मनी लॉन्ड्रिंग से कैसे निपटा जाना चाहिए?:

मनी लॉन्ड्रिंग से कैसे निपटा जाना चाहिए?:

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द हिंदू: 6 अगस्त 2025 को प्रकाशित।

 

क्यों समाचार में?

वित्त मंत्री ने राज्यसभा में बताया कि 2015 से अब तक प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA) 2002 के अंतर्गत 5,892 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें से केवल 15 मामलों में सजा हुई है, जिससे कम सजा दर और भारत में मनी लॉन्ड्रिंग मामलों की बढ़ती प्रवृत्ति पर चिंता जताई गई है।

 

पृष्ठभूमि

PMLA, 2002 को संयुक्त राष्ट्र राजनीतिक घोषणा और वैश्विक कार्य योजना (1990) के अनुरूप लागू किया गया था, ताकि मनी लॉन्ड्रिंग रोकी जा सके, अवैध गतिविधियों से प्राप्त संपत्ति जब्त की जा सके और दोषियों को दंडित किया जा सके।

इस कानून के तहत साबित करने का दायित्व आरोपी पर होता है, और कार्यवाही शुरू करने के लिए FIR की आवश्यकता नहीं होती—एक प्रवर्तन केस सूचना रिपोर्ट (ECIR) पर्याप्त है।

यह अपराध वैश्विक स्तर पर आतंकी वित्तपोषण, भ्रष्टाचार और कर चोरी से जुड़ा हुआ है।

दोहरा कराधान परिहार समझौते (DTAA) लगभग 85 देशों के साथ किए गए हैं, जिनका उद्देश्य कर और वित्तीय डेटा के आदान-प्रदान के माध्यम से अवैध धन हस्तांतरण को रोकना है।

 

प्रमुख मुद्दे / चुनौतियाँ:

कम सजा दर: लगभग 5,900 मामलों में केवल 15 सजा — कमजोर प्रवर्तन या अप्रभावी केस तैयार करने का संकेत।

बढ़ते मामले: मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में वृद्धि रोकथाम और पहचान में खामियों को दर्शाती है।

कानून के दुरुपयोग की संभावना: सुप्रीम कोर्ट सहित अदालतों ने देखा है कि प्रावधानों का कभी-कभी राजनीतिक लक्ष्य साधने के लिए इस्तेमाल होता है।

जटिल संरचना: मनी लॉन्ड्रिंग में अक्सर सीमा-पार लेन-देन, शेल कंपनियाँ और जटिल लेयरिंग शामिल होती हैं, जिनका पता लगाना कठिन होता है।

कार्यान्वयन में कमी: FATF की सिफारिशों के बावजूद निगरानी और अभियोजन की गुणवत्ता असंगत बनी हुई है।

 

मनी लॉन्ड्रिंग कैसे होती है:

प्लेसमेंट (Placement): अवैध धन को वित्तीय प्रणाली में डालना (जैसे—स्मर्फिंग: बड़ी नकदी को छोटे-छोटे जमा में तोड़ना)।

लेयरिंग (Layering): धन को कई लेन-देन या निवेशों के माध्यम से स्थानांतरित करना ताकि स्रोत छिपाया जा सके।

इंटीग्रेशन (Integration): “साफ़” किए गए धन को रियल एस्टेट, व्यवसाय या संपत्तियों के माध्यम से अर्थव्यवस्था में वापस लाना।

 

कानूनी ढाँचा एवं न्यायालय की व्याख्याएँ:

पी. चिदंबरम बनाम ED (2019): माना कि मनी लॉन्ड्रिंग देश की संप्रभुता, वित्तीय स्थिरता और व्यापार को प्रभावित करती है।

वीरभद्र सिंह बनाम ED (2017): कार्यवाही के लिए ECIR पर्याप्त; FIR की आवश्यकता नहीं।

विजय मदनलाल चौधरी बनाम भारत संघ (2022): अभियोजन के लिए निर्धारित अपराध आवश्यक, लेकिन संपत्ति की कुर्की बिना इसके भी हो सकती है — जिसे अक्सर कथित दुरुपयोग के मामलों में उद्धृत किया जाता है।

 

आगे का रास्ता / सिफारिशें:

  • जांच की गुणवत्ता में सुधार: केस तैयारी को मजबूत करना ताकि सजा दर बढ़ सके।
  • राजनीतिक दुरुपयोग रोकना: कानून के निष्पक्ष उपयोग के लिए निगरानी तंत्र स्थापित करना।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: DTAA प्रावधानों का पूर्ण उपयोग और सीमा-पार ट्रैकिंग के लिए समझौतों का विस्तार करना।
  • FATF दिशानिर्देशों का कठोर अनुपालन: वैश्विक मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक मानकों का पालन सुनिश्चित करना।
  • क्षमता निर्माण: जांचकर्ताओं को डिजिटल फॉरेंसिक, वित्तीय ट्रेसिंग और अंतरराष्ट्रीय कानूनी सहयोग में प्रशिक्षित करना।
  • सार्वजनिक-निजी साझेदारी: बैंकों और फिनटेक कंपनियों के साथ काम करके संदिग्ध लेन-देन की त्वरित पहचान करना।
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