द हिंदू: 18 मार्च 2025 को प्रकाशित:
चर्चा में क्यों है?
चुनाव आयोग (EC) ने चुनावी प्रक्रिया को मजबूत करने के लिए राजनीतिक दलों को चर्चा के लिए आमंत्रित किया है। हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों में मतदाता सूची में हेरफेर और डुप्लिकेट निर्वाचन फोटो पहचान पत्र (EPIC) नंबर से संबंधित आरोप लगे हैं, जिससे इस विषय पर बहस तेज हो गई है।
चुनावी प्रक्रिया के कानूनी प्रावधान:
चुनावों में मतपत्र से EVM तक का सफर:
मुख्य विवादास्पद मुद्दे:
ई.वी.एम. (EVM) और वी.वी.पैट. (VVPAT) पर संदेह:
कुछ याचिकाओं में पेपर बैलट की वापसी और 100% VVPAT मिलान की मांग की गई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2024 में खारिज कर दिया।
हालांकि, कोर्ट ने निर्देश दिया कि संदेह होने पर 5% EVM के माइक्रोकंट्रोलर की जांच की जा सकती है।
मतदाता सूची में हेरफेर के आरोप:
महाराष्ट्र और दिल्ली विधानसभा चुनावों में नकली मतदाताओं के जोड़े जाने के आरोप लगे।
पश्चिम बंगाल, गुजरात, हरियाणा और पंजाब में एक ही EPIC नंबर के कई मतदाता पाए गए।
चुनावी प्रचार में अनुशासनहीनता:
स्टार प्रचारकों द्वारा अभद्र भाषा और जाति-धर्म आधारित प्रचार।
चुनावी खर्च की सीमा का उल्लंघन, जिससे ₹1,00,000 करोड़ का खर्च हुआ (2024 लोकसभा चुनाव)।
अपराधी पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों की बढ़ती संख्या:
543 में से 251 (46%) सांसदों पर आपराधिक मामले।
170 (31%) सांसदों पर गंभीर अपराधों (हत्या, बलात्कार, अपहरण) के आरोप।
आवश्यक चुनावी सुधार:
EVM और VVPAT की अधिक जांच:
वैज्ञानिक आधार पर EVM-VVPAT मिलान का दायरा बढ़ाया जाए।
टोटलाइजर मशीनों का उपयोग किया जाए जिससे मतदान केंद्रों के स्तर पर गोपनीयता बनी रहे।
मतदाता सूची को पारदर्शी बनाना:
EPIC नंबरों की दोहरी प्रविष्टियों को खत्म किया जाए।
आधार को मतदाता पहचान पत्र से स्वैच्छिक रूप से जोड़ा जाए ताकि फर्जी मतदाता हटाए जा सकें।
चुनावी प्रचार में सुधार:
स्टार प्रचारकों की मान्यता रद्द करने का अधिकार चुनाव आयोग को मिले।
राजनीतिक दलों के कुल खर्च पर भी सीमा लगाई जाए।
अपराधी उम्मीदवारों के बारे में मीडिया में 3 बार जानकारी देना अनिवार्य किया जाए।
निष्कर्ष: