लद्दाख की सरकारी नौकरी आरक्षण नीति में क्या नया है?:

लद्दाख की सरकारी नौकरी आरक्षण नीति में क्या नया है?:

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द हिंदू: 6 जून 2025 को प्रकाशित:

 

क्यों चर्चा में है?

3 जून, 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश के लिए चार महत्वपूर्ण विनियमों को अधिसूचित किया। इनमें सरकारी नौकरियों में आरक्षण, डोमिसाइल नीति, आधिकारिक भाषाएं, और हिल काउंसिल की संरचना से संबंधित बदलाव किए गए हैं। यह कदम अनुच्छेद 370 और 35A के हटाए जाने के बाद स्थानीय समाज की ओर से उठाई गई संवैधानिक सुरक्षा की मांगों के जवाब में आया है।

 

लद्दाख की नई आरक्षण नीति में क्या नया है?

85% सरकारी नौकरी आरक्षण केवल स्थानीय लद्दाखियों के लिए।

10% आरक्षण आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) के लिए।

5% आरक्षण उन बाहरी निवासियों के लिए, जो 31 अक्टूबर 2019 से लगातार 15 वर्ष लद्दाख में रह रहे हैं।

कुल आरक्षण अब 95% हो गया है, जो देश में सबसे अधिक है।

डोमिसाइल प्रमाणपत्र जारी करने का अधिकार अब तहसीलदारों को दिया गया है।

 

अन्य मुख्य नीतिगत बदलाव:

आधिकारिक भाषाएं: अंग्रेज़ी, हिंदी, उर्दू, भोटी, और पुर्गी।

महिला आरक्षण: लेह हिल काउंसिल में एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित, क्षेत्रवार रोटेशन के साथ।

 

अधिसूचित विनियम:

लद्दाख नागरिक सेवा विकेंद्रीकरण विनियमन (संशोधन), 2025

लद्दाख राजकीय भाषाएं विनियमन, 2025

हिल डेवलपमेंट काउंसिल संशोधन विनियमन, 2025

लद्दाख आरक्षण (संशोधन) विनियमन, 2025

 

पृष्ठभूमि:

2019 पुनर्गठन के बाद, लद्दाख विधानसभा रहित केंद्र शासित प्रदेश बना।

अनुच्छेद 35A के हटने से भूमि, नौकरी और पहचान को लेकर चिंताएं बढ़ीं।

स्थानीय आंदोलन: Leh Apex Body (LAB) और Kargil Democratic Alliance (KDA) के नेतृत्व में बड़े विरोध प्रदर्शन हुए।

इन आंदोलनों की मांग थी कि पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर जैसे संवैधानिक अधिकार लद्दाख को भी मिले।

 

लद्दाख की चार मुख्य मांगें क्या हैं?

संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत शामिल करना (जनजातीय दर्जा और भूमि पर स्वायत्तता)।

पूर्ण राज्य का दर्जा।

लेह और करगिल जिलों के लिए अलग-अलग लोकसभा सीटें।

सरकारी रिक्तियों को भरना।

 

नई नीति का प्रभाव:

आंशिक समाधान: केवल सरकारी नौकरी में आरक्षण की मांग पूरी हुई।

भूमि और राज्य की सुरक्षा के मुद्दे अभी बाकी हैं।

यह नीति स्थानीय असंतोष को शांत करने का एक कदम मानी जा रही है।

 

अब आगे क्या?

LAB और KDA ने साफ़ किया है कि वे अब भी:

 

राज्य का दर्जा:

छठी अनुसूची के अंतर्गत शामिल करने

भूमि और संसाधनों की सुरक्षा की मांगों पर आंदोलन जारी रखेंगे।

गृह मंत्री अमित शाह ने LAB प्रतिनिधियों को भरोसा दिलाया है कि बाकी मुद्दों पर भी चर्चा जारी रहेगी।

 

निष्कर्ष:

यह अधिसूचना एक महत्वपूर्ण लेकिन आंशिक समाधान है। लद्दाख को स्थानीय रोजगार की सुरक्षा तो मिल गई, लेकिन राजनीतिक अधिकार और स्वायत्तता की बड़ी मांगें अभी अधूरी हैं। सरकार और स्थानीय संगठनों के बीच संवाद की प्रक्रिया जारी रहेगी।

 

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