भारत में कोविड-19 की स्थिति क्या है?

भारत में कोविड-19 की स्थिति क्या है?

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द हिंदू: 8 जून 2025 को प्रकाशित:

 

क्यों चर्चा में है?

दक्षिण-पूर्व एशिया में COVID-19 मामलों में वृद्धि के बाद, भारत में भी पिछले कुछ हफ्तों में मामलों की संख्या बढ़ी है। अब तक 5,755 सक्रिय मामले दर्ज किए गए हैं। ओमिक्रॉन के उप-संस्करणों के कारण यह वृद्धि देखी जा रही है, जिससे स्वास्थ्य प्रणाली की तैयारियों और टीकाकरण रणनीति पर चर्चा हो रही है।

 

पृष्ठभूमि:

COVID-19, जिसे 2020 में वैश्विक महामारी घोषित किया गया था, अब भारत समेत कई देशों में स्थानिक (endemic) बन चुका है। पूर्व संक्रमणों और टीकाकरण से विकसित हुई हाइब्रिड प्रतिरक्षा के कारण संक्रमण की गंभीरता में काफी कमी आई है, लेकिन नए उप-संस्करण समय-समय पर चुनौतियाँ पैदा कर रहे हैं।

 

वर्तमान स्थिति:

राज्यों जैसे केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में हल्के मामलों में वृद्धि।

प्रमुख वेरिएंट: ओमिक्रॉन की उप-शाखाएं जैसे NB.1.8.1 और LF.7 (JN.1 से निकले)।

लक्षण: सामान्य सर्दी-जुकाम जैसे — बुखार, गले में खराश, बहती नाक, थकान, बदन दर्द।

गंभीरता: कम; अधिकांश मरीज घरेलू इलाज से ठीक हो रहे हैं।

 

चिकित्सा व्यवस्था की तैयारी:

अस्पतालों पर अभी कोई दबाव नहीं।

डॉक्टरों का कहना है कि व्यवस्था पूरी तरह तैयार है।

टीकों की वर्तमान उपलब्धता नहीं है, जिससे कुछ चिंता बनी हुई है।

 

डॉक्टरों की सलाह:

मास्क पहनना, भीड़ से बचना, और हाथ धोना जरूरी।

फिलहाल बड़े पैमाने पर टीकाकरण की जरूरत नहीं है क्योंकि अधिकांश आबादी में हाइब्रिड इम्युनिटी है।

बुजुर्गों, रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर लोगों और सह-रुग्णताओं वाले मरीजों के लिए बूस्टर खुराक आवश्यक हो सकती है।

 

टीकाकरण की स्थिति और नीति:

अब तक 220 करोड़ से अधिक खुराकें दी जा चुकी हैं (कोविशील्ड और कोवैक्सिन)।

बूस्टर खुराक की मांग कम, और 2021–22 के टीके अब निष्क्रिय हो चुके हैं।

ICMR के महानिदेशक का कहना है कि फिलहाल बड़े स्तर पर बूस्टर की कोई आवश्यकता नहीं है, लेकिन जरूरत पड़ने पर उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।

 

जो लोग अधिक जोखिम में हैं:

जिन्होंने टीका नहीं लगवाया या संक्रमण नहीं झेला।

जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर है।

गंभीर सह-रुग्णताओं वाले वरिष्ठ नागरिक।

इन समूहों के लिए डॉक्टर मामला-दर-मामला बूस्टर की सलाह दे सकते हैं।

 

सरकारी और कानूनी दृष्टिकोण:

दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से सैंपलिंग नीति पर रिपोर्ट मांगी है।

कई राज्य सरकारें बूस्टर पर तटस्थ रुख अपना रही हैं, क्योंकि नए वेरिएंट पर स्पष्ट डेटा नहीं है।

 

आगे क्या?

  • वायरस के नए म्यूटेशन और प्रसार की निगरानी।
  • सैंपलिंग और जीनोम अनुक्रमण की सुविधा बढ़ाना।
  • जनता को सचेत करना और स्वच्छता उपायों पर जोर देना।
  • आवश्यकता पड़ने पर फिर से सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय लागू करने के लिए तैयार रहना।

 

 

 

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