ट्रम्प ने जन्म से अमेरिकी नागरिकता समाप्त करने की घोषणा की:

ट्रम्प ने जन्म से अमेरिकी नागरिकता समाप्त करने की घोषणा की:

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द हिंदू: 22 जनवरी 2025 को प्रकाशित:

 

समाचार में क्यों?

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जन्म से नागरिकता प्रदान करने वाले प्रावधान को समाप्त करने का कार्यकारी आदेश जारी किया।

ट्रंप ने गैर-डॉलर लेनदेन की कोशिश करने वाले ब्रिक्स देशों पर 100% शुल्क लगाने की धमकी दी।

यह कदम अमेरिका में H-1B वीजा पर काम कर रहे हजारों भारतीय पेशेवरों के लिए चिंता का विषय है।

डेमोक्रेटिक राज्यों ने इस कदम को असंवैधानिक बताते हुए मुकदमा दायर किया।

भारत सरकार ने इन घोषणाओं पर चिंता व्यक्त की है।

 

मुख्य आयाम:

नीति में बदलाव:

जन्मसिद्ध नागरिकता:

जन्म से नागरिकता का प्रावधान समाप्त होने से गैर-नागरिक माता-पिता के अमेरिका में जन्मे बच्चों पर प्रभाव पड़ेगा।

यह भारतीय पेशेवरों और अवैध प्रवासियों के लिए परेशानी का कारण बन सकता है।

 

ब्रिक्स देशों पर शुल्क:

गैर-डॉलर व्यापार करने की कोशिश करने पर ब्रिक्स देशों पर 100% शुल्क लगाना आर्थिक संबंधों को अस्थिर कर सकता है।

 

भारतीय नागरिकों पर प्रभाव:

अस्थायी वीज़ा पर अमेरिका में काम करने वाले भारतीय परिवारों के लिए अनिश्चितता बढ़ी।

लगभग 7.25 लाख भारतीय, जिनमें 18,000 निर्वासन सूची में पहले से हैं, सख्त प्रवासन नियमों का सामना कर सकते हैं।

 

कानूनी और कूटनीतिक प्रतिक्रिया:

डेमोक्रेटिक राज्यों ने तर्क दिया कि कार्यकारी आदेश अमेरिकी संविधान का उल्लंघन है।

भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के बीच बैठक निर्धारित।

प्रवासन और शुल्क मुद्दे भारत-अमेरिका रणनीतिक वार्ता का केंद्र होंगे।

 

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान का क्वाड सम्मेलन भारत-अमेरिका सहयोग को दर्शाता है।

गैर-डॉलर लेनदेन पर चर्चा ब्रिक्स देशों और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ा सकती है।

 

प्रभाव:

अमेरिका में घरेलू स्थिति:

प्रवासन नीतियों को लेकर रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स के बीच बढ़ती ध्रुवीकरण।

कानूनी लड़ाई कार्यकारी आदेश के कार्यान्वयन में देरी या रुकावट पैदा कर सकती है।

 

वैश्विक आर्थिक स्थिरता:

ब्रिक्स देशों पर अमेरिकी शुल्क वैश्विक व्यापार संतुलन को प्रभावित कर सकता है।

अमेरिकी दबाव के बावजूद, ब्रिक्स देशों द्वारा गैर-डॉलर लेनदेन को बल मिल सकता है।

 

भारत की रणनीतिक स्थिति:

अमेरिका में भारतीय पेशेवरों और परिवारों के लिए चुनौतियां द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित कर सकती हैं।

भारत को ब्रिक्स में अपनी भूमिका और अमेरिका के साथ रणनीतिक साझेदारी में संतुलन बनाना होगा।

 

आगे का रास्ता:

भारतीय सरकार को भारतीय नागरिकों के हितों की रक्षा के लिए राजनयिक वार्ता करनी चाहिए।

ब्रिक्स देशों को अमेरिकी शुल्क के खिलाफ एकजुट रहना होगा और बातचीत का रास्ता खुला रखना होगा।

अमेरिकी न्यायपालिका इन नीतियों की संवैधानिकता तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

 

निष्कर्ष:

डोनाल्ड ट्रंप के हालिया कार्यकारी आदेश प्रवासन नीतियों में सख्ती और आक्रामक आर्थिक रणनीतियों की ओर संकेत करते हैं। हालांकि यह भारतीय नागरिकों और ब्रिक्स अर्थव्यवस्थाओं के लिए तत्काल चिंता का विषय है, राजनयिक वार्ता और कानूनी चुनौतियां दीर्घकालिक परिणामों को आकार देंगी।

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