अमेज़न वर्षावन

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Published on: March 11, 2022

पर्यावरण से संबंधित मुद्दा

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया कि अमेज़न वर्षावन का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा वर्ष 2000 के दशक की शुरुआत से एक टिपिंग पॉइंट (Tipping Point) की ओर बढ़ रहा है। यह सूखे या आग जैसी चरम घटनाओं से उभरने की क्षमता खो सकता है, जिससे शुष्क सवाना जैसा पारिस्थितिकी तंत्र बनने का खतरा है।

शोधकर्त्ताओं ने वर्षावन के लचीलेपन को समझने के लिये एक अध्ययन किया कि 30 वर्षों के उपग्रह डेटा का विश्लेषण कैसे बदल गया है।

नवीनतम निष्कर्ष प्राप्त साक्ष्य के अनुरूप है कि उष्णकटिबंधीय वन पर जलवायु परिवर्तन और मानव गतिविधियों के दोहरे दबाव के कारण ये दुनिया के सबसे बड़े वर्षावन को खतरे में डाल रहे हैं, जो वैज्ञानिक आधार पर ज्ञात प्रत्येक 10 प्रजातियों में से एक का घर है।

सवाना पारिस्थितिकी तंत्र:

सवाना पारिस्थितिकी तंत्र एक उष्णकटिबंधीय घास का मैदान है जहाँ वर्ष भर गर्म तापमान होता है तथा गर्मियों में उच्चतम मानसूनी वर्षा होती है।

छोटे या बिखरे हुए पेड़ सवाना घास की विशेषता है जो एक क्लोज़्ड कैनोपी नहीं बनाते हैं और सूरज की रोशनी ज़मीन तक आसानी से पहुँचती है।

सवाना के सबसे बड़े क्षेत्र अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया तथा एशिया में भारत, म्याँमार (बर्मा), थाईलैंड व मेडागास्कर में पाए जाते हैं।

अध्ययन के निष्कर्ष:

लचीलेपन का नुकसान:

 जंगल में 75% से अधिक लचीलेपन के नुकसान के संकेत हैं, पेड़ों को बड़े पैमाने पर जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ वनों की कटाई और आग जैसे मानवीय क्रियाकलापों से प्रेरित सूखे से उबरने में अधिक समय लगता है।

क्षति का एक दुष्चक्र "डाइबैक" को ट्रिगर कर सकता है।

डाइबैक: एक ऐसी स्थिति जिसमें कोई पेड़ या झाड़ी बीमारी या प्रतिकूल वातावरण के कारण अपनी पत्तियों को गिरा देती है।

निहितार्थ:

हालांँकि यह स्पष्ट नहीं है कि उस चरम बिंदु पर कब तक पहुंँचा जा सकता है, इसके जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता और स्थानीय समुदाय पर इसके प्रभाव "विनाशकारी" होंगे।

पूर्व में किये गए एकअध्ययन के अनुसार, यह चरम स्थिति तब उत्पन्न होगी जब 20-25% वर्षावन समाप्त हो चुके होंगे।

कारण:

निर्वनीकरण का बढ़ता स्तर: 

जनवरी 2022 में निर्वनीकरण का कुल क्षेत्रफल 430 वर्ग किलोमीटर था, जो पूर्व वर्ष के जनवरी माह की तुलना में पांँच गुना अधिक है।

पूर्व-औद्योगिक स्तरों की तुलना में वर्षावन का लगभग पांँचवांँ हिस्सा पहले ही समाप्त हो चुका है।

इस नुकसान का असर वर्षा की मात्रा पर पड़ेगा क्योकि पेड़ अपनी जड़ों के माध्यम से जल का संचयन कर उसे  वातावरण में छोड़ते हैं तथा वाष्पोत्सर्जन की क्रिया द्वारा दक्षिण अमेरिका में वर्षा को प्रभावित करते हैं।

कार्बन स्रोत से प्रभावित होती जलवायु:

मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन और वनों की कटाई के कारण बढ़ते तापमान वर्षावन को कार्बन स्रोत में परिवर्तित करते हैं। कार्बन स्रोत उन  स्थानों को कहा जाता है जहाँ  CO2 के अवशोषण से अधिक उसका उत्सर्जन होता है।

शोधकर्त्ताओं द्वारा इस बात के प्रति चिंता व्यक्त की गई है कि अगर जंगल आंशिक रूप से सूखे क्षेत्रों में तब्दील होते हैं तो वे भारी मात्रा में CO2 का उत्सर्जन करेगे। 

मानवजनित गतिविधियों में वृद्धि:

मानव द्वारा भूमि उपयोग गतिविधियाँ जैसे-पेड़ों को सीधे हटाना, सड़कों का निर्माण और आग एक अन्य योगदानकर्त्ता हो सकता है। वर्ष 2010 से इन गतिविधियों में वृद्धि हो रही हैं ।

सुझाव:

वनों की कटाई को कम करने से वनों के सुभेद्य हिस्सों की रक्षा होगी और अमेज़न वर्षावन के लचीलेपन को बढ़ावा मिलेगा।

अमेज़न की सुरक्षा के लिये वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को सीमित करना भी आवश्यक है।

अमेज़न वर्षावनों से संबंधित प्रमुख बिंदु:

ये विशाल उष्णकटिबंधीय वर्षावन हैं, जो उत्तरी दक्षिण अमेरिका में अमेज़न नदी और इसकी सहायक नदियों के जल निकासी बेसिन में मौजूद हैं और कुल 6,000,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को कवर करते हैं।

उष्णकटिबंधीय बंद वितान वन होते हैं जो भूमध्य रेखा के उत्तर या दक्षिण में 28 डिग्री के भीतर पाए जाते हैं।

यहाँ मौसमी रूप से या पूरे वर्ष में 200 सेमी. से अधिक वर्षा होती है।

तापमान समान रूप से उच्च होता है (20 डिग्री सेल्सियस और 35 डिग्री सेल्सियस के बीच)।

इस तरह के वन एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका, मध्य अमेरिका, मेक्सिको और कई प्रशांत द्वीपों में पाए जाते हैं।

ब्राज़ील के कुल क्षेत्रफल का लगभग 40% हिस्सा, उत्तर में गुयाना हाइलैंड्स, पश्चिम में एंडीज़ पर्वत, दक्षिण में ब्राज़ील के केंद्रीय पठार और पूर्व में अटलांटिक महासागर से घिरा है।

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