NEP, 2020 में भाषाओं के बारे में क्या कहा गया है?

NEP, 2020 में भाषाओं के बारे में क्या कहा गया है?

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द हिंदू: 10 मार्च 2025 को प्रकाशित:

 

चर्चा में क्यों है?

हाल ही में तमिलनाडु द्वारा तीन-भाषा नीति (Three-Language Policy) को अपनाने से इनकार करने के कारण भाषा से संबंधित बहस फिर से चर्चा में आ गई है।

यह मुद्दा राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत प्रस्तावित भाषा नीति को लेकर उपजा है।

 

NEP 2020 में भाषा संबंधी प्रावधान:

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020, जो कि पूर्व की शिक्षा नीति 1986 का स्थान लेती है, में यह कहा गया है कि जहां भी संभव हो, छात्रों को कम से कम कक्षा 5 तक, लेकिन अधिमानतः कक्षा 8 तक और उससे आगे तक, उनकी मातृभाषा, स्थानीय भाषा या क्षेत्रीय भाषा में शिक्षा दी जानी चाहिए।

इसके बाद, मातृभाषा/स्थानीय भाषा को एक विषय के रूप में पढ़ाने की अनुशंसा की गई है।

NEP 2020 का सुझाव है कि छोटे बच्चे अपनी मातृभाषा में जल्दी और प्रभावी ढंग से सीखते हैं।

नीति दस्तावेज़ में कहा गया है कि 2 से 8 वर्ष की आयु के बीच बच्चे भाषा सीखने में सबसे सक्षम होते हैं, और इस दौरान बहुभाषावाद (Multilingualism) अपनाने से उनके मस्तिष्क के विकास में लाभ होता है।

 

अखिल भारतीय विद्यालय शिक्षा सर्वेक्षण (AISES) के निष्कर्ष:

आठवें अखिल भारतीय विद्यालय शिक्षा सर्वेक्षण (AISES) के अनुसार, अधिकतर स्कूलों में मातृभाषा माध्यम के रूप में अपनाई जाती है, लेकिन यह संख्या धीरे-धीरे घट रही है।

सर्वेक्षण के अनुसार:

प्राथमिक स्तर पर 86.62% स्कूल मातृभाषा में पढ़ाते हैं (जो पिछले सर्वेक्षण में 92.07% था)।

ग्रामीण क्षेत्रों में 87.56% और शहरी क्षेत्रों में 80.99% स्कूलों में मातृभाषा माध्यम के रूप में अपनाई जाती है।

 

तीन-भाषा फॉर्मूला क्या है?

  • NEP 2020 में प्रस्तावित तीन-भाषा फॉर्मूला पहले के 1968 के नीति प्रस्ताव से काफी भिन्न है।
  • 1968 की नीति में हिंदी-भाषी राज्यों में हिंदी, अंग्रेज़ी, और एक आधुनिक भारतीय भाषा (अधिमानतः दक्षिण भारतीय भाषा) पढ़ाने का सुझाव दिया गया था।
  • गैर-हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी, अंग्रेज़ी, और एक क्षेत्रीय भाषा को अपनाने का प्रावधान था।
  • NEP 2020 ने इस नीति में लचीलापन प्रदान किया है, जिससे किसी भी राज्य पर कोई विशेष भाषा थोपने की बात नहीं की गई है।
  • नीति में विशेष रूप से संस्कृत को बढ़ावा देने पर ज़ोर दिया गया है और इसे तीन-भाषा फॉर्मूला के तहत एक विकल्प के रूप में शामिल किया गया है।
  • इसके अतिरिक्त, तमिल, तेलुगू, कन्नड़, मलयालम, ओड़िया, पाली, फारसी, और प्राकृत जैसी भाषाओं को भी विकल्प के रूप में अपनाने की अनुशंसा की गई है।

 

मातृभाषा को बढ़ावा देने के उपाय:

NEP 2020 के तहत, NCERT ने 2024 में 104 क्षेत्रीय भाषाओं और बोलियों में डिजिटल पुस्तकें जारी की हैं।

इनमें बंगाली, खंडेशी, तुलु, लद्दाखी, पश्तो, भिली, डोगरी, और कार निकोबारी जैसी भाषाएं शामिल हैं।

असम और आंध्र प्रदेश ने भी 2023 में अपने राज्यों में द्विभाषी पाठ्यपुस्तकें शुरू की हैं।

 

तीन-भाषा नीति का क्रियान्वयन:

तीन-भाषा नीति के क्रियान्वयन में कई चुनौतियाँ सामने आई हैं:

हरियाणा में 1969 में तमिल को दूसरी भाषा का दर्जा दिया गया था, लेकिन 2010 में इसे हटा दिया गया क्योंकि तमिल शिक्षकों की कमी थी।

हिमाचल प्रदेश में भी तेलुगू और तमिल भाषाओं को अपनाने में शिक्षक उपलब्ध न होने के कारण समस्या आई।

 

विदेशी भाषाएं (Foreign Languages):

NEP 2020 में माध्यमिक स्तर पर छात्रों के लिए कोरियन, जापानी, थाई, फ्रेंच, जर्मन, स्पेनिश, पुर्तगाली, और रूसी जैसी विदेशी भाषाएं पढ़ने का विकल्प दिया गया है।

CBSE द्वारा जारी योजना के अनुसार, छात्रों को कक्षा 10 तक दो भारतीय भाषाएं सीखनी होंगी। कक्षा 11 और 12 में वे एक भारतीय भाषा और एक विदेशी भाषा का चुनाव कर सकते हैं।

 

निष्कर्ष:

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 का उद्देश्य छात्रों को अपनी मातृभाषा में प्रभावी रूप से शिक्षित करना और साथ ही उन्हें विदेशी भाषाओं में भी कुशल बनाना है।

हालांकि, इस नीति के प्रभावी क्रियान्वयन में शिक्षक उपलब्धता और अन्य व्यावहारिक समस्याएं एक बड़ी चुनौती बनी हुई हैं।

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