कॉर्पोरेट निवेश क्यों पिछड़ रहा है?

कॉर्पोरेट निवेश क्यों पिछड़ रहा है?

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द हिंदू: 15 जुलाई 2025 को प्रकाशित:

 

चर्चा में क्यों है?

भारत में कॉरपोरेट निवेश लगातार कमजोर बना हुआ है, भले ही कंपनियों के मुनाफे में वृद्धि हो रही हो और सरकार ने विभिन्न प्रयास किए हों। 30 जून को MoSPI (सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय) द्वारा जारी औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) के आंकड़ों में सिर्फ 1.2% की वृद्धि दर्शाई गई है, जो पिछले 9 महीनों में सबसे कम है। यह निवेश के ठहराव और औद्योगिक गतिविधि की सुस्ती को दर्शाता है।

 

पृष्ठभूमि:

कोविड-19 महामारी के बाद से निजी निवेश में कोई सार्थक सुधार नहीं हुआ है।

सरकार द्वारा किए गए प्रमुख प्रयास:

  • सितंबर 2019 में कॉरपोरेट टैक्स में 30% से घटाकर 22% तक की कटौती।
  • हाल के बजटों में पूंजीगत व्यय (Capex) में भारी वृद्धि।
  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा ब्याज दरों में कटौती।
  • इसके बावजूद, मशीनरी और बौद्धिक संपदा (IP) में निजी क्षेत्र का सकल स्थायी पूंजी निर्माण (GFCF) चार वर्षों में केवल 35% बढ़ा है।

 

मुख्य आर्थिक बहस व अवधारणाएं:

यह विषय मार्क्सवादी अर्थशास्त्रियों रोजा लक्ज़मबर्ग और तुगान बरानोवस्की के निवेश पर विचार-विमर्श से जुड़ा है।

कालकी (Kalecki) के अनुसार: निवेश → लाभ को उत्पन्न करता है, लेकिन लाभ → निवेश को नहीं।

लक्ज़मबर्ग ने कहा: निवेश तब होगा जब मांग हो; अकेले लाभ पर्याप्त नहीं।

बरानोवस्की ने दावा किया था कि निवेश खुद को बनाए रख सकता है यदि पूंजीपति वर्ग पर्याप्त रूप से संयोजित हो — लेकिन यह वास्तविकता से दूर है।

 

मुख्य समस्याएं

कमजोर मांग का माहौल:

  • निवेश मांग पर आधारित होता है।
  • जब अर्थव्यवस्था मंदी में होती है, कंपनियां अतिरिक्त उत्पादन क्षमता में निवेश नहीं करतीं।
  • मुनाफा और निवेश के संबंध की गलत समझ
  • सरकार ने यह मान लिया कि मुनाफा बढ़ने से अपने आप निवेश बढ़ेगा, जबकि ऐसा नहीं होता यदि मांग नहीं हो।

 

Capex (सरकारी पूंजी व्यय) की सीमाएं:

  • इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में लंबा समय लगता है, जिससे निवेश पर प्रभाव देरी से पड़ता है।
  • बड़ी परियोजनाओं में आयात घटक ज्यादा होता है, जिससे घरेलू मांग को अपेक्षित लाभ नहीं होता।
  • कम श्रम प्रधान (labour-intensive) परियोजनाएं रोजगार नहीं बढ़ातीं, जिससे खपत नहीं बढ़ती।

 

मौद्रिक नीति की सीमाएं:

  • RBI द्वारा सस्ती ब्याज दरें या तरलता निवेश को नहीं बढ़ा पाईं क्योंकि निवेशक केवल तभी कर्ज लेंगे जब मुनाफे की उम्मीद हो।
  • जैसा कि केन्स ने कहा: पुनरुद्धार के लिए क्रेडिट और भरोसा दोनों की वापसी जरूरी है।

 

प्रभाव:

  • उद्योग और विनिर्माण ठप हो गए हैं, जिससे GDP में इनकी हिस्सेदारी नहीं बढ़ पा रही।
  • औपचारिक नौकरियों की संख्या सीमित है।
  • भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धा और उत्पादकता पर असर पड़ रहा है।
  • राजकोषीय घाटा बढ़ रहा है लेकिन निवेश प्रतिक्रिया में कमी है।

 

समाधान / आगे का रास्ता:

कुल मांग (Aggregate Demand) को बढ़ावा देना:

  • नकद हस्तांतरण, मनरेगा, और रोजगार सृजन योजनाएं लागू की जाएं।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में खपत बढ़ाने के उपाय किए जाएं।

 

घरेलू मूल्य श्रृंखलाओं पर ध्यान:

Capex का आयात घटक कम कर के स्थानीय निर्माण को बढ़ावा देना।

 

निवेश में समन्वय:

सरकार और निजी क्षेत्र के बीच संयुक्त निवेश योजनाएं बनाना, जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स, ऊर्जा, बुनियादी ढांचे में।

 

निवेशकों का विश्वास बहाल करना:

भूमि, श्रम सुधार, लाइसेंसिंग प्रक्रिया में सुधार, और नीति स्थिरता से जोखिम कम करना।

 

निष्कर्ष:

कॉरपोरेट निवेश की कमी का मूल कारण कमजोर मांग और भरोसे की कमी है, न कि लाभ या वित्त की उपलब्धता। बाहरी प्रेरणा (Exogenous Stimulus) के बिना निजी निवेश पुनरुद्धार की अगुवाई नहीं कर सकता। सरकार को मांग बढ़ाने वाले उपायों को प्राथमिकता देनी होगी — तभी निवेश का चक्र तेज हो सकेगा।

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