द हिंदू: 1 नवंबर 2025 को प्रकाशित।
क्यों है यह खबरों में:
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने परमाणु हथियारों के परीक्षण को फिर से शुरू करने का अचानक आदेश दिया है, जिसने अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चिंता बढ़ा दी है और एक नए परमाणु हथियार दौड़ (arms race) की आशंका को जन्म दिया है।
यह घोषणा चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ दक्षिण कोरिया में होने वाले शिखर सम्मेलन से ठीक पहले की गई, जिससे अमेरिकी परमाणु नीति में संभावित बदलाव का संकेत मिलता है।
पृष्ठभूमि:
अमेरिका ने 1992 के बाद से कोई परमाणु विस्फोट परीक्षण नहीं किया है, और उसने एक व्यवहारिक (de facto) प्रतिबंध (moratorium) बनाए रखा हुआ है।
व्यापक परमाणु-परीक्षण प्रतिबंध संधि (Comprehensive Nuclear-Test-Ban Treaty - CTBT) वर्ष 1996 में हस्ताक्षरित हुई थी, जो सभी प्रकार के परमाणु परीक्षणों (सैन्य और असैन्य दोनों) पर प्रतिबंध लगाती है।
हालांकि यह संधि अभी तक पूरी तरह लागू नहीं हुई है, फिर भी अमेरिका, चीन और रूस जैसे देश अपने परमाणु-सक्षम हथियार प्रणालियों के सैन्य अभ्यास करते रहते हैं।
ट्रम्प का यह आदेश ऐसे समय में आया जब रूस ने परमाणु-संचालित क्रूज़ मिसाइलों और समुद्री ड्रोन के परीक्षण की घोषणा की थी, जिससे शक्ति-संतुलन को लेकर चिंता बढ़ी।
मुख्य मुद्दे:
ट्रम्प के आदेश की अस्पष्टता:
यह स्पष्ट नहीं है कि आदेश में परमाणु प्रणालियों के तकनीकी परीक्षण की बात है या वास्तविक विस्फोट परीक्षण की।
अंतर्राष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन:
यदि यह वास्तविक विस्फोट परीक्षण है, तो यह CTBT की भावना के विरुद्ध होगा और तीन दशकों से चली आ रही परमाणु परीक्षण प्रतिबंध नीति को तोड़ेगा।
राजनयिक तनाव:
यह निर्णय ऐसे समय में आया जब अमेरिका और चीन के बीच वार्ता चल रही थी, जिससे राजनयिक तनाव बढ़ने की आशंका है।
वैश्विक आलोचना:
कई देशों और संस्थाओं ने इस कदम की निंदा की —
ईरान ने इसे “पिछड़ा और गैर-जिम्मेदाराना कदम” कहा।
जापान के परमाणु पीड़ित संगठन निहोन हिदानक्यो ने इसे “पूरी तरह अस्वीकार्य” बताया।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि “किसी भी परिस्थिति में परमाणु परीक्षण की अनुमति नहीं दी जा सकती।”
अमेरिका का औचित्य:
अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हगसेथ और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने इसे राष्ट्र की सुरक्षा और परमाणु निरोधक क्षमता की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए आवश्यक बताया।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ:
चीन: अमेरिका से वैश्विक परीक्षण प्रतिबंध का पालन करने का आग्रह किया।
ईरान: अमेरिका पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाया — “शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम” के लिए ईरान को दोषी ठहराना और स्वयं हथियार परीक्षण करना।
जापान: परमाणु बम पीड़ित संगठन ने अमेरिकी दूतावास को विरोध पत्र भेजा।
संयुक्त राष्ट्र: स्पष्ट किया कि किसी भी स्थिति में परमाणु परीक्षण स्वीकार्य नहीं हैं।
रणनीतिक और सुरक्षा प्रभाव:
नई हथियार दौड़ की आशंका:
ट्रम्प के आदेश से रूस, चीन और संभवतः उत्तर कोरिया भी अपने परीक्षण कार्यक्रमों को फिर से शुरू कर सकते हैं, जिससे नई वैश्विक हथियार दौड़ शुरू हो सकती है।
वैश्विक संधियों का कमजोर होना:
CTBT और NPT (परमाणु अप्रसार संधि) जैसी वैश्विक समझौतों की विश्वसनीयता पर असर पड़ेगा।
क्षेत्रीय अस्थिरता:
एशिया में चीन, उत्तर कोरिया और भारत अपनी रणनीतिक नीति की समीक्षा कर सकते हैं।
पर्यावरणीय खतरे:
यदि वास्तविक विस्फोट किए जाते हैं, तो रेडिएशन और पर्यावरण प्रदूषण के गंभीर खतरे उत्पन्न होंगे।
विशेषज्ञों की राय:
सुरक्षा विश्लेषक: कहते हैं कि यह कदम वैश्विक निरोध संतुलन को अस्थिर कर सकता है।
शांति समर्थक: इसे ट्रम्प की “शांतिप्रिय राष्ट्रपति” छवि के विपरीत बताते हैं और कहते हैं कि यह विसैन्यीकरण प्रयासों के खिलाफ है।
सैन्य रणनीतिकार: मानते हैं कि केवल तकनीकी या सिमुलेशन आधारित परीक्षण स्वीकार्य हैं, लेकिन वास्तविक विस्फोट अनुचित होंगे।
निष्कर्ष: