द हिंदू: 10 अप्रैल 2025 को प्रकाशित:
समाचार में क्यों?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी वैश्विक व्यापार नीति में बड़ा मोड़ लेते हुए अधिकांश देशों पर टैरिफ वृद्धि को 90 दिनों के लिए स्थगित कर दिया है, लेकिन चीन पर टैरिफ बढ़ाकर 125% कर दिए हैं। यह निर्णय अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध में एक नए चरण की शुरुआत दर्शाता है और इसका वैश्विक बाजारों पर तीव्र प्रभाव पड़ा है।
क्या हुआ है?
- ट्रंप ने कहा कि 75 से अधिक देशों ने अमेरिका से बातचीत करने की इच्छा जताई, इसलिए उन्होंने 90 दिनों के लिए टैरिफ में विराम (pause) देने का फैसला किया।
- वहीं, चीन पर टैरिफ को तुरंत प्रभाव से 125% तक बढ़ा दिया गया है, चीन पर वैश्विक बाजारों का अनादर करने का आरोप लगाया गया।
- सभी देशों पर 10% का फ्लैट टैरिफ जो शनिवार से प्रभाव में आया था, जारी रहेगा।
चीन पर फोकस:
- टैरिफ बढ़ाकर पहले ही 104% कर दिए गए थे, जिन्हें अब 125% कर दिया गया है।
- चीन ने जवाबी कार्रवाई में अमेरिकी वस्तुओं पर 84% टैरिफ लगाया है।
- ट्रंप ने चीन पर "अमेरिका को लूटने" का आरोप लगाते हुए कहा कि यह अब "स्वीकार्य नहीं है।"
- यह घटनाक्रम दोनों देशों के बीच पूरे पैमाने पर टकराव (full-blown confrontation) को दर्शाता है।
वैश्विक प्रतिक्रियाएँ:
- यूरोपीय संघ (EU) ने अमेरिकी स्टील और एल्यूमिनियम पर लगाए गए टैरिफ के जवाब में 20 अरब यूरो मूल्य की अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ लगाने की घोषणा की।
- लेकिन बुधवार को लागू हुए 20% अमेरिकी टैरिफ पर EU ने कोई सीधी प्रतिक्रिया नहीं दी।
बाजारों पर प्रभाव:
- ट्रंप के ‘pause’ की घोषणा के बाद वॉल स्ट्रीट में तेज़ उछाल:
- S&P 500 इंडेक्स 6% बढ़ा।
- हफ्तेभर की गिरावट के बाद बाज़ार में स्थिरता आई।
- यूरोपीय और एशियाई बाजार, जो पहले गिर गए थे, अब कुछ हद तक स्थिर दिखे।
- बॉन्ड यील्ड में वृद्धि हुई, जो आर्थिक अनिश्चितता का संकेत है, क्योंकि संकट के समय निवेशक सरकारी बॉन्ड में निवेश करते हैं।
पृष्ठभूमि:
- ट्रंप ने एक सप्ताह पहले “लिबरेशन डे” पर 10% बेसलाइन टैरिफ की घोषणा की थी, जो शनिवार से प्रभावी हुआ।
- इसके साथ ही चीन और EU जैसे व्यापार अधिशेष वाले देशों पर अतिरिक्त टैरिफ बुधवार से लागू हुए।
- यह सब "अमेरिका फर्स्ट" नीति के अंतर्गत वैश्विक व्यापार को अमेरिका के पक्ष में फिर से संतुलित करने के प्रयास का हिस्सा है।
राजनयिक पहल:
ट्रंप ने दावा किया कि विश्व के कई नेता अमेरिका के साथ "tailored deals" (अनुकूलित व्यापार समझौते) पर चर्चा करने के लिए वॉशिंगटन आ रहे हैं।
जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों ने बातचीत के लिए प्रतिनिधिमंडल भेजे हैं।
महत्व और प्रभाव:
नीति में बदलाव:
ट्रंप की यह आंशिक वापसी यह दिखाती है कि वैश्विक दबाव और बाजार की प्रतिक्रिया ने नीति में नरमी लाने को मजबूर किया।
चीन पर सीधा दबाव:
अधिकतर देशों को राहत देने के बावजूद चीन पर सख्त रुख से यह स्पष्ट है कि अमेरिका का उद्देश्य चीन को आर्थिक रूप से अलग-थलग करना है।
बाजारों में अस्थिरता:
शेयर बाजारों की प्रतिक्रिया बताती है कि निवेशकों का भरोसा व्यापार नीतियों पर अत्यधिक निर्भर है।
वैश्विक व्यापार संतुलन में बदलाव:
यह घटनाक्रम वैश्विक व्यापारिक संबंधों के पुनर्संरेखण और बहुपक्षीय वार्ताओं की दिशा में एक कदम है।
राजनयिक संतुलन:
यह नीति यह दर्शाती है कि अमेरिका एक तरफ वार्ता कर रहा है, तो दूसरी तरफ दबाव की राजनीति भी अपना रहा है।