जब ब्रांड बॉक्स से बाहर चमकते हैं:

जब ब्रांड बॉक्स से बाहर चमकते हैं:

Static GK   /   जब ब्रांड बॉक्स से बाहर चमकते हैं:

Change Language English Hindi

द हिंदू: 20 अक्टूबर 2025 को प्रकाशित।

 

समाचार में क्यों:

दीवाली के अवसर पर कई भारतीय और वैश्विक ब्रांड अपने त्योहारी पैकेजिंग डिज़ाइन को नए रूप में पेश कर रहे हैं। अब वे केवल लाल और सुनहरे रंगों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि कलात्मकता, कहानी कहने (storytelling) और सततता (sustainability) पर ध्यान दे रहे हैं।

 

पृष्ठभूमि:

पहले त्योहारी पैकेजिंग चमकीले रंगों और सजावटी सुनहरी झिलमिलाहट से जुड़ी होती थी। लेकिन अब ग्राहक प्रभावशाली डिज़ाइन, व्यक्तिगत जुड़ाव और पर्यावरण-अनुकूलता को अधिक महत्व दे रहे हैं, जिसके चलते पैकेजिंग अब एक अनुभव (experience) बन गई है।

 

मुख्य बिंदु:

कहानी कहने की कला:

Manam Chocolate ने अपने बॉक्स में “from bean to bar” की यात्रा को कलात्मक रूप में दर्शाया है।

Jack Daniel’s ने दीवाली के जुए और शुभ अवसर की थीम पर अपनी पैकेजिंग तैयार की है।

 

उच्च गुणवत्ता और डिज़ाइन:

एम्बॉसिंग, फॉइल स्टैम्पिंग, और भारतीय व लैटिन टाइपफेस के मिश्रण से स्थानीय और वैश्विक सौंदर्य का संतुलन बनाया गया है।

 

सततता पर जोर:

प्लास्टिक-फ्री और पुन: उपयोग योग्य बॉक्स, जैसे Manam के QR कोड वाले पारदर्शी पैकेज, जो किसान और मूल स्रोत से जोड़ते हैं।

 

भावनात्मक जुड़ाव:

Two Brothers Organic Farms के उत्पादों में “रंगोली बर्फी”, “काजू दीया” जैसे नाम और कलात्मक चित्रण से सोशल मीडिया पर साझा करने योग्य अनुभव बनाए गए हैं।

 

प्रमुख प्रवृत्तियाँ / मुद्दे:

त्योहारी बाजार में समानता और भीड़ से बचने के लिए ब्रांड नई सोच ला रहे हैं।

उपभोक्ता अब पर्यावरण-संवेदनशीलता और अनुभवात्मक खरीदारी को प्राथमिकता दे रहे हैं।

ब्रांडिंग अब केवल लोगो तक सीमित नहीं — बल्कि भावनात्मक स्मृति तक विस्तृत हो गई है।

 

प्रभाव / महत्व:

आर्थिक दृष्टि से: त्योहारी बिक्री में वृद्धि और ब्रांड राजस्व में बड़ा योगदान।

सांस्कृतिक दृष्टि से: आधुनिक डिज़ाइन में भारतीय परंपराओं का समावेश।

पर्यावरणीय दृष्टि से: पुनः प्रयोग योग्य और रीसायकल योग्य पैकेजिंग को बढ़ावा।

मार्केटिंग दृष्टि से: उपभोक्ता जुड़ाव और ब्रांड पहचान में वृद्धि।

 

विशेषज्ञों के विचार:

संजय शर्मा: आधुनिक ब्रांड अब ज़ोरदार रंगों से हटकर सादगी और संतुलित सौंदर्य की ओर बढ़ रहे हैं।

चैतन्य मुप्पाला: “हमारी पैकेजिंग एक कहानी है, जो पुनः उपयोग और पारदर्शिता पर आधारित है।”

अस्पर्श सिन्हा: “ब्रांड पहचान लोगो से आगे बढ़कर भावनात्मक स्मृति बनानी चाहिए।”

 

निष्कर्ष:

दीवाली की पैकेजिंग अब केवल सजावट नहीं, बल्कि एक अनुभव, एक कहानी और एक जिम्मेदारी बन चुकी है। ऐसे ब्रांड जो रचनात्मकता, सांस्कृतिक संवेदना और सततता को एक साथ जोड़ते हैं, वही आधुनिक भारतीय बाजार में सबसे अधिक चमक रहे हैं।

Other Post's
  • विस्तारित निर्माता जिम्मेदारी (ईपीआर)

    Read More
  • APK घोटाले के अंदर: वित्तीय धोखाधड़ी के लिए कैसे नकली ऐप्स का इस्तेमाल किया जाता है

    Read More
  • औद्योगिक छंटाई चीन को पिछली बार की तरह जल्दी से अपस्फीति से बाहर नहीं निकाल पाएगी:

    Read More
  • कुदुम्बश्री मॉडल

    Read More
  • कश्मीर प्रेस क्लब बंद

    Read More