टैरिफ से सबसे ज़्यादा प्रभावित कौन से क्षेत्र हैं?

टैरिफ से सबसे ज़्यादा प्रभावित कौन से क्षेत्र हैं?

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द हिंदू: 29 अगस्त 2025 को प्रकाशित।

 

चर्चा में क्यों ?

अमेरिका ने भारत से आयातित वस्तुओं पर 50% आयात शुल्क (टैरिफ़) 27 अगस्त 2025 से लागू कर दिया है।

इस अचानक बढ़ोतरी से भारत के कई निर्यात-आधारित श्रम-प्रधान उद्योगों पर गहरा असर पड़ रहा है।

श्रिम्प (झींगा), वस्त्र, आभूषण जैसे क्षेत्रों में पहले ही मूल्य गिरावट, उत्पादन कटौती और निर्यात में कमी देखने को मिल रही है।

 

पृष्ठभूमि:

अमेरिका, भारत का एक प्रमुख निर्यात बाज़ार है।

पहले भारत के निर्यात पर अमेरिका की ओर से कम शुल्क (2–13%) ही लगाया जाता था।

अब यह दरें कई क्षेत्रों में 50–63% तक पहुँच गई हैं।

भारत के प्रमुख अमेरिकी निर्यात क्षेत्रों में झींगा, वस्त्र, आभूषण, कालीन, हस्तशिल्प, चमड़े के उत्पाद, धातु और मशीनरी शामिल हैं।

 

मुख्य मुद्दे:

टैरिफ़ में बड़ी बढ़ोतरी

झींगा: 10% → 60%

आभूषण व हीरे: 2.1% → 52.1%

वस्त्र व परिधान: 13.9% → 63.9%

कालीन: 2.9% → 52.9%

 

गंभीर प्रभाव वाले क्षेत्र:

झींगा (आंध्र प्रदेश): किसानों को मिलने वाली कीमत पहले ही 20% घट चुकी।

वस्त्र (तिरुप्पुर, नोएडा, लुधियाना, बेंगलुरु): नए ऑर्डर रद्द, विस्तार योजनाएँ रुकीं, कामकाजी पूँजी पर दबाव।

आभूषण (सूरत): उत्पादन कटौती, लगभग 12 लाख रोज़गार पर संकट।

 

अन्य प्रभावित क्षेत्र:

हस्तशिल्प, चमड़ा व जूते, फर्नीचर, बासमती चावल, मसाले, चाय, दालें और तिल।

 

कम असर वाले क्षेत्र:

कार्बनिक रसायन, धातु (स्टील, एल्युमिनियम, कॉपर), मशीनरी।

इनका अमेरिका में हिस्सा अपेक्षाकृत कम है, इसलिए प्रभाव मध्यम रहने की संभावना।

 

तत्काल प्रभाव:

झींगा निर्यातकों को भारी कीमत गिरावट का सामना।

सूरत के आभूषण उद्योग में उत्पादन कटौती शुरू।

वस्त्र उद्योग में कामकाजी पूँजी संकट और कर्मचारियों की छंटनी की तैयारी।

कालीन उद्योग (58.6% निर्यात अमेरिका पर निर्भर) सबसे ज़्यादा जोखिम में।

 

निकट भविष्य का असर:

रोज़गार में भारी गिरावट की आशंका (विशेषकर श्रम-प्रधान उद्योगों में)।

विदेशी मुद्रा आय घटने का खतरा।

एम.एस.एम.ई. (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग) पर भारी दबाव।

 

सरकार की प्रतिक्रिया:

अल्पकालिक कदम

सरकार एक बहु-मंत्रालयीय योजना पर काम कर रही है ताकि निर्यातकों को राहत मिले।

आर.बी.आई. ने वित्तीय सहयोग देने की तैयारी जताई है।

 

मध्य व दीर्घकालिक रणनीति:

‘वोकल फ़ॉर लोकल’ / ‘स्वदेशी’ को बढ़ावा।

नए निर्यात बाज़ारों की तलाश, अमेरिका पर निर्भरता घटाना।

मुक्त व्यापार समझौतों (FTAs) का बेहतर उपयोग।

 

भारत-अमेरिका संबंधों पर असर:

इन टैरिफ़ से दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ सकता है।

भारत को अब यूरोपीय संघ, ASEAN और अफ्रीकी देशों जैसे बाज़ारों पर ज़्यादा ध्यान देना होगा।

 

निष्कर्ष:

अमेरिकी टैरिफ़ बढ़ोतरी भारत की निर्यात अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा झटका है।

विशेषकर झींगा, वस्त्र, आभूषण और कालीन जैसे श्रम-प्रधान उद्योगों पर गहरा असर पड़ेगा।

सरकार तात्कालिक राहत और दीर्घकालिक बाज़ार विविधीकरण पर काम कर रही है, लेकिन तात्कालिक चुनौती है रोज़गार की रक्षा और निर्यात स्थिरता।

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