द हिंदू: 7 जनवरी 2025 को प्रकाशित:
मानव मेटापन्यूमोवायरस (HMPV) पर समाचार का विश्लेषण
समाचार में क्यों है?
चीन की रोग नियंत्रण प्राधिकरण ने अज्ञात स्रोत वाले निमोनिया की निगरानी के लिए एक पायलट प्रणाली शुरू की है, क्योंकि सर्दियों में श्वसन संक्रमण बढ़ रहे हैं। मानव मेटापन्यूमोवायरस (HMPV) को इन संक्रमणों में से एक के रूप में पहचाना गया है, विशेष रूप से 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में। सोशल मीडिया पर इससे संबंधित तस्वीरों और पोस्ट के कारण चिंताएँ बढ़ीं, लेकिन कोई आधिकारिक आपातकालीन घोषणा नहीं हुई है। भारत में भी कर्नाटक, गुजरात और तमिलनाडु में HMPV के मामले दर्ज किए गए हैं, और स्वास्थ्य अधिकारी स्थिति पर निगरानी रख रहे हैं।
मानव मेटापन्यूमोवायरस (HMPV) क्या है?
HMPV एक श्वसन वायरस है, जो पेन्यूमोविरिडे परिवार से संबंधित है। इसे पहली बार 2001 में पहचाना गया था। यह आमतौर पर हल्के जुकाम जैसे लक्षण पैदा करता है, लेकिन बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा वाले व्यक्तियों में यह ब्रोंकाइटिस या निमोनिया जैसी गंभीर जटिलताएं उत्पन्न कर सकता है। इसकी ऊष्मायन अवधि 3-6 दिन है और अधिकांश संक्रमण घरेलू देखभाल से ठीक हो जाते हैं।
अब तक की कहानी:
चीन में इस सर्दी में श्वसन संक्रमण में वृद्धि हुई है, जिसमें HMPV विशेष रूप से बच्चों को प्रभावित कर रहा है।
सोशल मीडिया पर भीड़भाड़ वाले अस्पतालों की तस्वीरों ने चिंता पैदा की, लेकिन कोई आपातकालीन स्थिति घोषित नहीं की गई।
भारत में भी HMPV के कुछ मामले सामने आए हैं, लेकिन स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि चिंता की कोई आवश्यकता नहीं है।
HMPV कैसे फैलता है?
HMPV निम्नलिखित तरीकों से फैलता है:
HMPV का इलाज कैसे किया जाता है?
कोई वैक्सीन या विशेष एंटीवायरल नहीं: वर्तमान में HMPV के लिए कोई वैक्सीन या विशिष्ट एंटीवायरल दवा उपलब्ध नहीं है।
सहायक देखभाल: लक्षणों को ओवर-द-काउंटर दवाओं, आराम और तरल पदार्थों के सेवन से प्रबंधित किया जा सकता है।
रोकथाम: बार-बार हाथ धोना, संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क से बचना, मास्क पहनना और चेहरे को न छूना मुख्य रोकथाम के उपाय हैं।
निष्कर्ष:
HMPV कोई नया वायरस नहीं है और स्वस्थ व्यक्तियों में यह आमतौर पर हल्का होता है। हालांकि, कमजोर समूहों में जटिलताओं की संभावना के कारण यह ध्यान देने योग्य है। भारत और दुनिया भर की स्वास्थ्य प्रणालियाँ सतर्क हैं। रोकथाम के उपाय अपनाकर इस वायरस के प्रसार को प्रभावी रूप से रोका जा सकता है। सरकारों और स्वास्थ्य अधिकारियों को जागरूकता बढ़ाने और निगरानी मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।