उत्तराखंड सरकार ने राज्य में भड़की जंगल की आग को नियंत्रित करने के लिए "पिरुल लाओ-पैसा पाओ" अभियान की शुरुआत की है। इसका मुख्य उद्देश्य जंगली आग को रोकना और नियंत्रित करना है।
अभियान में स्थानीय लोगों और युवाओं की सक्रिय भागीदारी शामिल है, जो जंगल से सूखी पिरुल (चीड़ के पेड़ की पत्तियों) को इकट्ठा करेंगे और निर्धारित संग्रहण केंद्रों तक पहुंचाएंगे। उन्हें प्रति किलोग्राम 50 रुपये का प्रतिफल मिलेगा, जो उनके बैंक खातों में सीधे भेजा जाएगा।
एकत्रित पिरुल को पैक और संसाधित किया जाएगा, और इसे आगे उपयोग के लिए उद्योगों को बेचा जाएगा। उत्तराखंड में पिरुल का तात्पर्य चीड़ के पेड़ की पत्तियों से है, जिसका उपयोग घरेलू पशुओं के लिए बिस्तर बनाने, उर्वरक के रूप में गाय के गोबर में मिलाने और फलों की पैकेजिंग के लिए किया जाता है। साथ ही, राज्य सरकार ने पिरुल का उपयोग करके 25 किलोवाट का बिजली संयंत्र स्थापित किया है, जो बिजली उत्पादन के लिए उपयोग करता है।