द हिंदू: 24 फरवरी 2025 को प्रकाशित:
यह खबर में क्यों है?
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कई बार दावा किया है कि यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) ने भारत में "मतदाता मतदान" (voter turnout) बढ़ाने के लिए $18–21 मिलियन का अनुदान दिया। उनके इस बयान ने विवाद खड़ा कर दिया है, क्योंकि इसमें परस्पर विरोधी दावे हैं और इस आरोप को लेकर कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला है।
प्रमुख मुद्दे:
ट्रंप के विरोधाभासी बयान-
- शुरुआत में, ट्रंप ने USAID फंडिंग की आलोचना की और पूछा कि भारत, जो एक अमीर देश है और जहाँ उच्च टैरिफ हैं, उसे अमेरिकी करदाताओं का पैसा क्यों चाहिए?
- बाद में, उन्होंने दावा किया कि यह फंड पिछली अमेरिकी सरकार द्वारा भारतीय चुनावों को प्रभावित करने के लिए दिया गया था।
- फिर, उन्होंने यह कहते हुए अपना बयान बदला कि यह पैसा भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जा रहा था।
- राशि भी बदलती रही—पहले उन्होंने $21 मिलियन कहा, फिर $18 मिलियन।
DOGE रिपोर्ट पर संदेह:
यह आरोप डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DOGE) द्वारा लगाया गया था, जिसकी अगुवाई एलन मस्क कर रहे हैं, लेकिन इस दावे की प्रामाणिकता संदिग्ध है।
मूल रिपोर्ट में यह कहा गया था कि यह धनराशि "खर्च की जाने वाली थी", यह नहीं बताया गया कि यह पहले ही खर्च हो चुकी थी।
भारतीय मीडिया और वॉशिंगटन पोस्ट की जांच में कोई सबूत नहीं मिला कि USAID ने भारत में "मतदाता मतदान" के लिए कोई धनराशि दी थी।
USAID के अधिकारियों ने भी इस तरह के अनुदान की पुष्टि नहीं की।
सरकारी प्रतिक्रियाएँ और अस्पष्टता
भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने इस आरोप को "गंभीर रूप से परेशान करने वाला" बताया था और कहा था कि संबंधित विभाग इसकी जांच कर रहे हैं।
हालांकि, ट्रंप के नवीनतम बयान के बाद, MEA ने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
DOGE ने भी मीडिया के अनुरोधों का जवाब नहीं दिया कि भारत से जुड़े अनुदानों का विवरण दिया जाए।
इस विवाद के संभावित प्रभाव
- कूटनीतिक चिंताएँ – यदि ट्रंप का दावा झूठा साबित होता है, तो इससे भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव पैदा हो सकता है।
- चुनावी हस्तक्षेप पर बहस – यह आरोप चुनावों में विदेशी फंडिंग और पारदर्शिता पर बड़े सवाल उठाता है।
- राजनीतिक रणनीति – ट्रंप द्वारा भारत का जिक्र बार-बार करना अमेरिकी राष्ट्रवादी और रूढ़िवादी मतदाताओं को लुभाने की रणनीति हो सकती है।
- USAID की विश्वसनीयता – यदि यह आरोप गलत साबित होते हैं, तो इससे USAID की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर सवाल उठ सकते हैं।
आगे क्या होगा?
- अधिक जांच: जैसे-जैसे मीडिया और सरकारी एजेंसियाँ इस दावे की पड़ताल करेंगी, अधिक स्पष्टता मिलेगी।
- आधिकारिक बयान: अमेरिकी सरकार और USAID को इन आरोपों पर विस्तृत रिपोर्ट जारी करनी पड़ सकती है।
- राजनीतिक प्रभाव: ट्रंप के ये बयान अमेरिकी चुनावों में एक मुद्दा बन सकते हैं, खासकर विदेशी सहायता नीति को लेकर।
मुख्य निष्कर्ष:
- ट्रंप ने भारत को लेकर परस्पर विरोधी दावे किए हैं।
- अब तक की जांच में "वोटर टर्नआउट" फंडिंग के कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं।
- भारत सरकार इस मामले को देख रही है, लेकिन अभी कोई नई टिप्पणी नहीं दी गई है।
- यह विवाद गलत जानकारी, राजनीतिक बयानबाजी, और विदेशी वित्त पोषण की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।