प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने नवीनतम मन की बात ’एपिसोड के दौरान मियावाकी वृक्षारोपण के बारे में बात की, जो एक छोटे से क्षेत्र में घने शहरी जंगल बनाने की जापानी पद्धति है।
पीएम ने केरल के एक शिक्षक रफ़ी रामनाथ का उदाहरण भी दिया, जिन्होंने 115 किस्मों के पेड़ लगाकर एक बंजर भूमि को विद्यावनम नामक एक छोटे से जंगल में बदलने के लिए मियावाकी तकनीक का इस्तेमाल किया।
मियावाकी वृक्षारोपण का नाम जापानी वनस्पतिशास्त्री अकीरा मियावाकी के नाम पर रखा गया है, इस पद्धति में प्रत्येक वर्ग मीटर के भीतर दो से चार विभिन्न प्रकार के स्वदेशी पेड़ लगाना शामिल है। इस विधि में पेड़ आत्मनिर्भर हो जाते हैं और तीन साल के भीतर वे अपनी पूरी लंबाई तक बढ़ जाते हैं।
इस प्रक्रिया में मिट्टी को गीली घास से ढक कर उसमें सुधार करना शामिल है, जो सूखापन, कटाव और खरपतवार के विकास को रोकने में भी मदद करता है।
इसके बाद देशी पेड़ों की पहचान की जाती है और उन्हें क्षेत्र में लगाया जाता है। इस पद्धति में एक साथ कई अलग-अलग प्रकार के पेड़ लगाना शामिल है, जो प्रजातियों के बीच एक संतुलित और सहकारी वातावरण बनाता है।
इसका परिणाम यह होता है कि पौधे 10 गुना तेजी से बढ़ते हैं और जंगल सामान्य से 30 गुना अधिक घना हो जाता है।
कार्यप्रणाली 1970 के दशक में विकसित की गई थी, जिसका मूल उद्देश्य भूमि के एक छोटे से टुकड़े के भीतर हरित आवरण को सघन बनाना था।
नगर निकाय के आंकड़ों के अनुसार, मुंबई में अब तक 64 मियावाकी वन लगाए जा चुके हैं। मियावाकी ड्राइव को 2 जनवरी, 2020 को बीएमसी की शहरी वन परियोजना के तहत लॉन्च किया गया था और इस तरह का पहला जंगल पूर्वी उपनगरों में चेंबूर के भक्ति पार्क में बनाया गया था।