द हिंदू:- प्रकाशित: 24 दिसंबर 2025
समाचार में क्यों
भारत के राष्ट्रपति ने विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) अधिनियम, 2025 (VB-G RAM G Act) को मंज़ूरी दे दी है। यह अधिनियम ग्रामीण मजदूरी रोजगार की गारंटी को 100 दिनों से बढ़ाकर 125 दिन करता है, जिससे रोजगार सुरक्षा मज़बूत होती है और मनरेगा के कथित कमजोर होने के दावों का खंडन होता है।
पृष्ठभूमि और संदर्भ
मनरेगा भारत की प्रमुख ग्रामीण रोजगार योजना रही है, जो मांग-आधारित मजदूरी रोजगार के माध्यम से आजीविका सुरक्षा देती है। हालांकि, भुगतान में देरी, प्रक्रियात्मक जटिलताएँ, अस्थायी रोजगार और लीकेज जैसी चुनौतियों ने संरचनात्मक सुधार की आवश्यकता पैदा की। VB-G RAM G अधिनियम रोजगार गारंटी से आगे बढ़कर आजीविका-उन्मुख ग्रामीण विकास की दिशा में बदलाव का प्रतीक है, जो ‘विकसित भारत’ के दृष्टिकोण से जुड़ा है।
VB-G RAM G अधिनियम, 2025 की प्रमुख विशेषताएँ
- प्रति ग्रामीण परिवार गारंटीकृत रोजगार 100 से बढ़ाकर 125 दिन।
- बेरोज़गारी भत्ता प्रक्रियाओं का सरलीकरण, जिससे काम का अधिकार अधिक प्रभावी।
- समयबद्ध शिकायत निवारण व्यवस्था से जवाबदेही में वृद्धि।
- कार्यों की अग्रिम व सहभागी योजना के लिए विकसित ग्राम पंचायत योजनाओं की शुरुआत।\
- मांग-आधारित रोजगार बनाए रखते हुए देरी और लीकेज में कमी पर फोकस।
विकेंद्रीकरण और सहभागी शासन को सुदृढ़ करना
केंद्रीकरण के आरोपों के विपरीत, यह अधिनियम विकेंद्रीकरण को मज़बूत करता है:
- ग्राम पंचायत और ग्राम सभा योजना व क्रियान्वयन की प्रमुख इकाइयाँ बनी रहती हैं।
- ग्राम-स्तरीय योजनाओं का समेकन केवल समन्वय के लिए है, नियंत्रण के लिए नहीं।
- राज्यों से व्यापक परामर्श के बाद कानून लाया गया, जिससे सहकारी संघवाद सुदृढ़ होता है।
मनरेगा के कमजोर होने की भ्रांतियों का निराकरण
मनरेगा के कमजोर होने के दावे तथ्यहीन हैं:
- रोजगार का कानूनी अधिकार न्यायिक रूप से लागू करने योग्य बना रहता है।
- जवाबदेही और प्रवर्तन तंत्र पहले से अधिक मज़बूत।
- कल्याणकारी प्रतिबद्धताओं को विकास उद्देश्यों के साथ जोड़ा गया है, न कि घटाया गया है।
वित्तीय संरचना और निधि व्यवस्था
- केंद्रीय आवंटन ₹2.86 लाख करोड़ से बढ़ाकर ₹2.95 लाख करोड़।
- 60:40 केंद्र–राज्य वित्तपोषण मॉडल बरकरार (विशेष श्रेणी क्षेत्रों के लिए 90:10)।
- नियम-आधारित आवंटन से राज्यों के बीच समानता सुनिश्चित।
- प्राकृतिक आपदाओं, कृषि पीक सीज़न और स्थानीय परिस्थितियों में राज्यों को अधिक लचीलापन, 60 गैर-कार्य दिवस तक का प्रावधान।
प्रदर्शन रुझान और परिणाम
- बजट आवंटन ₹33,000 करोड़ (2013-14) से बढ़कर ₹2.86 लाख करोड़ (2024-25)।
- सृजित व्यक्ति-दिवस 1,660 करोड़ से बढ़कर 3,210 करोड़।
- महिलाओं की भागीदारी 48% से बढ़कर 73%।
- आधार-लिंक्ड प्रणालियों से 99% से अधिक फंड समय पर ट्रांसफर।
- पूर्ण कार्य 153 लाख से बढ़कर 862 लाख, दक्षता में सुधार का संकेत।
यूपीए काल से तुलना
- मजदूरी दरें वादों के बावजूद स्थिर रहीं।
- बजट आवंटन ₹40,100 करोड़ (2010-11) से घटकर ₹33,000 करोड़ (2012-13)।
- CAG रिपोर्ट्स में फर्जी जॉब कार्ड, लीकेज और कम उपयोग के मुद्दे।
- VB-G RAM G अधिनियम इन प्रणालीगत कमियों को दूर करने का नवीनीकरण दृष्टिकोण अपनाता है।
कल्याण–विकास निरंतरता
यह अधिनियम जोड़ता है:
- कल्याण: आजीविका सुरक्षा और आय समर्थन।
- विकास: टिकाऊ ग्रामीण अवसंरचना और उत्पादक परिसंपत्तियों का निर्माण।
यह दृष्टिकोण अस्थायी रोजगार की समस्या को सुधारता है और सूखा व महामारी जैसे झटकों के प्रति ग्रामीण लचीलापन बढ़ाता है।
विकसित भारत के लिए महत्व
- सैचुरेशन डिलीवरी और अन्य ग्रामीण योजनाओं के साथ अभिसरण को बढ़ावा।
- उत्पादकता, अवसंरचना और रोजगार सुरक्षा में सुधार।
- आत्मनिर्भर और सुदृढ़ ग्रामीण अर्थव्यवस्था की नींव मजबूत।
आगे की राह
- कौशल-सम्बद्ध कार्य: PMKVY जैसी स्किल योजनाओं से रोजगार को जोड़ना।
- जलवायु-लचीली परिसंपत्तियाँ: जल संरक्षण, वनीकरण और जलवायु अनुकूलन कार्यों को प्राथमिकता।
- डिजिटल गहनता: रियल-टाइम मॉनिटरिंग व मांग पूर्वानुमान के लिए AI-आधारित डैशबोर्ड।
- शहरी–ग्रामीण अभिसरण: ग्रामीण परिसंपत्तियों को एग्री-वैल्यू चेन, MSME और स्थानीय बाज़ारों से जोड़ना।
- सामाजिक अंकेक्षण को सुदृढ़ करना: स्वतंत्र, समुदाय-नेतृत्व वाले सामाजिक अंकेक्षण को प्रभावी बनाना।
निष्कर्ष
VB-G RAM G अधिनियम, 2025 ग्रामीण रोजगार नीति में एक परिवर्तनकारी सुधार है। गारंटीकृत कार्यदिवस बढ़ाकर, विकेंद्रीकरण सुदृढ़ करके, वित्तीय समर्थन सुधारकर और कल्याण को विकास से जोड़कर, यह भारत की ग्रामीण आजीविका व्यवस्था को आधुनिक बनाता है और विकसित भारत के लक्ष्य को आगे बढ़ाता है।