क्या व्यापार युद्ध से भारत में आयात में उछाल आएगा?

क्या व्यापार युद्ध से भारत में आयात में उछाल आएगा?

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द हिंदू संपादकीय: 20 अप्रैल 2025 को प्रकाशित:

 

क्यों चर्चा में है?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित 'लिबरेशन डे' टैरिफ और चीन की प्रतिशोधी प्रतिक्रिया ने भारत में चिंता पैदा कर दी है। भारत सरकार को आशंका है कि अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध के चलते कई देश भारत को अपने उत्पादों के लिए नया बाजार बना सकते हैं।

 

डंपिंग को लेकर क्या चिंता है?

अमेरिकी टैरिफ के कारण कई देश (जैसे चीन, बांग्लादेश, इंडोनेशिया) अब अपने अतिरिक्त माल को भारत जैसे उपभोक्ता बाजारों में बेच सकते हैं।

डंपिंग का अर्थ है—विदेशी वस्तुओं को घरेलू कीमतों से बेहद कम दाम पर बेचना, जिससे स्थानीय उद्योगों को नुकसान होता है।

उदाहरण:

बांग्लादेश की रेडीमेड गारमेंट इंडस्ट्री

इंडोनेशिया का इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र

चीन की अधिशेष निर्माण क्षमता भी भारत को निशाना बना सकती है।

 

अमेरिकी कृषि उत्पादों से क्या खतरा है?

सोयाबीन और मक्का जैसे उत्पाद चीन द्वारा टैरिफ लगाए जाने के कारण अब भारत में बिकने की संभावना है।

इससे भारतीय किसानों पर दबाव बढ़ेगा क्योंकि सस्ते आयात उनके बाज़ार को छीन सकते हैं।

 

कौन-कौन से भारतीय क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित होंगे?

विशेषज्ञों के अनुसार, निम्न क्षेत्रों को खतरा है:

  • इस्पात और एल्युमिनियम
  • टेक्सटाइल
  • इलेक्ट्रॉनिक्स
  • केमिकल्स
  • कंज्यूमर गुड्स
  • रबर और प्लास्टिक
  • इनमें डंपिंग से:
  • कीमतों में गिरावट,
  • घरेलू उत्पादकों को नुकसान,
  • बाजार हिस्सेदारी में कमी संभव है।

 

डंपिंग के खिलाफ भारत के पास क्या उपाय हैं?

एंटी-डंपिंग ड्यूटी: जब कोई वस्तु बेहद कम कीमत पर भारत में बेची जाती है।

सुरक्षात्मक शुल्क (Safeguard Duty): अचानक आयात में बढ़ोत्तरी से बचाने के लिए लगाया जाता है।

उदाहरण:

स्टील पर 12% प्रावधानिक सेफगार्ड ड्यूटी 200 दिनों के लिए लागू की गई है।

चीन से आयातित टाइटेनियम ऑक्साइड (कॉस्मेटिक उपयोग) पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाई गई।

 

स्टील पर 12% शुल्क क्यों लगाया गया?

अमेरिका और यूरोपीय यूनियन द्वारा रक्षा उपायों के बाद स्टील निर्यात भारत की ओर मोड़ दिया गया।

चीन, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों में उत्पादन बहुत अधिक है और खपत कम।

DGTR की रिपोर्ट के अनुसार, इससे भारतीय स्टील उद्योग प्रभावित हुआ।

 

क्या छोटे उद्योग सबसे अधिक प्रभावित होंगे?

हां। MSMEs (जैसे—टेक्सटाइल उद्योग) के पास:

कानूनी लड़ाई लड़ने,

डेटा इकट्ठा करने की,

और जांच करवाने की क्षमता कम होती है।

लिहाजा, सरकार को स्वतः संज्ञान (suo motu) लेना चाहिए।

 

क्या भारतीय कंपनियां गुणवत्ता या कीमत से मुकाबला कर सकती हैं?

नहीं। विशेषज्ञों के अनुसार:

प्रतिस्पर्धा में सुधार 10–15% तक ही संभव है,

जबकि डंपिंग से अंतर 50% या अधिक होता है।

केवल कानूनी उपाय जैसे एंटी-डंपिंग ड्यूटी या सेफगार्ड शुल्क ही कारगर हैं।

 

निष्कर्ष:

  • व्यापार युद्ध के परिणामस्वरूप भारत में आयात में वृद्धि की आशंका है।
  • सरकार को सजग रहना होगा और:
  • समय पर सुरक्षात्मक कदम उठाने होंगे,
  • MSMEs की रक्षा करनी होगी,
  • और आयात की निगरानी करनी होगी।
  • हालांकि भारत के पास मौजूदा सुरक्षा उपाय हैं, लेकिन उनका समय पर और प्रभावी उपयोग जरूरी है।
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