News Analysis / मध्य एशिया में चीन की पहुँच
Published on: April 24, 2023
स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस
मध्य एशिया में चीन की पहुँचचर्चा में क्यों?
हाल ही में चीन ने C+C5 समूह की बैठक आयोजित की जिसमें चीन और पाँच मध्य एशियाई गणराज्यों अर्थात् उज़्बेकिस्तान, कज़ाखस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और किर्गिज़स्तान ने भाग लिया।
यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद से राजनयिक संबंधों की शृंखला में इन देशों के साथ चीन का यह नवीनतम आयोजन था।
चीन-मध्य एशिया संबंध:
C+C5:
जनवरी 2022 में आयोजित पहले C+C5 शिखर सम्मेलन में चीन और मध्य एशियाई देशों के बीच राजनयिक संबंधों की 30वीं वर्षगाँठ मनाई गई।
इस क्षेत्र के साथ चीन के ऐतिहासिक व्यापार और सांस्कृतिक संबंध प्राचीन सिल्क रूट से जुड़े हैं।
चीन के लिये महत्त्व:
BRI और निवेश:
रूस, चीन और पश्चिम के साथ C5 के संतुलित संबंध:
रूस पर अत्यधिक निर्भरता:
यह क्षेत्र रूस पर बहुत अधिक निर्भर है, जो CSTO (सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन) के माध्यम से मुख्य सुरक्षा प्रदाता भी है।
हालाँकि CSTO की एकता कमज़ोर हो रही है और यूक्रेन संघर्ष ने मध्य एशिया के साथ रूस के सुरक्षा संबंधों के परिणामों के विषय में चिंताएँ बढ़ा दी हैं।
वर्ष 2022 में किर्गिज़स्तान ने एक CSTO सैन्य अभ्यास रद्द कर दिया जो पिछले वर्ष उसके क्षेत्र में आयोजित किया जाना था और पाँच मध्य एशियाई देशों में से किसी ने भी खुले तौर पर संघर्ष में रूस का पक्ष नहीं लिया।
फिर भी रूस ने इस क्षेत्र के साथ अपना व्यापार बढ़ाया है क्योंकि वह यूरोपीय आयातों पर अपनी निर्भरता कम करना चाहता है।
चीन का बढ़ता प्रभुत्त्व:
चीन मध्य एशिया में अपना प्रभुत्त्व बढ़ा रहा है, जिससे कुछ देश अनुमान लगा रहे हैं कि बीजिंग इस क्षेत्र में अपने प्रभाव का विस्तार करने के लिये यूक्रेन पर रूस के बढ़ते प्रभुत्त्व का लाभ उठा रहा है।
जबकि रूस चीनी विस्तार को लेकर चिंतित हो सकता है, लेकिन इसका कोई स्पष्ट संकेत नहीं देखा गया।
पश्चिम की ओर देखना:
मध्य एशियाई देश यूरोपीय संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित पश्चिम के साथ व्यापारिक संबंध विकसित करने की मांग कर रहे हैं।
हालाँकि इस क्षेत्र के लैंडलॉक्ड भूगोल और सीमित परिवहन बुनियादी ढाँचे ने इस प्रयास में बाधा उत्पन्न की है।
मध्य एशिया में भारत की हिस्सेदारी:
सांस्कृतिक और प्राचीन संबंध:
सिल्क रूट तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से 15वीं शताब्दी ईस्वी तक भारत को मध्य एशिया से जोड़ता था। बौद्ध धर्म के प्रसार-प्रचार से लेकर बॉलीवुड के स्थायी प्रभाव तक भारत ने इस क्षेत्र के साथ पुराने और गहरे सांस्कृतिक संबंध साझा किये हैं।
सुरक्षा:
विस्तारित नेबरहुड नीति:
वर्ष 2022 में भारत ने अपनी "विस्तारित नेबरहुड नीति" के प्रति प्रतिबद्धता जताई जिसमें उसने भू-राजनीतिक भागीदारी और राजनयिक लक्ष्यों में विविधता लाने तथा अपने मध्य एशियाई भागीदारों को कई मोर्चों पर शामिल करने का आह्वान है।
इसकी शुरुआत वर्ष 2014 में की गई थी और इसका उद्देश्य पड़ोसी देशों के साथ साझेदारी और आर्थिक सहयोग हेतु नेटवर्क स्थापित करना है।
यह नीति पड़ोसी देशों के साथ पारस्परिक रूप से लाभप्रद सहयोग के माध्यम से क्षेत्रीय स्थिरता, शांति और समृद्धि को बढ़ावा देने के भारत की प्रतिबद्धता पर केंद्रित है।
शंघाई सहयोग संगठन (SCO):
एक पूर्ण सदस्य के रूप में भारत वर्ष 2017 में शंघाई सहयोग संगठन में शामिल हुआ।
शंघाई सहयोग संगठन में कज़ाखस्तान, किर्गिज़स्तान, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान भी शामिल हैं।
यह समूह भारत को ताजिकिस्तान के साथ संबंधों को मज़बूत बनाते हुए अस्ताना, बिश्केक और ताशकंद के साथ सुरक्षा संबंध स्थापित करने के लिये एक मंच प्रदान करता है।
कनेक्टिविटी, एक चुनौती:
चूँकि भारत और C5 के बीच व्यापारिक संबंध हैं और ये देश मध्य एशिया के लिये एक भूमि मार्ग न होने से परेशान हैं, क्योंकि तालिबान के अधिग्रहण के बाद अफगानिस्तान एक अनिश्चित क्षेत्र है और पाकिस्तान द्वारा यहाँ से प्रवेश प्रतिबंधित है।
ईरान का चाबहार बंदरगाह एक वैकल्पिक मार्ग हो सकता है परंतु यह अभी पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ है।
ऐसा सुझाव है कि भारत को "हवाई मार्ग" के माध्यम से मध्य एशिया में लोगों और व्यापार के लिये कनेक्टिविटी प्रदान करनी चाहिये, जैसा कि भारत ने अफगानिस्तान के लिये किया था।
आगे की राह: