सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों से कहा कि वे भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए के तहत देशद्रोह का कोई भी मामला दर्ज न करें, जब तक कि औपनिवेशिक कानून की समीक्षा करने की कवायद नहीं हो जाती।
152 साल में पहली बार देशद्रोह या देशद्रोह कानून के किसी अहम प्रावधान पर रोक लगाई गई है।
केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा इसके दुरुपयोग की शिकायतों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई थी।