द हिंदू: 10 फरवरी 2025 को प्रकाशित:
चर्चा में क्यों है?
रेलवे बजट में पूंजीगत व्यय (Capex) को पिछले दो वर्षों के ₹2.62 लाख करोड़ से अधिक नहीं बढ़ाया गया, जिससे उम्मीदों को झटका लगा।
रेलवे की वित्तीय स्थिति पर कोई चर्चा नहीं हुई, जिससे इसकी आय और स्थिरता पर सवाल उठ रहे हैं।
बजट के बाद रेलवे मंत्री ने बुनियादी ढांचे, आधुनिकीकरण और कनेक्टिविटी सुधार पर जोर दिया, लेकिन लंबित परियोजनाओं की प्रगति अस्पष्ट बनी हुई है।
प्रमुख घोषणाएँ
बुनियादी ढांचा विकास: नए रेलवे ट्रैक, स्टेशनों का आधुनिकीकरण और रोलिंग स्टॉक का विस्तार।
सुरक्षा एवं कवच प्रणाली: सुरक्षा पहलों के लिए ₹1,16,514 करोड़ का आवंटन, लेकिन 2025-26 के लिए कवच सिस्टम के विस्तार का कोई जिक्र नहीं।
विद्युतीकरण: भारत 100% विद्युतीकृत रेलवे बनने की ओर, लेकिन डीजल इंजनों के बेकार होने की चिंता।
माल एवं यात्री यातायात: आर्थिक वृद्धि के बावजूद माल ढुलाई वृद्धि सिर्फ 2% से अधिक, और यात्री संख्या अभी भी COVID-पूर्व स्तर से कम।
वंदे भारत विस्तार: 200 नई ट्रेनों की घोषणा, लेकिन कोई स्पष्ट समय-सीमा नहीं।
हाई-स्पीड रेल योजना: 2047 तक 7,000 किमी हाई-स्पीड रेल नेटवर्क का लक्ष्य, लेकिन ठोस योजना नहीं।
प्रमुख चुनौतियाँ
पूंजीगत व्यय में ठहराव: ₹2.62 लाख करोड़ से अधिक नहीं बढ़ाया गया, जिससे निवेश की गति धीमी हुई।
परियोजनाओं में देरी: मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन और नई दिल्ली स्टेशन पुनर्विकास जैसी योजनाएँ ठप पड़ी हैं।
निजी निवेश की कमी: PPP से EPC मॉडल की ओर शिफ्ट होने से दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता पर सवाल।
माल ढुलाई में गिरावट: रेलवे की माल परिवहन क्षमता सड़क परिवहन की तुलना में कमज़ोर हो रही है।
संभावित प्रभाव
यात्रियों के लिए: कुछ स्टेशनों में सुधार और नई ट्रेनों की घोषणा, लेकिन यात्रा अनुभव में कोई क्रांतिकारी बदलाव नहीं।
उद्योग के लिए: धीमी माल ढुलाई वृद्धि से लॉजिस्टिक्स लागत बढ़ सकती है।
सरकार के लिए: रेलवे की बढ़ती लागत और कम आय से वित्तीय संतुलन पर दबाव।
निष्कर्ष
रेलवे बजट 2025 एक यथास्थिति वाला बजट प्रतीत होता है, जिसमें कोई बड़ा बदलाव नहीं दिखता। बुनियादी ढांचे और सुरक्षा पर ध्यान दिया गया है, लेकिन वित्तीय और निष्पादन से जुड़ी समस्याएँ बनी हुई हैं। यदि रेलवे को वास्तव में बदलना है, तो इसे दीर्घकालिक रणनीति और वित्तीय स्थिरता पर अधिक ध्यान देना होगा।