कपास पर आयात शुल्क क्यों निलंबित कर दिया गया है?

कपास पर आयात शुल्क क्यों निलंबित कर दिया गया है?

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द हिंदू: 27 अगस्त 2025 को प्रकाशित।

 

समाचार में क्यों?

केंद्र सरकार ने कपास पर लगाए गए 11% आयात शुल्क को 30 सितंबर 2025 तक निलंबित कर दिया है।

यह फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि देश में कपास का उत्पादन घट रहा है जबकि वस्त्र उद्योग की मांग लगातार बढ़ रही है।

2024–25 में कपास का उत्पादन अनुमानित 294 लाख गांठ है, जो पिछले 15 वर्षों में सबसे कम है, जबकि आवश्यकता 318 लाख गांठ की है।

इस वर्ष कपास का आयात लगभग 40 लाख गांठ तक पहुँच सकता है, जिनमें प्रमुख आपूर्तिकर्ता ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, ब्राज़ील और मिस्र होंगे।

 

पृष्ठभूमि:

कपास वस्त्र उद्योग का मुख्य कच्चा माल है और इसे लगभग 60 लाख किसान उगाते हैं।

फरवरी 2021 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 11% आयात शुल्क लगाया था ताकि किसानों को संरक्षण मिल सके, क्योंकि तब उत्पादन (350 लाख गांठ) घरेलू आवश्यकता (335 लाख गांठ) से अधिक था।

बाद में वस्त्र उद्योग में कच्चे माल की कमी को देखते हुए सरकार ने अप्रैल–अक्टूबर 2022 तक आयात शुल्क अस्थायी रूप से हटा दिया था।

 

शुल्क क्यों लगाया गया था?

जब भारत में कपास का उत्पादन घरेलू आवश्यकता से अधिक था तब भी आयात हो रहा था।

आयात शुल्क लगाने का उद्देश्य था किसानों की आय सुरक्षित रखना और आयात को हतोत्साहित करना।

 

वर्तमान स्थिति:

कपास का उत्पादन घटकर 294 लाख गांठ रह गया है, जबकि आवश्यकता 318 लाख गांठ की है।

कपास का आयात 107.4% बढ़ा, FY24–25 में यह 1.20 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया।

कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (CCI) ने इस सीज़न में किसानों से 100 लाख गांठ MSP पर खरीदी, जिस पर ₹37,500 करोड़ खर्च हुए, और अब तक 73 लाख गांठ बेच चुकी है।

सरकार ने 2025–26 के लिए MSP में 8% वृद्धि की है।

 

शुल्क हटाने के निहितार्थ:

वस्त्र उद्योग के लिए: सस्ता कपास मिलेगा → कच्चे माल की लागत घटेगी → अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा आसान होगी।

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए: ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, ब्राज़ील, मिस्र जैसे देशों की आपूर्ति बढ़ेगी।

 

किसानों के लिए:

किसानों का मानना है कि शुल्क हटने से कपास की खेती करने की रुचि घटेगी।

यह कदम वस्त्र उद्योग को अधिक फायदा देगा, किसानों को नहीं।

किसान नेताओं का कहना है कि MSP के अलावा सरकार से किसानों को कोई ठोस सहायता नहीं मिल रही।

 

उद्योग का दृष्टिकोण:

वस्त्र उद्योग सरकार से दो प्रमुख माँगें कर रहा है:

आयात शुल्क पर स्थिर नीति – सुझाव है कि गैर-पीक सीज़न (अप्रैल–सितंबर) में शुल्क हटा दिया जाए क्योंकि तब किसान अपनी उपज बेच चुके होंगे।

5% ब्याज सब्सिडी (interest subvention) – ताकि मिलें (विशेषकर MSME इकाइयाँ) पीक सीज़न में पर्याप्त कपास खरीदकर भंडारण कर सकें और सरकार को MSP पर भारी खर्च न करना पड़े।

 

दीर्घकालिक चुनौतियाँ और समाधान:

चुनौतियाँ:

  • उत्पादन में लगातार गिरावट।
  • खेती का क्षेत्र घट रहा है।
  • जलवायु परिवर्तन और कीट समस्या।

 

समाधान:

  • स्थिर नीतियाँ लागू करना (बार-बार शुल्क में बदलाव न हो)।
  • उच्च उपज और कीट-प्रतिरोधी बीजों पर अनुसंधान बढ़ाना।
  • किसानों को MSP से आगे बढ़कर वित्तीय सहयोग देना।
  • सिंचाई, बीमा और तकनीकी सेवाओं को मजबूत करना।
  • किसानों और उद्योग दोनों के हितों में संतुलन बनाना।

 

निष्कर्ष:

कपास पर आयात शुल्क हटाना वस्त्र उद्योग के लिए एक अल्पकालिक राहत है ताकि उन्हें सस्ता कच्चा माल मिले और वे वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा कर सकें। लेकिन किसानों का मानना है कि इससे कपास की खेती हतोत्साहित होगी। दीर्घकालिक समाधान केवल नीति स्थिरता, किसानों को अतिरिक्त सहयोग और उत्पादन बढ़ाने के उपायों से ही संभव है।

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