द हिंदू: 25 फरवरी 2025 को प्रकाशित:
यह खबर में क्यों है?
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अचानक यूक्रेन पर अमेरिकी नीति में बदलाव किया है, जिसमें उन्होंने यूक्रेन को युद्ध के लिए दोषी ठहराया, रूस से बातचीत शुरू की, और अमेरिकी समर्थन पर सवाल उठाया। इस नीति परिवर्तन ने चिंताओं को जन्म दिया है कि क्या यह चीन को ताइवान पर आक्रामक कार्रवाई करने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है। ताइवान लंबे समय से अमेरिका पर अपनी रक्षा के लिए निर्भर रहा है, लेकिन ट्रंप के अस्थिर विदेश नीति रुख ने वहां असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है।
प्रमुख मुद्दे
यूक्रेन पर ट्रंप के विरोधाभासी बयान
- पहले, ट्रंप ने यूक्रेन को युद्ध शुरू करने का दोषी बताया और कहा कि यह किसी दिन रूस का हिस्सा बन सकता है।
- फिर, उन्होंने रूस के साथ सीधी बातचीत की, जो पहले अमेरिकी नीति के खिलाफ थी।
- उनकी यूक्रेन पर नीति लगातार बदलती रही, जिससे अमेरिकी सहयोगियों को चिंता हो रही है।
ताइवान के लिए संभावित खतरे
- चीन ताइवान को अपने क्षेत्र का हिस्सा मानता है, ठीक वैसे ही जैसे रूस यूक्रेन को अपना हिस्सा मानता है।
- ट्रंप का यूक्रेन से पीछे हटने वाला रवैया यह संकेत दे सकता है कि वह ताइवान के लिए भी वैसा ही करेंगे।
- हाल ही में ट्रंप ने कहा कि ताइवान को अपनी रक्षा के लिए अमेरिका को भुगतान करना चाहिए, जिससे संकेत मिलता है कि उनका समर्थन पूरी तरह से आश्वस्त करने वाला नहीं है।
चीन की रणनीति और सतर्कता
- चीन बारीकी से देख रहा है कि अमेरिका यूक्रेन के साथ कैसा व्यवहार करता है।
- ट्रंप की अस्थिर नीति का चीन फायदा उठा सकता है, और यह प्रचार कर सकता है कि अमेरिका भरोसेमंद सहयोगी नहीं है।
- हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि चीन जल्दबाजी में ताइवान पर हमला नहीं करेगा, क्योंकि ट्रंप की नीति अभी स्पष्ट नहीं है।
अमेरिकी नीति में विरोधाभास
- ट्रंप ताइवान पर आलोचनात्मक बयान दे चुके हैं, यह आरोप लगाते हुए कि ताइवान अमेरिका से चिप निर्माण उद्योग छीन रहा है।
- वहीं, उनकी सरकार ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के खिलाफ कड़े कदम उठाने की रणनीति अपनाई है।
- अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने कहा कि यूक्रेन में समर्थन कम करना, एशिया में चीन के खिलाफ रणनीति को मजबूत करने का हिस्सा हो सकता है।
इस नीति परिवर्तन के प्रभाव:
- वैश्विक अनिश्चितता बढ़ेगी – यूरोप और एशिया में अमेरिकी सहयोगी अब अमेरिका की सुरक्षा प्रतिबद्धताओं पर संदेह कर सकते हैं।
- चीन की रणनीतिक गणना – चीन यूक्रेन पर अमेरिकी रुख का अध्ययन करेगा और यह देखेगा कि क्या उसे ताइवान पर कोई अवसर मिल सकता है।
- ताइवान की सुरक्षा पर असर – ट्रंप का "ताइवान को अपनी सुरक्षा के लिए भुगतान करना चाहिए" वाला बयान ताइवान को चिंतित कर सकता है।
- यूरोप और इंडो-पैसिफिक में गठबंधन – अमेरिका अगर यूक्रेन पर ध्यान कम करता है, तो यूरोपीय देशों को अपनी सुरक्षा पर अधिक ध्यान देना होगा।
आगे क्या हो सकता है?
ट्रंप की ताइवान नीति पर अधिक स्पष्टता – अभी तक उनकी नीति अस्थिर और अस्पष्ट है, लेकिन उनकी सरकार में चीन विरोधी अधिकारी हैं।
चीन का अगला कदम – चीन ताइवान के आसपास सैन्य अभ्यास बढ़ा सकता है, या कूटनीतिक दबाव बना सकता है।
अमेरिका-यूरोप संबंधों पर असर – यदि अमेरिका यूक्रेन से समर्थन हटाता है, तो यूरोप को अपनी सुरक्षा पर अधिक ध्यान देना होगा।
ताइवान की सुरक्षा रणनीति – ताइवान अब अपनी सैन्य क्षमता बढ़ा सकता है और अन्य क्षेत्रीय सहयोगियों से समर्थन ले सकता है।
मुख्य निष्कर्ष:
- ट्रंप की यूक्रेन नीति में बदलाव से ताइवान की सुरक्षा को लेकर संदेह बढ़ गया है।
- चीन अमेरिका की नीति पर बारीकी से नजर रख रहा है लेकिन जल्दबाजी में कोई कदम उठाने की संभावना कम है।
- ट्रंप की बयानबाजी से संकेत मिलता है कि वह ताइवान की सुरक्षा को एक व्यापारिक सौदे की तरह देख सकते हैं।
- अमेरिकी विदेश नीति में विरोधाभास बना हुआ है, जिससे सहयोगी देश चिंतित हैं।
- अमेरिका यूरोप पर ध्यान कम करके चीन के खिलाफ इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में रणनीति मजबूत कर सकता है।