वन ओशन समिट

वन ओशन समिट

News Analysis   /   वन ओशन समिट

Change Language English Hindi

Published on: February 12, 2022

जैव विविधता और पर्यावरण से संबंधित मुद्दे

स्रोत: पीआईबी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रधानमंत्री ने वन ओशन समिट के उच्च-स्तरीय सत्र को संबोधित किया।

वन ओशन समिट का आयोजन फ्राँस द्वारा संयुक्त राष्ट्र और विश्व बैंक के सहयोग से फ्राँस के ब्रेस्ट में किया गया।

इस शिखर सम्मेलन के उच्च स्तरीय सत्र को जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम, दक्षिण कोरिया, जापान, कनाडा सहित कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों व शासनाध्यक्षों ने संबोधित किया। 

महासागरों का महत्त्व:

  • महासागर हमारे ग्रह की सतह के 70% से अधिक भाग पर मौजूद हैं फिर भी अक्सर यह देखा जाता है कि प्रमुख यूरोपीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों के दौरान इनके बारे में कोई चर्चा नहीं की जाती है।
  • महासागर प्रमुख पर्यावरणीय संतुलनों (विशेष रूप से जलवायु) के नियामक, संसाधनों के प्रदाता, व्यापार को सहज बनाने वाले महत्त्वपूर्ण घटक और देशों तथा मानव समुदायों के बीच की एक आवश्यक कड़ी हैं।
  • हालाँकि विभिन्न प्रकार के दबावों जैसे- जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, प्रदूषण या समुद्री संसाधनों के अत्यधिक दोहन के चलते इनके सामने भी गंभीर खतरे की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
  • अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को संगठित करने और समुद्र पर ऐसे दबावों को कम करने के लिये ठोस कार्रवाई के प्रयास में फ्राँस ने महासागरों को समर्पित ‘वन प्लेनेट समिट’ आयोजित करने का निर्णय लिया है।

 

‘वन ओशन समिट’ का लक्ष्य:

  • वन ओशन समिट का लक्ष्य सामुद्रिक मुद्दों पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की महत्त्वाकांक्षा के सामूहिक स्तर को ऊपर उठाना है।
  • सम्मेलन के दौरान अवैध रूप से मछली पकड़ने, शिपिंग को डिकार्बोनाइज़ करने और प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने की दिशा में प्रतिबद्धता व्यक्त की गई।
  • उच्च समुद्रों के शासन में सुधार करने और अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक अनुसंधान के समन्वय के प्रयासों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया।

शिखर सम्मेलन में भारत का रुख:

  • भारत हमेशा से एक समुद्री सभ्यता रही है। भारत के प्राचीन ग्रंथ और साहित्य समुद्री जीवन समेत महासागरों द्वारा प्रदत्त उपहारों का वर्णन करते हैं।
  • भारत की सुरक्षा और समृद्धि महासागरों से जुड़ी हुई है। ''भारत-प्रशांत महासागर पहल'' (Indo-Pacific Oceans Initiative) में समुद्री संसाधनों को एक प्रमुख स्तंभ के रूप में शामिल किया गया है।
  • सम्मेलन के दौरान भारत ने फ्राँस की पहल ‘राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे जैव विविधता पर उच्च महत्त्वाकांक्षा गठबंधन' (High Ambition Coalition on Biodiversity Beyond National Jurisdiction) का समर्थन किया।
  • भारत एकल उपयोग प्लास्टिक (सिंगल यूज़ प्लास्टिक) को समाप्त करने के लिये प्रतिबद्ध है।
  • इसी प्रतिबद्धता को पूरा करते हुए भारत के तीन लाख युवाओं ने लगभग 13 टन प्लास्टिक कचरा एकत्र किया है।
  • भारत ने एकल उपयोग प्लास्टिक पर एक वैश्विक पहल शुरू करने के लिये फ्राँस का समर्थन किया तथा इस पहल से जुड़ने के संकेत दिये।
  • हाल ही में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम, 2021 को अधिसूचित किया है। यह नियम सिंगल यूज़ प्लास्टिक से निर्मित उन विशिष्ट वस्तुओं को प्रतिबंधित करता है जिनकी वर्ष 2022 तक "उपयोगिता कम और अपशिष्ट क्षमता बहुत अधिक" है।
  • भारत सरकार द्वारा देश की नौसेना को इस साल समुद्र से प्लास्टिक कचरे को साफ करने के लिये 100 जहाज़-दिवस का योगदान करने का भी निर्देश दिया है।

महासागरों की सुरक्षा हेतु अन्य वैश्विक पहल:

संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन: वर्ष 2017 में संयुक्त राष्ट्र के महासागर सम्मेलन ने महासागरों, समुद्रों और समुद्री संसाधनों के संरक्षण व सतत् उपयोग के लिये कार्रवाई करने की मांग की।

अगला सम्मेलन वर्ष 2022 में आयोजित किया जाएगा।

सतत् विकास के लिये महासागर विज्ञान का एक दशक: समुद्र के स्तर में गिरावट के चक्र को उलटने के प्रयासों का समर्थन करने और दुनिया भर में महासागर हितधारकों को एक सामान्य ढाँचा प्रदान करने  हेतु सतत् विकास (2021-2030) के महासागर विज्ञान के एक दशक की घोषणा की गई है जो यह सुनिश्चित करेगा कि महासागर विज्ञान महासागर के सतत् विकास के लिये बेहतर परिस्थितियों को बनाने में देशों का पूरी तरह से समर्थन कर सकता है।

विश्व महासागर दिवस: प्रतिवर्ष 8 जून को विश्व महासागर दिवस मनाया जाता है जो हमारे रोज़मर्रा के जीवन में महासागरों की भूमिका के प्रति जागरूकता फैलाने और महासागर की रक्षा करने तथा समुद्री संसाधनों का सतत् उपयोग करने हेतु प्रेरक कार्रवाई के लिये संयुक्त राष्ट्र दिवस है।

भारत-नॉर्वे महासागर वार्ता: वर्ष 2019 में भारत और नॉर्वे की सरकारों ने एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर कर भारत-नॉर्वे महासागर वार्ता की स्थापना की और महासागरों पर अधिक निकटता से कार्य करने पर सहमति जताई।

इंडो-पैसिफिक ओशन इनिशिएटिव (IPOI): यह देशों के लिये एक खुली गैर-संधि आधारित पहल है जो इस क्षेत्र में आम चुनौतियों के सहकारी और सहयोगी समाधान हेतु मिलकर कार्य करती है।

IPOI सात स्तंभों- समुद्री सुरक्षा, समुद्री पारिस्थितिकी, समुद्री संसाधन, क्षमता निर्माण और संसाधन साझा करना, आपदा ज़ोखिम न्यूनीकरण एवं प्रबंधन विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा शैक्षणिक सहयोग व व्यापार संपर्क एवं समुद्री परिवहन पर ध्यान केंद्रित करने के लिये मौजूदा क्षेत्रीय वास्तुकला और तंत्र पर आधारित है।

ग्लोलिटर पार्टनरशिप प्रोजेक्ट: इसे अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) और यूएन (FAO) के खाद्य और कृषि संगठन ने शुरू किया है तथा यह नॉर्वे सरकार द्वारा प्रारंभिक रूप से वित्तपोषित है। इसका उद्देश्य शिपिंग और मत्स्य पालन से समुद्री प्लास्टिक कूड़े के उत्पादन को रोकना और कम करना है।

Other Post's
  • 108वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस

    Read More
  • राज्यों के साथ निरंतर जुड़ाव और उनकी वित्तीय चिंताओं को दूर करने से अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा

    Read More
  • "भारत का जनसांख्यिकीय लाभांश काटना"

    Read More
  • HS200 सॉलिड रॉकेट बूस्टर

    Read More
  • डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा

    Read More