लैवेंडर की खेती

लैवेंडर की खेती

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Published on: February 22, 2022

बैंगनी क्रांति का एक हिस्सा

स्रोत: पीआईबी

चर्चा में क्यों?

CSIR-IIIM’s के अरोमा मिशन के तहत 'लैवेंडर की खेती (Lavender Cultivation)' बैंगनी क्रांति के एक हिस्से के रूप में रामबन ज़िले (जम्मू कश्मीर) में शुरू की जाएगी।

सुगंधित पौधों में लैवेंडर, डैमस्क गुलाब, मुश्क बाला आदि शामिल हैं।

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत एक समकालीन अनुसंधान एवं विकास संगठन है।

बैंगनी क्रांति:

परिचय:

बैंगनी या लैवेंडर क्रांति 2016 में केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) अरोमा मिशन के माध्यम से शुरू की गई थी।

जम्मू और कश्मीर के लगभग सभी 20 ज़िलों में लैवेंडर की खेती की जाती है।

मिशन के तहत पहली बार लैवेंडर के पौधे मुफ्त में दिये गए, जबकि इससे पहले लैवेंडर की खेती करने वाले किसानों से 5-6 रुपए प्रति पौधा लिया जाता था।

उद्देश्य:

आयातित सुगंधित तेलों से घरेलू किस्मों की ओर बढ़ते हुए घरेलू सुगंधित फसल आधारित कृषि अर्थव्यवस्था का समर्थन करना।

उत्पाद:

मुख्य उत्पाद लैवेंडर का तेल है जो कम-से-कम 10,000 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से बिकता है।

लैवेंडर जल जो लैवेंडर के तेल से अलग होता है, अगरबत्ती बनाने के लिये प्रयोग किया जाता है।

हाइड्रोसोल, जो फूलों से आसवन के बाद बनता है, साबुन और फ्रेशनर बनाने के लिये उपयोग किया जाता है।

महत्त्व:

यह वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की सरकार की नीति के अनुरूप है।

यह नवोदित किसानों और कृषि उद्यमियों को आजीविका के साधन प्रदान करने में मदद करेगा और स्टार्ट-अप इंडिया अभियान को बढ़ावा देगा, साथ ही इस क्षेत्र में उद्यमिता की भावना को बढ़ावा देगा।

बैंगनी क्रांति से तकरीबन 500 से अधिक युवाओं ने लाभ उठाया और अपनी आय को कई गुना बढ़ाया था।

अरोमा मिशन:

उद्देश्य: अरोमा मिशन का उद्देश्य अरोमा (सुगंध) उद्योग एवं ग्रामीण रोज़गार के विकास को बढ़ावा देने के लिये कृषि, प्रसंस्करण और उत्पाद विकास में वांछित हस्तक्षेप के माध्यम से अरोमा (सुगंध) क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन लाना है।

यह मिशन ऐसे आवश्यक तेलों के लिये सुगंधित फसलों की खेती को बढ़ावा देगा, जिनकी अरोमा (सुगंध) उद्योग में काफी अधिक मांग है।

यह मिशन भारतीय किसानों और अरोमा (सुगंध) उद्योग को ‘मेन्थॉलिक मिंट’ जैसे कुछ अन्य आवश्यक तेलों के उत्पादन और निर्यात में वैश्विक प्रतिनिधि बनने में मदद करेगा। 

इसका उद्देश्य उच्च लाभ, बंजर भूमि के उपयोग और जंगली एवं पालतू जानवरों से फसलों की रक्षा करके किसानों को समृद्ध बनाना है।

अरोमा मिशन चरण- I और II:

पहले चरण के दौरान CSIR ने 6000 हेक्टेयर भूमि पर खेती करने में मदद की और देश भर के 46 आकांक्षी ज़िलों को कवर किया। इसके अलावा 44,000 से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया गया।

9 फरवरी, 2021 को CSIR ने अरोमा मिशन का दूसरा चरण शुरू किया जिसमें 45,000 से अधिक कुशल मानव संसाधनों को शामिल करने का प्रस्ताव है और इससे देश भर में 75,000 से अधिक किसान परिवारों को लाभ होगा।

नोडल एजेंसी:

नोडल प्रयोगशाला सीएसआईआर-केंद्रीय औषधीय और सुगंधित पौधे संस्थान (CSIR-CIMAP), लखनऊ है।

इच्छित परिणाम:

लगभग 5500 हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र को सुगंधित नकदी फसलों की कैप्टिव खेती के तहत लाना, विशेष रूप से पूरे देश में वर्षा सिंचित/निम्नीकृत भूमि को लक्षित करना।

पूरे देश में किसानों/उत्पादकों को मूल्यवर्द्धन के लिये तकनीकी और ढांँचागत सहायता प्रदान करना।

किसानों/उत्पादकों हेतु लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने के लिये प्रभावी बाय-बैक मकेनिज़्म (Buy-Back Mechanisms) को विकसित करना।

वैश्विक व्यापार और अर्थव्यवस्था में उनके एकीकरण के लिये आवश्यक तेलों और सुगंध सामग्री का मूल्यवर्द्धन।

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