'मशीन पठनीय' मतदाता सूची क्या हैं?

'मशीन पठनीय' मतदाता सूची क्या हैं?

Static GK   /   'मशीन पठनीय' मतदाता सूची क्या हैं?

Change Language English Hindi

द हिंदू: 21 अगस्त 2025 को प्रकाशित।

 

चर्चा में क्यों?

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चुनाव आयोग (EC) से माँग की है कि सभी राजनीतिक दलों को मशीन-पठनीय मतदाता सूची उपलब्ध कराई जाए।

यह माँग कांग्रेस द्वारा लगाए गए “वोट चोरी” और डुप्लीकेट नामों के आरोपों के बीच आई है।

उदाहरण: बेंगलुरु के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस ने लगभग 11,965 डुप्लीकेट प्रविष्टियाँ खोजी थीं।

 

पृष्ठभूमि:

मतदाता सूची भारत में उन लोगों की आधिकारिक सूची होती है जिन्हें मतदान करने का अधिकार है।

इसे लगातार अपडेट किया जाता है – नए मतदाता जुड़ते हैं, पते बदले जाते हैं या अयोग्य मतदाताओं को हटाया जाता है।

जिला स्तर पर यह कार्य ERONET नामक डिजिटल एप्लिकेशन से किया जाता है।

वर्तमान में चुनाव आयोग यह सूची केवल इमेज PDF (स्कैन की हुई प्रति) या छपे हुए स्वरूप में उपलब्ध कराता है।

ये इमेज PDF कंप्यूटर द्वारा आसानी से खोजे/विश्लेषित नहीं किए जा सकते, जिससे डुप्लीकेट नाम ढूँढना कठिन और महंगा हो जाता है।

 

मशीन-पठनीय मतदाता सूची क्या है?

ये ऐसी टेक्स्ट आधारित PDF या डिजिटल फाइल होती है, जिसे कंप्यूटर द्वारा खोजा और विश्लेषित किया जा सकता है।

इसमें मतदाता का नाम, पता और क्षेत्रीय विवरण कंप्यूटर द्वारा सीधे पढ़ा जा सकता है।

पहले (2019 से पहले) कुछ राज्यों ने ऐसी टेक्स्ट आधारित सूचियाँ डाली थीं और पी. जी. भट जैसे कार्यकर्ताओं ने उनमें गड़बड़ियाँ उजागर की थीं।

 

चुनाव आयोग इसे क्यों नहीं दे रहा?

2018 में सुप्रीम कोर्ट (कांग्रेस बनाम चुनाव आयोग, कमलनाथ मामला) ने चुनाव आयोग को टेक्स्ट सूची देने के लिए मजबूर करने से इंकार कर दिया।

चुनाव आयोग ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए मशीन-पठनीय सूचियाँ देना बंद कर दिया।

उस समय के मुख्य चुनाव आयुक्त ओ. पी. रावत ने कहा कि यदि पूरी सूची सार्वजनिक हो गई तो विदेशी ताकतें भारतीय नागरिकों के पूरा नाम और पते का दुरुपयोग कर सकती हैं।

जबकि चुनाव आयोग की अपनी पुस्तिका में लिखा था कि ड्राफ्ट रोल टेक्स्ट मोड में वेबसाइट पर डाला जाएगा, लेकिन बाद में यह व्यवस्था बदल दी गई।

 

व्यावहारिक चुनौतियाँ:

OCR (Optical Character Recognition) तकनीक से इमेज PDF को टेक्स्ट में बदला जा सकता है, लेकिन यह महंगा और समय लेने वाला काम है।

भारत में लगभग 99 करोड़ मतदाता हैं और पूरी सूची लगभग 6+ करोड़ पन्नों में फैली हुई है।

OCR कन्वर्ज़न की एक बार की लागत लगभग 40,000 डॉलर आंकी गई है।

इसके अलावा हर विधानसभा क्षेत्र की सूची सैकड़ों हिस्सों (PDF फाइलों) में बँटी होती है, जिससे इसे जोड़ना और विश्लेषण करना कठिन हो जाता है।

 

प्रमुख मुद्दे:

पारदर्शिता बनाम गोपनीयता: विपक्ष कहता है कि टेक्स्ट सूची से गड़बड़ी पकड़ी जा सकती है, जबकि EC को डाटा के दुरुपयोग का डर है।

डुप्लीकेट नाम: खोज पाना मुश्किल है, जिससे फर्जी वोटिंग का खतरा बढ़ता है।

कानूनी अस्पष्टता: सुप्रीम कोर्ट का निर्णय पार्टियों को खुद PDF बदलने की अनुमति देता है, लेकिन EC को टेक्स्ट देने को बाध्य नहीं करता।

संसाधन बोझ: OCR तकनीक महंगी है, इसलिए बड़े दल इसे कर सकते हैं लेकिन छोटे दलों के लिए कठिन है।

 

प्रभाव:

चुनाव पर: डुप्लीकेट या फर्जी नाम हटाना कठिन होगा, जिससे चुनाव की साख पर असर पड़ेगा।

राजनीतिक दलों पर: बड़े दल यह खर्च उठा सकते हैं, लेकिन छोटे दल पिछड़ जाएंगे।

नागरिकों पर: मतदाताओं का चुनाव आयोग पर भरोसा कमजोर हो सकता है।

नीति पर: यह बहस तेज हो रही है कि गोपनीयता और पारदर्शिता के बीच संतुलन कैसे बने।

 

आगे का रास्ता:

Masked Text Rolls: टेक्स्ट आधारित सूचियाँ दी जाएँ, लेकिन पूरे पते जैसी संवेदनशील जानकारी आंशिक रूप से छिपाई जाए।

सुरक्षित एक्सेस सिस्टम: राजनीतिक दलों को लॉगिन आधारित सुरक्षित तरीके से एक्सेस दिया जाए।

स्पष्ट कानून: संसद या कोर्ट को इस विषय पर स्पष्ट नियम बनाने चाहिए।

तकनीकी समाधान: चुनाव आयोग खुद AI आधारित तकनीक से डुप्लीकेट नाम पहचानकर पहले ही सुधार कर सकता है।

 

निष्कर्ष:

  • मशीन-पठनीय मतदाता सूची की माँग पारदर्शिता बनाम डेटा गोपनीयता का मुद्दा है। 
  • विपक्ष इसे निष्पक्ष चुनाव के लिए जरूरी मानता है, जबकि चुनाव आयोग सुरक्षा जोखिमों को लेकर सतर्क है। 
  • समाधान यह हो सकता है कि आंशिक रूप से गुप्त रखते हुए मशीन-पठनीय सूची उपलब्ध कराई जाए, जिससे चुनाव की विश्वसनीयता और पारदर्शिता दोनों बनी रहें।
Other Post's
  • प्रोजेक्ट 17ए - तीसरा स्टील्थ फ्रिगेट 'तारागिरी'

    Read More
  • अंतर सरकारी वार्ता समिति: यूएनईपी

    Read More
  • RBI का अधिशेष कहां से आता है?

    Read More
  • क्या ट्रम्प द्वारा यूरोपीय संघ से अमेरिका से अधिक तेल और गैस खरीदने के लिए कहना उचित है?

    Read More
  • कैबिनेट ने जनगणना में जाति गणना को मंजूरी दी:

    Read More