चुनावी बांड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसे "असंवैधानिक" और सूचना के अधिकार और अनुच्छेद 19(1)(A) का उल्लंघन माना।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनावी बांड योजना नागरिकों के सूचना के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करती है, जिससे यह पता चल सके कि राजनीतिक दलों को कौन पैसा दे रहा है। इसमें कहा गया कि योजना में सूचना के अधिकार का उल्लंघन उचित नहीं है।
अदालत ने भारतीय स्टेट बैंक को आदेश दिया - जो चुनावी बांड जारी करता है - बांड जारी करना बंद कर दे और राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए गए बांड का विवरण चुनाव आयोग को बताए, साथ ही इसे 13 मार्च, 2024 तक अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करे।