कुदुम्बश्री मॉडल

कुदुम्बश्री मॉडल

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Published on: May 20, 2023

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत के राष्ट्रपति ने देश में सबसे बड़े स्वयं सहायता समूह (Self Help Group- SHG) नेटवर्क, कुदुंबश्री के 25वीं वर्षगाँठ समारोह की शुरुआत की।

राष्ट्रपति ने "चुवाडु" (जिसका अर्थ पदचिह्न है) नामक एक पुस्तिका भी जारी की जिसमें इस समूह के भविष्य उन्मुखी विचारों को रेखांकित किया गया है एवं इसकी अब तक की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला गया है।

कुदुंबश्री:

परिचय: 

कुदुंबश्री की स्थापना वर्ष 1997 में केरल में की गई थी, जिसका उद्देश्य सरकार द्वारा नियुक्त कार्यबल की सिफारिशों के बाद गरीबी उन्मूलन एवं महिलाओं को सशक्त बनाना था।

मिशन को भारत सरकार और नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक) के सहयोग से शुरू किया गया था।

मलयालम भाषा में कुदुंबश्री का अर्थ है 'परिवार की समृद्धि' और इसलिये यह गरीबी उन्मूलन एवं महिला सशक्तीकरण पर ध्यान केंद्रित करता है, लोकतांत्रिक नेतृत्व को बढ़ावा देता है तथा "कुदुंबश्री परिवार" के अंतर्गत एक सहायक संरचना प्रदान करता है।

संचालन:

  1. मिशन त्रि-स्तरीय संरचना के माध्यम से संचालित होता है, जिसमें शामिल हैं,  
  2. प्राथमिक स्तर पर नेबरहुड ग्रुप (NHGs)
  3. वार्ड स्तर पर क्षेत्र विकास समितियाँ (ADS)
  4. स्थानीय सरकार के स्तर पर सामुदायिक विकास सोसायटी (CDS)
  5. यह संरचना स्वयं सहायता समूहों के एक बड़े नेटवर्क का निर्माण करती है।

लक्ष्य: 

कुदुंबश्री का लक्ष्य स्थानीय स्वशासन की सक्रिय भागीदारी के साथ 10 वर्षों की एक विशिष्ट समय सीमा के भीतर गरीबी को पूर्ण रूप से समाप्त करना है।  

अपने मिशन एवं स्वयं सहायता समूह दृष्टिकोण के माध्यम से, कुदुंबश्री का उद्देश्य परिवारों का उत्थान करना तथा महिलाओं को उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति एवं समग्र कल्याण में सुधार हेतु सशक्त बनाना है।

महत्त्व: 

इस समूह ने महिलाओं को सशक्त बनाने, रोज़गार सृजित करने, गरीबी को करने के साथ ही विभिन्न सामाजिक पहलें शुरू की हैं। 

यह केरल की सबसे बड़ी सामाजिक पूंजी बन गई है तथा इसके सदस्य स्थानीय सरकारी निकायों में निर्वाचित प्रतिनिधि हैं।

पाँच वर्ष पूर्व केरल में आई भीषण बाढ़ के दौरान स्वयं सहायता समूह नेटवर्क, कुदुंबश्री ने मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष में 7 करोड़ रुपए का अनुदान दिया था।

इस समूह ने Google और Apple जैसी प्रौद्योगिकी क्षेत्र की दिग्गज कंपनियों की तुलना में अधिक धन का योगदान दिया और यहाँ तक कि बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के योगदान को भी पीछे छोड़ दिया। 

कुदुंबश्री के कई कार्यकर्त्ता स्वयं बाढ़ के शिकार हुए, फिर भी उन्होंने राहत कोष में योगदान देकर दूसरों की मदद की।

स्वयं सहायता समूह: 

परिचय: 

स्वयं सहायता समूह (SHG) कुछ ऐसे लोगों का एक अनौपचारिक संघ होता है जो अपने रहन-सहन की परिस्थितियों में सुधार करने के लिये स्वेच्छा से एक साथ आते हैं। 

सामान्यतः एक ही सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि से आने वाले लोगों का ऐसा स्वैच्छिक संगठन स्वयं सहायता समूह (SHG) कहलाता है, जिसके सदस्य एक-दूसरे के सहयोग के माध्यम से अपनी साझा समस्याओं का समाधान करते हैं।

SHG स्वरोज़गार और गरीबी उन्मूलन को प्रोत्साहित करने के लिये "स्वयं सहायता" (Self-Employment) की धारणा पर विश्वास करता है।

उद्देश्य: 

  • रोज़गार और आय सृजन गतिविधियों के क्षेत्र में गरीबों तथा हाशिये पर पड़े लोगों की कार्यात्मक क्षमता का निर्माण करना। 
  • सामूहिक नेतृत्व और आपसी विमर्श के माध्यम से संघर्षों का समाधान करना। 
  • बाज़ार संचालित दरों पर समूह द्वारा तय की गई शर्तों के साथ संपार्श्विक मुक्त ऋण (Collateral Free Loans) प्रदान करना। 
  • संगठित स्रोतों से उधार लेने का प्रस्ताव रखने वाले सदस्यों के लिये सामूहिक गारंटी प्रणाली के रूप में कार्य करना।
  • निर्धन अपनी बचत को एकत्रित करते हैं और इसे बैंकों में जमा करते हैं। बदले में उन्हें अपनी सूक्ष्म इकाई उद्यम शुरू करने के लिये कम ब्याज दर पर आसानी से ऋण प्राप्त होता है।

महिला सशक्तीकरण और गरीबी से लड़ने में स्वयं सहायता समूहों की भूमिका:

आर्थिक सशक्तीकरण:

SHG ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को आय के स्वतंत्र स्रोत बनाने का अवसर प्रदान करते हैं। महिलाएँ अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने के लिये अपने कौशल एवं प्रतिभा का उपयोग कर सकती हैं।

स्वयं सहायता समूहों (SHG) के माध्यम से पूंजी तक पहुँच महिलाओं को अपने उद्यमों में निवेश करने और अपनी आर्थिक गतिविधियों का विस्तार करने में सक्षम बनाती है।

सामाजिक बाधाओं से आगे निकलना:

प्रतिगामी सामाजिक मानदंडों को चुनौती देने और महिलाओं को निर्णय लेने हेतु सशक्त बनाने में स्वयं सहायता समूह महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

SHG में भागीदारी के माध्यम से महिलाएँ आत्मविश्वास, मुखरता और नेतृत्त्व कौशल हासिल करती हैं, जो उन्हें लैंगिक रूढ़ियों को चुनौती देने में मदद करती हैं।

सशक्त महिलाएँ स्थानीय शासन (जैसे, ग्राम सभा) में सक्रिय रूप से भाग लेती हैं और यहाँ तक कि चुनाव भी लड़ती हैं।

बेहतर सामाजिक-आर्थिक स्थिति: 

SHG के गठन से समाज और परिवारों में महिलाओं की स्थिति में सुधार करने में कई प्रकार का प्रभाव पड़ता है।

महिलाएँ बेहतर सामाजिक-आर्थिक स्थिति का अनुभव करती हैं, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और संसाधनों तक बेहतर पहुँच शामिल है।

SHG महिलाओं को अपनी राय व्यक्त करने और निर्णय लेने की प्रक्रिया में योगदान देने के लिये एक मंच प्रदान करके उनके आत्म-सम्मान और आत्मविश्वास में योगदान करते हैं।

वित्तीय सेवाओं तक अभिगम: 

NABARD जैसे संगठनों द्वारा संचालित SHG-बैंक लिंकेज कार्यक्रम, SHG के लिये ऋण तक आसान पहुँच की सुविधा प्रदान करते हैं।

प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के उधार मानदंड और सुनिश्चित प्रतिफल बैंकों को स्वयं सहायता समूहों को उधार देने के लिये प्रोत्साहित करते हैं।

यह पारंपरिक साहूकारों और गैर-संस्थागत स्रोतों पर महिलाओं की निर्भरता को कम करता है, जिससे बेहतर और अधिक किफायती वित्तीय सेवाएँ प्राप्त होती हैं।

रोज़गार के वैकल्पिक अवसर: 

SHG सूक्ष्म उद्यम स्थापित करने के लिये सहायता प्रदान करते हैं तथा महिलाओं को कृषि आधारित आजीविका के विकल्प प्रदान करते हैं।

महिलाएँ अपने आय स्रोतों में विविधता लाते हुए व्यक्तिगत व्यवसाय जैसे सिलाई, किराने की दुकान और रिपेयर सर्विसेज़ स्थापित कर सकती हैं।

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