इस सत्र में संसद ने अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक, 2023’ को मंजूरी प्रदान कर दी गई है।
यह विधेयक अधिवक्ता अधिनियम, 1961 में संशोधन का प्रावधान करता है।
इस विधेयक का मकसद अदालत परिसरों में दलालों की भूमिका को खत्म करना है।
यह लीगल प्रैक्टिशनर अधिनियम 1879 के तहत अभिकर्ता या दलालों से संबंधित कुछ धाराओं को निरस्त करता है।
यह प्रावधान करता है कि प्रत्येक उच्च न्यायालय में जिला न्यायाधीश, सत्र न्यायाधीश, जिला मजिस्ट्रेट और राजस्व अधिकारी, जो जिला कलेक्टर रैंक से नीचे न हों, दलालों की सूची तैयार या जारी कर सकते हैं।
दलाल से तात्पर्य उस व्यक्ति से है, जो पैसे लेकर किसी कानूनी मामले में लीगल प्रैक्टिशनर की सेवाएं खरीदता है या खरीदने की पेशकश करता है।
अब पारित विधेयक के कानून बन जाने पर अदालत या न्यायाधीश दलाल सूची में शामिल किसी भी व्यक्ति को अदालत परिसर से निष्कासित कर सकते हैं।
दलाल सूची में नाम आने के बाद दलाली करने वाले को तीन महीने तक की कैद या 500 रुपये जुर्माना या दोनों हो सकती है।