फ़्लू गैस डिसल्फ़राइज़ेशन यूनिट क्या हैं?

फ़्लू गैस डिसल्फ़राइज़ेशन यूनिट क्या हैं?

Static GK   /   फ़्लू गैस डिसल्फ़राइज़ेशन यूनिट क्या हैं?

Change Language English Hindi

द हिंदू: 16 जून 2025 को प्रकाशित:

 

क्यों है यह खबर में ?

4 जून 2025 को The Hindu ने रिपोर्ट किया कि प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (Ajay Sood) की अध्यक्षता में बनी एक विशेषज्ञ समिति ने 2015 की नीति को वापस लेने की सिफारिश की है, जिसमें सभी कोयला-आधारित ताप विद्युत संयंत्रों (TPPs) में FGD यूनिट्स लगाना अनिवार्य किया गया था।

 

पृष्ठभूमि:

2015 में, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने सभी 537 कोयला-आधारित TPPs में FGD यूनिट लगाना अनिवार्य किया था ताकि सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) का उत्सर्जन कम हो।

पहली समय सीमा 2018 थी, जिसे कई बार 2027–2029 तक टाल दिया गया।

अप्रैल 2025 तक सिर्फ 39 संयंत्रों में ही FGD स्थापित हुआ है।

 

FGD यूनिट क्या होती है?

FGD यूनिट का कार्य कोयले के जलने के बाद निकलने वाली फ्ल्यू गैस से सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) को हटाना होता है।

 

FGD के प्रकार:

ड्राय सोर्बेंट इंजेक्शन (Dry Sorbent Injection): चूना पत्थर पाउडर से SO₂ को हटाया जाता है।

वेट लाइमस्टोन स्क्रबिंग (Wet Limestone): चूने के घोल से SO₂ को जिप्सम में बदला जाता है।

सीवॉटर ट्रीटमेंट (Sea Water): समुद्र के पानी से SO₂ अवशोषित किया जाता है (तटीय संयंत्रों में)।

 

SO₂ क्यों खतरनाक है?

यह PM2.5 प्रदूषण, सांस संबंधी रोग, और एसिड रेन का प्रमुख कारण है।

एक अध्ययन के अनुसार, भारत के PM2.5 का 15% योगदान कोयले से आता है, जिसमें से 80% SO₂ के कारण बनता है।

यह ग्लोबल वार्मिंग और मानव स्वास्थ्य के लिए घातक है।

 

भारत में FGD की स्थिति:

अब तक केवल 39 संयंत्रों ने FGD यूनिट लगाई है (कुल 537 में से)।

सरकार ने कई बार डेडलाइन टाली है।

अप्रैल 2025 में PSA ऑफिस द्वारा कमीशन किए गए अध्ययन ने 2015 की नीति को वापस लेने की सिफारिश की।

 

लागत से जुड़ी चिंता:

FGD लगाने की लागत: लगभग ₹1.2 करोड़ प्रति मेगावाट।

भारत की वर्तमान और नियोजित क्षमता को देखते हुए लगभग ₹97,000 करोड़ खर्च का अनुमान।

इससे बिजली दर ₹0.72 प्रति यूनिट तक बढ़ सकती है, विशेषकर स्थिर लागत के कारण।

 

मुख्य मुद्दे:

पर्यावरण बनाम अर्थव्यवस्था: साफ हवा बनाम कम बिजली लागत।

नीति में अस्थिरता: निवेशकों में भ्रम।

स्वास्थ्य पर असर: खासकर उन क्षेत्रों में जो संयंत्रों के पास हैं।

नगरों की दूरी के कारण असर मापन कठिन: जैसे दिल्ली में कोयले का योगदान कम है, फिर भी PM2.5 उच्च स्तर पर है।

 

विशेषज्ञों की राय:

पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार, FGD यूनिट्स आवश्यक हैं।

सरकार को स्वास्थ्य, लागत और बिजली दर में संतुलन बनाना होगा।

Shruti Sharma के अनुसार, लंबी अवधि में FGD को हटाना स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए हानिकारक होगा।

 

क्या FGD का कोई विकल्प है?

नहीं। विशेषज्ञों के अनुसार, कोयले से निकलने वाले SO₂ को हटाने के लिए FGD का कोई कारगर विकल्प नहीं है।

 

निष्कर्ष (Conclusion):

भारत एक मुश्किल फैसले के सामने है: क्या साफ हवा और पर्यावरण स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जाए, या बिजली की लागत और ऊर्जा सुरक्षा को? हालांकि लागत एक वास्तविक चिंता है, FGD न लगाना सार्वजनिक स्वास्थ्य और अंतरराष्ट्रीय जलवायु प्रतिबद्धताओं पर गंभीर असर डाल सकता है।

Other Post's
  • भारत की वास्तविक विकास दर और पूर्वानुमान:

    Read More
  • जनजातीय गौरव दिवस

    Read More
  • भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) का निजीकरण

    Read More
  • चीन और अमेरिका के मुद्दों पर जेट ईंधन की मांग में गिरावट:

    Read More
  • अध्ययन से पता चला है कि शहरी मकड़ी शोर को रोकने के लिए जाल बनाती है:

    Read More