द हिंदू: 8 अगस्त 2025 को प्रकाशित।
समाचार में क्यों?
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं जिसके तहत भारतीय वस्तुओं पर अतिरिक्त 25% शुल्क लगाया गया है, जिससे 31 जुलाई को घोषित शुल्क दर दोगुनी होकर 50% हो गई है।
यह निर्णय भारत द्वारा रूस से तेल आयात करने के चलते लिया गया है — चाहे वह प्रत्यक्ष हो या परोक्ष रूप से।
यह बढ़ा हुआ शुल्क भारतीय निर्यात के लगभग 55% हिस्से को प्रभावित करेगा जो अमेरिका जाता है।
पृष्ठभूमि:
कार्यकारी आदेश 14066 रूस-यूक्रेन युद्ध की प्रतिक्रिया में जारी किया गया था।
भारत ने रूस से रियायती दरों पर तेल खरीदा है, ताकि 1.4 अरब लोगों की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
अमेरिका और यूरोपीय संघ स्वयं अभी भी रूस के साथ व्यापार कर रहे हैं।
भारत की स्थिति स्पष्ट है: तेल आयात बाजार आधारित है और राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित नहीं।
मुख्य मुद्दे
शुल्क प्रभाव:
निर्यातकों को अब 50% आयात शुल्क का सामना करना होगा, जिससे अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा करना कठिन होगा।
भूराजनीतिक तनाव:
अमेरिका मानता है कि भारत का रूस से तेल आयात उसकी यूक्रेन पर दबाव बनाने की नीति को कमजोर कर रहा है।
राजनयिक असर:
भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने इन शुल्कों को "अनुचित, अन्यायपूर्ण और अव्यवहारिक" बताया।
प्रमुख पक्षकार
अमेरिकी सरकार: ट्रंप के आदेश के तहत शुल्क लगा रही है।
भारत सरकार (MEA): कड़ी प्रतिक्रिया में भारत के हितों की रक्षा कर रही है।
भारतीय निर्यातक (FIEO): वैश्विक प्रतिस्पर्धा में नुकसान की चेतावनी दे रहे हैं।
भारत-अमेरिका व्यापार वार्ताकार: द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) की दिशा में काम कर रहे हैं।
प्रतिक्रियाएं:
MEA:
शुल्कों के औचित्य को खारिज किया।
कहा कि भारत के ऊर्जा हितों की रक्षा करना अनिवार्य है।
FIEO:
कहा कि यह "गंभीर झटका" है।
भारत के निर्यातकों को 30–35% की प्रतिस्पर्धात्मक कमी का सामना करना पड़ेगा।
व्यापार विशेषज्ञ:
सलाह दी कि भारत को शांत रहना चाहिए और तत्काल जवाबी कार्रवाई से बचना चाहिए।
कहा कि सार्थक वार्ताएं धमकी या अविश्वास के माहौल में नहीं हो सकतीं।
आर्थिक प्रभाव:
निर्यात में गिरावट: कपड़ा, दवा, इंजीनियरिंग वस्तुएं जैसे क्षेत्र प्रभावित हो सकते हैं।
भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान: अरबों डॉलर के निर्यात प्रभावित हो सकते हैं।
निवेशक विश्वास: व्यापार विवादों से विदेशी निवेश और रुपये की स्थिरता पर असर पड़ सकता है।
भूराजनीतिक प्रभाव:
भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव, विशेष रूप से जब दोनों देश व्यापार समझौते की वार्ता में हैं।
भारत पर अमेरिका का दबाव बढ़ने से भारत की रणनीतिक संतुलन नीति पर असर।
पश्चिमी देशों के दोहरे मापदंड भी उजागर हो रहे हैं — जो खुद रूस से व्यापार कर रहे हैं।
आगे क्या हो सकता है?
भारत की प्रतिक्रिया: संभावना है कि भारत पहले कूटनीतिक रास्ता अपनाएगा, जवाबी शुल्क से बचेगा।
वार्ताएं जारी रहेंगी: 25 अगस्त को नई दिल्ली में अगली बैठक महत्वपूर्ण होगी।
ऊर्जा नीति की समीक्षा: भारत रूस से तेल आयात तभी रोकेगा जब वह आर्थिक रूप से उचित होगा — दबाव में नहीं।
निष्कर्ष:
अमेरिका द्वारा लगाया गया 50% शुल्क वैश्विक व्यापार और रणनीति के क्षेत्र में एक नया टकराव बिंदु बन गया है। इससे भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में अस्थिरता आ सकती है और भारत को अपने राष्ट्रीय हित, ऊर्जा सुरक्षा, और रणनीतिक स्वायत्तता के बीच संतुलन बनाकर चलना होगा।
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