नया ऑनलाइन गेमिंग अधिनियम क्या रेखांकित करता है?

नया ऑनलाइन गेमिंग अधिनियम क्या रेखांकित करता है?

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द हिंदू: 26 अगस्त 2025 को प्रकाशित।

 

समाचार में क्यों?

ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन और विनियमन विधेयक, 2025 को लोकसभा ने 20 अगस्त को, राज्यसभा ने 21 अगस्त को पारित किया और 22 अगस्त को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलते ही यह कानून बन गया।

कानून का उद्देश्य रियल मनी गेम्स (RMGs) पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना और ई-स्पोर्ट्स व सोशल गेमिंग को बढ़ावा देना है।

 

पृष्ठभूमि:

भारत में हर साल लगभग ₹15,000 करोड़ का नुकसान RMGs से हो रहा है।

WHO ने इन्हें मानसिक तनाव, लत, आर्थिक संकट और पारिवारिक टूटन से जोड़ा है।

कर्नाटक में 31 महीनों में 32 आत्महत्याएँ ऑनलाइन गेमिंग की लत से जुड़ी हुई पाई गईं।

 

अधिनियम की मुख्य बातें:

ऑनलाइन खेलों के तीन वर्ग:

  • ई-स्पोर्ट्स → राष्ट्रीय खेल शासन अधिनियम, 2025 के अंतर्गत मान्यता प्राप्त, प्रतियोगी व कौशल-आधारित।
  • सोशल गेमिंग → मनोरंजन/शैक्षणिक उद्देश्यों हेतु खेले जाने वाले, बिना किसी आर्थिक दांव के।
  • रियल मनी गेम्स (RMGs) → शुल्क या पैसों के दांव के साथ खेले जाने वाले खेल (जैसे रम्मी, पोकर, फैंटेसी क्रिकेट, लूडो)। → पूर्णतः प्रतिबंधित।

 

दंड:

  • RMGs चलाने पर: 3 वर्ष तक की जेल + ₹1 करोड़ जुर्माना।
  • विज्ञापन पर: 2 वर्ष तक की जेल + ₹50 लाख जुर्माना।
  • अपराध: संज्ञेय और गैर-जमानती (BNSS, 2023 के तहत)।

 

नियमन:

केंद्र सरकार एक नियामक प्राधिकरण बनाएगी।

CERT-IN को अवैध ऐप्स को ब्लॉक/डिसेबल करने का अधिकार।

विदेश स्थित कंपनियों पर कार्रवाई हेतु Interpol से सहयोग लिया जा सकता है।

खिलाड़ियों पर कोई दंड नहीं, केवल संचालकों/विज्ञापनदाताओं पर।

सोशल गेमिंग को बढ़ावा देने हेतु केंद्र सरकार निधि आवंटित कर सकती है।

 

सरकार ने यह कानून क्यों बनाया?

उपभोक्ता संरक्षण: लाखों लोग भारी धनराशि गँवा रहे थे।

सार्वजनिक स्वास्थ्य: WHO ने RMGs को मानसिक रोग, लत और आत्महत्या से जोड़ा।

 

वित्तीय सुरक्षा:

आतंकवादी गतिविधियों में फंडिंग का इस्तेमाल।

₹2,000 करोड़ टैक्स चोरी (2022 रिपोर्ट)।

₹30,000 करोड़ GST धोखाधड़ी।

चीनी ऐप FIEWIN ने भारतीयों से ₹400 करोड़ ठगे।

एल्गोरिथ्म की अपारदर्शिता: खेलों को इस तरह डिजाइन किया गया कि खिलाड़ी लंबे समय में हारें।

कानूनी चुनौतियाँ: ऑफशोर कंपनियाँ भारतीय कानून से बच निकलती थीं।

 

WHO का दृष्टिकोण:

WHO के अनुसार RMGs के परिणाम:

  • गेमिंग की लत।
  • मानसिक तनाव।
  • आर्थिक दिवालियापन।
  • पारिवारिक जीवन का टूटना।

 

उद्योग की चिंताएँ:

लगभग 2 लाख नौकरियाँ खतरे में (400+ कंपनियाँ प्रभावित)।

निवेश और स्टार्टअप्स पर असर।

मशहूर ब्रांड एंबेसडरों (धोनी, रणबीर कपूर, आमिर खान, ऋतिक रोशन, सौरव गांगुली) की छवि प्रभावित।

तर्क: कौशल आधारित खेलों (जैसे फैंटेसी क्रिकेट, रम्मी, पोकर) को जुआ नहीं माना जाना चाहिए।

 

न्यायिक और संवैधानिक मुद्दे:

संघीय ढांचा: जुआ और सट्टेबाज़ी राज्य सूची (अनुच्छेद 7, सूची II, प्रविष्टि 34 व 62) में आते हैं।

 

राज्यों के कदम:

2017 → तेलंगाना ने सभी ऑनलाइन गेमिंग प्रतिबंधित किए।

2020 → आंध्र प्रदेश ने ऑनलाइन जुआ बैन किया।

2022 → तमिलनाडु ने रम्मी व पोकर पर रोक लगाई।

 

सुप्रीम कोर्ट:

रम्मी व फैंटेसी स्पोर्ट्स को “कौशल आधारित” माना, जुआ नहीं।

28% GST वसूली पर नोटिस पर स्टे आदेश।

अभी यह तय होना बाकी कि “कौशल आधारित खेलों” को जुए में गिना जा सकता है या नहीं।

अनुच्छेद 19 (1)(g): आलोचकों का कहना है कि यह कानून व्यापार/पेशा करने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है।

 

विभिन्न खंडों में अंतर:

ई-स्पोर्ट्स: खेल के रूप में मान्यता प्राप्त, प्रतियोगिता आधारित, कौशल आवश्यक।

सोशल गेमिंग: मनोरंजन/शैक्षिक उद्देश्यों हेतु, बिना आर्थिक दांव के।

RMGs: पैसों पर आधारित, लतकारी, अपारदर्शी एल्गोरिथ्म वाले → प्रतिबंधित।

 

संभावित खामियाँ:

कंपनियाँ प्रतिबंध से बचने हेतु:

  • VPN का उपयोग।
  • वर्चुअल टोकन/क्रेडिट्स जिन्हें बाद में पैसे में बदला जा सकता है।
  • ऑफशोर सर्वर से संचालन
  • अधिनियम में नाबालिगों को ई-स्पोर्ट्स/सोशल गेमिंग से रोकने का प्रावधान नहीं।

 

प्रभाव:

सकारात्मक: उपभोक्ता सुरक्षा, मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा, टैक्स चोरी व मनी लॉन्ड्रिंग पर रोक, आत्महत्याओं में कमी।

नकारात्मक: रोज़गार पर असर, निवेश घटने की आशंका, संवैधानिक विवाद, तकनीकी रूप से लागू करना कठिन।

 

संक्षेप:

ऑनलाइन गेमिंग अधिनियम, 2025 का उद्देश्य RMGs को प्रतिबंधित करना है क्योंकि ये लत, आत्महत्या, टैक्स चोरी और आर्थिक धोखाधड़ी से जुड़े हैं, जबकि ई-स्पोर्ट्स व सोशल गेमिंग को प्रोत्साहित किया जाएगा। लेकिन संवैधानिक वैधता, रोज़गार पर असर और क्रियान्वयन की चुनौतियों के चलते यह कानून विवादित रहेगा। आने वाले समय में सुप्रीम कोर्ट के फैसले (GST और कौशल बनाम जुआ के मुद्दे पर) इस उद्योग का भविष्य तय करेंगे।

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