प्रयोगशाला में विकसित हीरे क्या हैं?

प्रयोगशाला में विकसित हीरे क्या हैं?

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स्रोत: द हिंदू

खबरों में क्यों?

वित्त मंत्रालय (एमओएफ) ने अपने 2023-24 के केंद्रीय बजट (एलजीडी) में प्रयोगशाला में विकसित हीरों पर विशेष ध्यान दिया है।

न्यूयॉर्क में एक जनरल इलेक्ट्रिक रिसर्च लेबोरेटरी में कार्य करने वाले वैज्ञानिकों को वर्ष 1954 में दुनिया के पहले प्रयोगशाला निर्मित हीरे के निर्माण का श्रेय दिया जाता है।

प्रयोगशाला निर्मित हीरे: 

परिचय: 

LGD प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले हीरे के विपरीत प्रयोगशालाओं में निर्मित होते हैं। हालाँकि दोनों की रासायनिक संरचना और अन्य भौतिक एवं ऑप्टिकल गुण समान होते हैं। 

प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले हीरे के निर्माण में लाखों वर्ष लगते हैं; वे तब बनते हैं जब पृथ्वी के भीतर दफन कार्बन अत्यधिक गर्मी और दबाव के संपर्क में आता है।

उत्पादन: 

  • वे ज़्यादातर दो प्रक्रियाओं के माध्यम से निर्मित होते हैं, उच्च दबाव, उच्च तापमान (HPHT) विधि या रासायनिक वाष्प जमाव (CVD) विधि। 
  • HPHT और CVD दोनों तरीकों से कृत्रिम रूप से निर्मित हीरे में एक बीज, दूसरे हीरे के टुकड़े का उपयोग होता है।
  • HPHT प्रक्रिया में शुद्ध ग्रेफाइट कार्बन के साथ बीज को लगभग 1,500 डिग्री सेल्सियस के उच्च दबाव और तापमान के संपर्क में लाया जाता है।
  • कार्बन से भरपूर गैस से भरे सीलबंद कक्ष के अंदर CVD तकनीक का उपयोग करके बीज को लगभग 800 डिग्री सेल्सियस तक गर्म किया जाता है। गैस के बीज से जुड़ने के साथ-साथ हीरा धीरे-धीरे बनता जाता है।

अनुप्रयोग: 

औद्योगिक उपयोगिता के कारण इन्हें मशीनरी और उपकरणों में उपयोग किया जाता है तथा उनकी मज़बूती एवं कठोरता उन्हें कटर के रूप में उपयोगी बनाती है।

उच्च शक्ति वाले लेज़र डायोड, लेज़र सरणियाँ और उच्च क्षमता वाले ट्रांज़िस्टर के लिये हीट स्प्रेडर के रूप में शुद्ध सिंथेटिक हीरे का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक्स में किया जाता है।

महत्त्व: 

  1. प्रयोगशाला निर्मित हीरे का पर्यावरणीय फुटप्रिंट (Environmental Footprint) प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले हीरे की तुलना में बहुत कम होता है।
  2. पर्यावरण के प्रति सचेत LGD निर्माता, डायमंड फाउंड्री की एक रिपोर्ट के अनुसार, विकसित किये जाने वाले हीरे की तुलना में प्राकृतिक हीरा प्राप्त करने में दस गुना अधिक ऊर्जा लगती है।
  3. ओपन-पिट खनन, प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले हीरों के खनन के सबसे आम तरीकों में से एक है, जिसमें इन कीमती पत्थरों को निकालने हेतु मृदा और चट्टान में खनन शामिल है।

भारत के हीरा उद्योग का परिदृश्य:

  • भारत हीरों के लिये दुनिया का सबसे बड़ा कटिंग और पॉलिशिंग केंद्र है, जो वैश्विक स्तर पर पॉलिश किये गए हीरों के निर्माण का 90% से अधिक हिस्सा है। इसके लिये उच्च कुशल श्रम की आसान उपलब्धता, अत्याधुनिक तकनीक एवं कम लागत जैसे कारक आवश्यक है।  
  • गुजरात राज्य का सूरत, हीरा निर्माण का वैश्विक केंद्र है।
  • इन कटे और पॉलिश किये गए हीरों हेतु अमेरिका सबसे बड़ा बाज़ार है, जिसमें चीन दूसरे नंबर पर है।
  • दुनिया के कुल हीरे के निर्यात में भारत 19% का योगदान करता है।
  • संयुक्त अरब अमीरात भारतीय सोने के आभूषणों का सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य भी है, जो दक्षिण एशियाई देश के आभूषण निर्यात के 75% से अधिक है।
  • नवंबर 2022 में भारत का रत्न और आभूषण का कुल निर्यात 2.43 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जो कि एक वर्ष पहले की इसी अवधि की तुलना में 2.05% अधिक है। 

प्रयोगशाला निर्मित हीरे को बढ़ावा देने हेतु सरकार की पहल:

वर्ष 2023 के केंद्रीय बजट में प्रयोगशाला निर्मित हीरे के उत्पादन को लोकप्रिय बनाने के लिये इसके निर्माण में उपयोग किये जाने वाले बीजों पर मूल सीमा शुल्क को कम करने का वादा किया गया है - अपरिष्कृत LGDs के लिये बीजों पर शुल्क 5% से घटाकर शून्य किया जाएगा।  

LGDs के क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास के लिये भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IITs) में से एक को पाँच वर्ष का अनुसंधान अनुदान भी प्रदान किया जाएगा। 

MoF ने कृत्रिम हीरा सहित कई उत्पादों की बेहतर पहचान में मदद के लिये नई टैरिफ लाइनों के निर्माण का भी प्रस्ताव दिया है। इस कदम का उद्देश्य व्यापार को सुविधाजनक बनाने के साथ-साथ रियायती आयात शुल्क का लाभ उठाने में स्पष्टता लाना है।

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