ऑपरेशन आहट और मानव तस्करी

ऑपरेशन आहट और मानव तस्करी

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Published on: February 11, 2022

मानव तस्करी से जुड़ा मामला

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में रेलवे सुरक्षा बल ( Railway Protection Force- RPF) द्वारा  मानव तस्करी को रोकने हेतु एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया गया है।

‘ऑपरेशन आहट’ (Operation AAHT) के तहत सभी लंबी दूरी की ट्रेनों/मार्गों पर विशेष टीमों को तैनात किया जाएगा, जो पीड़ितों, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों को तस्करों के चंगुल से बचाने पर ध्यान केंद्रित करेंगे।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो हर साल औसतन मानव तस्करी के लगभग 2,200 मामले दर्ज करता है।

प्रमुख बिंदु 

ऑपरेशन आहट के बारे में:

भारतीय रेलवे, जो हर दिन (महामारी से पहले) 23 मिलियन से अधिक यात्रियों को आवागमन की सुविधा प्रदान करता है उन संदिग्धों के लिये सबसे बड़ा, तेज़ और सबसे विश्वसनीय वाहक है, जो बड़ी संख्या में महिलाओं और बच्चों की तस्करी करते हैं।

ऑपरेशन आहट (Operation AAHT) के तहत बुनियादी ढांँचे और खुफिया नेटवर्क का उपयोग पीड़ितों, स्रोत, मार्ग, गंतव्य, संदिग्धों द्वारा उपयोग की जाने वाली लोकप्रिय ट्रेनों, वाहकों/एजेंटों, किंगपिन आदि की पहचान करने और अन्य कानून-प्रवर्तन एजेंसियों के साथ जानकारी साझा करने हेतु सुराग एकत्र करने, उनके मिलान और विश्लेषण करने हेतु किया जा सकता है। 

इसके तहत आरपीएफ खतरे को रोकने में स्थानीय पुलिस की सहायता हेतु राज्यों में एक पुल के रूप में कार्य कर सकता है।

इसके अलावा साइबर सेल द्वारा मानव तस्करी के डिजिटल तरीको की तलाश हेतु वेब/सोशल मीडिया का प्रयोग किया जाएगा साथ ही नेपाल, बांग्लादेश तथा म्याँमार की सीमा से लगे ज़िलों से आने वाली ट्रेनों पर अधिक ध्यान दिया जाएगा।

मानव तस्करी:

मानव तस्करी जिसे व्यक्तियों की तस्करी भी कहा जाता है, आधुनिक समय की दासता का रूप है जिसमें श्रम, यौन शोषण के उद्देश्य से बल या धोखे से व्यक्तियों का अवैध परिवहन शामिल है तथा ऐसी गतिविधियों को अंजाम देने वालों को आर्थिक लाभ होता है।

मानव तस्करी विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों का यौन शोषण, ज़बरन विवाह, घरेलू दासता, अंग प्रत्यारोपण, नशीली दवाओं की तस्करी आदि के लिये एक संगठित अपराध है और मानवाधिकारों के उल्लंघन का सबसे विकृत रूप है।

एक सर्वमान्य मत के अनुसार, देशों के बीच तस्करी बहुत व्य्यापक स्तर पर होती है लेकिन UNODC की एक रिपोर्ट के अनुसार, करीब 60% तस्करी देशों में आंतरिक रूप से होती है।

भारत में स्थिति: वर्तमान में मानव तस्करी से सबसे अधिक प्रभावित राज्य पश्चिम बंगाल है जिसके बाद छत्तीसगढ़, झारखंड और असम हैं।

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