द हिंदू: 28 मई 2025 को प्रकाशित:
समाचार में क्यों?
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने घोषणा की कि 24 मई को दक्षिण-पश्चिम मानसून ने केरल में दस्तक दी, जो सामान्य तिथि (1 जून) से एक सप्ताह पहले है।
यह पिछले 16 वर्षों में सबसे पहले हुआ मानसून आगमन है — इससे पहले ऐसा 23 मई 2009 को हुआ था।
पृष्ठभूमि
भारत के लिए मानसून कृषि, जल सुरक्षा, और आर्थिक स्थिरता के लिए अत्यंत आवश्यक है।
1975 से अब तक सबसे जल्द मानसून आगमन 19 मई 1990 को हुआ था।
मानसून के आगमन की भविष्यवाणी करना बेहद जटिल कार्य है क्योंकि यह कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे समुद्री तापमान, हवा की दिशा आदि।
मुख्य मुद्दे
पूर्वानुमान की कठिनाई: वैज्ञानिक प्रगति के बावजूद, मानसून के सटीक आगमन की भविष्यवाणी अब भी एक चुनौती है।
जल्दी आगमन का अर्थ ज्यादा वर्षा नहीं: जल्दी मानसून का मतलब हमेशा अच्छी बारिश नहीं होता। उदाहरण: 2009 में जल्दी मानसून आया था लेकिन वह वर्ष गंभीर सूखा लेकर आया।
जटिल कारण: एल नीनो, ला नीना, चक्रवात, आर्कटिक तापमान — ये सभी मानसून को अलग-अलग तरीके से प्रभावित करते हैं।
मानसून आगमन का विज्ञान
मानसून का आगमन उत्तर-पश्चिम प्रशांत महासागर से शुरू होकर अंडमान सागर, फिर बंगाल की खाड़ी और अंत में केरल तक पहुँचता है।
चक्रवात की भूमिका: पश्चिमी तट या बंगाल की खाड़ी में बनने वाले चक्रवात मानसून ट्रफ को उत्तर की ओर खींच सकते हैं और जल्दी मानसून ला सकते हैं।
एल नीनो/ला नीना:
एल नीनो सामान्यतः मानसून को कमजोर करता है, जबकि ला नीना उसे मजबूत करती है।
लेकिन ये प्रभाव हर वर्ष समान नहीं होते और आगमन की सटीक भविष्यवाणी नहीं कर सकते।
दीर्घकालिक प्रवृत्तियाँ
1970 के बाद से मानसून में व्यवस्थित देरी देखी गई है, हालांकि इसका स्पष्ट कारण नहीं मिला है।
वैश्विक तापन (ग्लोबल वॉर्मिंग):
दशकीय जलवायु परिवर्तन और बढ़ते तापमान ने मानसून को और जटिल बना दिया है।
2023-24 का रिकॉर्ड उच्च तापमान भी इस वर्ष के जल्दी आगमन में सहायक रहा हो सकता है।
2009 की तुलना में 2025
2009 और 2025 दोनों में ही जल्दी मानसून आगमन हुआ।
लेकिन 2009 में माइल्ड एल नीनो था और अंत में सूखा पड़ा।
2025 की स्थिति अभी न्यूट्रल ENSO मानी जा रही है, हालांकि कुछ संकेत एल नीनो के आने के हैं।
इसलिए इन दोनों वर्षों की तुलना करते समय सावधानी आवश्यक है।
मौसमी वर्षा पर प्रभाव
वर्षा वितरण में असमानता देखी जा रही है — कुछ क्षेत्रों में बाढ़, कुछ में सूखा।
मानसून की वापसी भी अब बदल रही है, कई क्षेत्रों में दक्षिण-पश्चिम और उत्तर-पूर्व मानसून का विलय हो रहा है।
यह स्थिति कृषि और जल प्रबंधन के लिए चुनौतीपूर्ण है।
अंतर्दृष्टि व भविष्य की राह
अब केवल मानसून के आगमन की तारीख ही नहीं, बल्कि पूरे मौसम में वर्षा की स्थिति, वितरण और वापसी की भविष्यवाणी करना आवश्यक है।
इसके लिए जटिल मौसमीय मॉडल विकसित करने होंगे जो जलवायु परिवर्तन, समुद्री तापमान, चक्रवातों को ध्यान में रखें।
नीतिगत स्तर पर, बेहतर पूर्वानुमान से कृषि योजना, आपदा प्रबंधन और जलसंचय में मदद मिलेगी।
निष्कर्ष
2025 का जल्दी मानसून आगमन एक रोचक मौसमीय घटना है, लेकिन इसके पीछे का कारण अब तक पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है।
यह घटना दर्शाती है कि हम बदलती जलवायु की अनिश्चितता में रह रहे हैं।
उत्सव मनाने के बजाय, हमें सावधानी, वैज्ञानिक शोध, और जलवायु समझ में निवेश की आवश्यकता है।