चुनाव आयोग राजनीतिक दलों की सूची क्यों हटा रहा है?

चुनाव आयोग राजनीतिक दलों की सूची क्यों हटा रहा है?

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द हिंदू: 30 जून 2025 को प्रकाशित:

समाचार में क्यों?

भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने 345 पंजीकृत अपहचान राजनीतिक दलों (RUPPs) को डि-लिस्ट करने की प्रक्रिया शुरू की है जो पिछले छह वर्षों में किसी भी चुनाव में शामिल नहीं हुए हैं और जिनके कार्यालय का कोई भौतिक अस्तित्व नहीं पाया गया। यह कदम तथाकथित “लेटर पैड पार्टियों” पर लगाम लगाने की दिशा में उठाया गया है जो केवल कागजों पर मौजूद हैं और कर छूट जैसे लाभों का दुरुपयोग कर रही हैं।

 

पृष्ठभूमि:

अनुच्छेद 19(1)(ग) के अंतर्गत नागरिकों को संघ बनाने का मूलभूत अधिकार प्राप्त है।

राजनीतिक दलों का पंजीकरण जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 (RP Act) की धारा 29A के तहत होता है।

 

पंजीकरण हेतु आवश्यक है कि:

दल भारत के संविधान, धर्मनिरपेक्षता, समाजवाद, लोकतंत्र आदि के प्रति निष्ठा रखे।

आंतरिक लोकतंत्र सुनिश्चित करें, जैसे कि समय-समय पर पदाधिकारियों का चुनाव।

पंजीकरण के बाद ऐसे दलों को Registered Unrecognised Political Parties (RUPPs) कहा जाता है।

 

पंजीकरण हेतु आवश्यकताएं:

गठन के 30 दिनों के भीतर आवेदन करना।

पार्टी का संविधान/मेमोरेंडम प्रस्तुत करना जिसमें भारतीय संविधान के प्रति निष्ठा का उल्लेख हो।

आंतरिक लोकतंत्र के लिए नियम होने चाहिए।

ECI द्वारा सत्यापन के पश्चात पंजीकृत किया जाता है।

 

RUPPs को मिलने वाले लाभ:

धारा 13A, आयकर अधिनियम के अंतर्गत दान पर कर छूट।

लोकसभा/विधानसभा चुनावों में सामान्य चुनाव चिह्न।

20 स्टार प्रचारकों की अनुमति।

₹2000 से अधिक के दान केवल बैंक या चेक द्वारा स्वीकार करना।

₹20,000 से ऊपर के दानदाताओं का विवरण हर वर्ष ECI को देना अनिवार्य।

 

मुद्दे और समस्याएँ:

मई 2025 तक 2800 से अधिक RUPPs थे, लेकिन 2024 चुनाव में केवल 750 ने भाग लिया।

बाकी दल केवल कागज़ों पर हैं — जिन्हें 'लेटर पैड पार्टियां' कहा जा रहा है।

RP अधिनियम में ECI को स्पष्ट रूप से डि-रजिस्टर करने का अधिकार नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के निर्णय में कहा था कि ECI के पास डि-रजिस्ट्रेशन का अधिकार नहीं है, सिवाय धोखाधड़ी, संविधान विरोध या अवैध घोषित किए जाने के मामलों में।

 

ECI की कार्रवाई:

345 दलों की पहचान की गई जो 2019 के बाद चुनाव नहीं लड़े और कहीं स्थित नहीं पाए गए।

संबंधित राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को नोटिस जारी करने के निर्देश।

इन दलों को चुनाव चिह्न और कर छूट जैसे लाभों से वंचित किया गया।

 

कानूनी कमी:

RP Act, 1951 में ECI को डि-रजिस्टर करने का स्पष्ट अधिकार नहीं है।

इससे चुनाव प्रणाली में अनुशासन लाना कठिन होता है।

 

सुझाव और आगे की राह:

कानून आयोग की 255वीं रिपोर्ट (2015) लागू की जाए —

लगातार 10 वर्षों तक चुनाव न लड़ने वाले दलों का डि-रजिस्ट्रेशन।

ECI के 2016 के चुनाव सुधार ज्ञापन के अनुसार RP Act में संशोधन कर डि-रजिस्ट्रेशन की शक्ति दी जाए।

आंतरिक लोकतंत्र सुनिश्चित करने के लिए RP Act में विशेष प्रावधान जोड़े जाएं (कानून आयोग की 170वीं और 255वीं रिपोर्ट की सिफारिश)।

कर छूट या दान में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए ताकि किसी प्रकार की वित्तीय गड़बड़ी न हो।

 

निष्कर्ष:

ECI द्वारा किया गया डि-लिस्टिंग अभियान चुनावी सुधार की दिशा में सकारात्मक पहल है। लेकिन इसे प्रभावी बनाने के लिए RP अधिनियम में कानूनी संशोधन अनिवार्य हैं, जिससे निष्क्रिय और गैर-जिम्मेदार दलों को हटाया जा सके और राजनीतिक व्यवस्था में पारदर्शिता व लोकतंत्र को मजबूती मिले।

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