरावट का अनुमान है तो उधारकर्त्ताओं को फ्लोटिंग रेट ऋण से लाभ होता है।

इसके विपरीत एक निश्चित ब्याज दर वाले ऋण के लिये उधारकर्त्ता को ऋण अवधि के दौरान निर्धारित किश्तों का भुगतान करना पड़ता है। यह अर्थव्यवस्था में उतार-चढ़ाव के समय अधिक सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करता है।

नए पारदर्शी ढाँचे की आवश्यकता:

मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने के प्रयास में RBI रेपो दरें बढ़ाता रहा है। रेपो दरों में वृद्धि के साथ फ्लोटिंग दरें भी बढ़ जाती हैं। इसका आशय है कि उधारकर्त्ताओं को अधिक EMI भुगतान करना पड़ सकता है।

यह पाया गया है कि अधिक EMI मांगने के बजाय कुछ बैंक उधारकर्त्ता को सूचित किये बिना ऋण की अवधि बढ़ा रहे हैं।

इससे ऋण के पुनर्भुगतान में अनावश्यक रूप से अधिक समय लग रहा है तथा यह उधारकर्त्ताओं की उचित सहमति के बिना हो रहा है।

उधारकर्त्ताओं को इंटरनल बेंचमार्क रेट (Internal Benchmark Rate) में बदलाव और ऋण की अवधि के दौरान होने वाली क्षति से बचाना।

उधारकर्त्ताओं द्वारा सामना किये जाने वाले मुद्दों जैसे- फोरक्‍लोज़र चार्ज (Foreclosure Charges), स्विचिंग ऑप्शन (Switching Options) और प्रमुख नियमों एवं शर्तों के बारे में जानकारी की कमी का समाधान करना।

RBI द्वारा प्रस्तावित ढाँचे की विशेषताएँ:

ऋणदाताओं को अवधि और/या EMI के पुनः निर्धारण हेतु उधारकर्त्ताओं के साथ स्पष्ट रूप से संवाद करना चाहिये।

RBI ने ऋणदाताओं से कहा है कि वे जब भी चाहें उधारकर्त्ताओं को फिक्स्ड-रेट होम लोन (Fixed-Rate Home Loans) पर स्विच करने या ऋण को फोरक्‍लोज़र (Foreclosure) करने का विकल्प प्रदान कर सकते हैं।

बैंकों को इन विकल्पों के प्रयोग से जुड़े विभिन्न शुल्कों के बारे में पहले से ही उधारकर्त्ताओं को बताना होगा और उन्हें महत्त्वपूर्ण जानकारी देनी होगी।

इसके परिणामस्वरूप उधारकर्त्ता अपने गृह ऋण का भुगतान करते समय अधिक जानकारीपूर्ण निर्णय ले सकेंगे।

ऋणदाताओं को उत्पीड़न, धमकी या गोपनीयता का उल्लंघन जैसी अनैतिक या ज़बरदस्ती ऋण वसूली प्रथाओं में शामिल नहीं होना चाहिये।

प्रस्तावित ढाँचे से उधारकर्त्ताओं और ऋणदाताओं को लाभ:

इससे उधारकर्त्ताओं के पास अपने फ्लोटिंग रेट ऋणों के संबंध में अधिक स्पष्टता, पारदर्शिता एवं विकल्प होंगे और वे बिना किसी दंड या परेशानी के उनसे बाहर निकलने या स्विच करने में सक्षम होंगे।

इसके चलते उधारकर्त्ता ऋणदाताओं द्वारा ब्याज दरों या EMI में अनुचित या मनमाने ढंग से किये गए परिवर्तन से सुरक्षित रहेंगे और अपने वित्त की बेहतर योजना बनाने में सक्षम होंगे।

इसके कारण उधारकर्त्ताओं के साथ ऋणदाता सम्मानपूर्वक व्यवहार करेंगे और ऋण वसूली के दौरान उन्हें उत्पीड़न या दुर्व्यवहार का सामना नहीं करना पड़ेगा।

इसके द्वारा ऋणदाता अच्छे ग्राहक संबंध और विश्वास बनाए रखने में सक्षम होंगे एवं अनुचित ऋण आचरण के कारण प्रतिष्ठा को जोखिम या कानूनी कार्रवाई से बच सकेंगे।

इससे ऋणदाता अपनी परिसंपत्ति गुणवत्ता और जोखिम प्रबंधन में सुधार एवं नियामक मानदंडों व अपेक्षाओं का अनुपालन सुनिश्चित करने में सक्षम होंगे।

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