खसरा और रूबेला

खसरा और रूबेला

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Published on: January 24, 2023

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

भारत ने खसरा और रूबेला (MR) को वर्ष 2023 तक समाप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया था, जो विभिन्न कारणों से वर्ष 2020 की पूर्व निर्धारित समय-सीमा के लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सका था।  

वर्ष 2019 में भारत ने वर्ष 2023 तक खसरा और रूबेला उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित किया था, यह अनुमान लगाते हुए कि वर्ष 2020 तक लक्ष्य की प्राप्ति नहीं की जा सकती है।

खसरा और रूबेला: 

खसरा : 

  • यह अत्यधिक संक्रामक विषाणुजनित रोग है और वैश्विक स्तर पर छोटे बच्चों की मृत्यु का मुख्य कारण है।
  • यह 1 सीरोटाइप वाले सिंगल स्ट्रैंडेड, आरएनए वायरस से घिरे होने के कारण होता है। इसे पैरामाइक्सोविरिडे (Paramyxoviridae) परिवार के जीनस मोरबिलीवायरस (Morbillivirus ) के सदस्य के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  • यह आर्थिक रूप से कमज़ोर पृष्ठभूमि  के बच्चों के लिये विशेष रूप से खतरनाक है, क्योंकि यह कुपोषित और कम प्रतिरोधक क्षमता वाले बच्चों पर हमला करता है।
  • यह अंधापन, इंसेफलाइटिस, दस्त, कान के संक्रमण और निमोनिया सहित गंभीर जटिलताओं का कारण हो सकता है।

रूबेला: 

  1. इसे जर्मन मीज़ल्स भी कहते हैं।
  2. रूबेला एक संक्रामक, आमतौर पर हल्का वायरल संक्रमण है जो अक्सर बच्चों और युवा वयस्कों में होता है।
  3. यह रूबेला वायरस के कारण होता है जो सिंगल स्ट्रैंडेड आरएनए वायरस से घिरा होता है।
  4. गर्भवती महिलाओं में रूबेला संक्रमण मृत्यु या जन्मजात दोषों का कारण बन सकता है जिसे जन्मजात रूबेला सिंड्रोम (CRS) कहा जाता है जो अपरिवर्तनीय जन्म दोषों का कारण बनता है।
  5. रूबेला खसरे के समान नहीं है, किंतु दोनों बीमारियों के कुछ संकेत और लक्षण समान हैं, जैसे कि लाल चकत्ते।
  6. रूबेला खसरे की तुलना में एक अलग वायरस के कारण होता है और रूबेला संक्रामक या खसरा जितना गंभीर नहीं होता है।

खसरा और रूबेला का वैश्विक एवं भारतीय परिदृश्य: 

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, खसरा वायरस विश्व के सबसे संक्रामक मानव विषाणुओं में से एक है, जिस कारण प्रतिवर्ष 1,00,000 से अधिक बच्चों की मौत होती है। रूबेला जन्म संबंधी विकार है और इसे वैक्सीन की मदद से रोका जा सकता है।
  • WHO के आँकड़ों के अनुसार, पिछले दो दशकों में टीके की अनुपलब्धता के कारण हुई वैश्विक स्तर पर 30 मिलियन से अधिक मौतों को टाला जा सकता था। 
  • वर्ष 2010-2013 के दौरान भारत ने 14 राज्यों में 9 महीने से 10 वर्ष की आयु के बच्चों के लिये चरणबद्ध खसरा टीकाकरण का आयोजन किया, जिसमें लगभग 119 मिलियन बच्चों का टीकाकरण किया गया।
  • मिशन इंद्रधनुष को वर्ष 2014 में गैर-टीकाकरण आबादी के टीकाकरण करने के लिये लॉन्च किया गया था।
  • भारत ने वर्ष 2017-2021 के दौरान खसरा और रूबेला उन्मूलन के लिये एक राष्ट्रीय रणनीतिक योजना को अपनाया।
  • इसी अवधि के दौरान सरकार ने रूबेला युक्त टीके (Rubella-Containing Vaccine- RCV) को नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल किया।
  • दिसंबर 2021 तक भूटान, DPR कोरिया, मालदीव, श्रीलंका और तिमोर-लेस्ते में खसरे को समाप्त करने की पुष्टि की गई है। मालदीव तथा श्रीलंका ने भी वर्ष 2021 में रूबेला को खत्म करने वाले देशों के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखी है।

खसरा और रूबेला की रोकथाम के उपाय:

खसरा-रूबेला टीकाकरण: इस अभियान का लक्ष्य देश भर में लगभग 41 करोड़ बच्चों का टीकाकरण करना है और यह अब तक का सबसे बड़ा अभियान है।

  • 9 महीने से लेकर 15 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों को उनके पिछले खसरा/रूबेला टीकाकरण की स्थिति या खसरा/रूबेला रोग की स्थिति के बावजूद एक MR टीका लगाया जाता है।
  • अन्य पहलों में सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (Universal Immunization Programme- UIP), मिशन इंद्रधनुष और सघन मिशन इंद्रधनुष शामिल हैं।
  • इन बीमारियों के लिये टीके खसरा-रूबेला (MR), खसरा-कण्ठमाला-रूबेला (MMR) अथवा खसरा-कण्ठमाला-रूबेला-वैरिसेला (MMRV) संयोजन के रूप में प्रदान किये जाते हैं।
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