द हिंदू: 28 अप्रैल 2025 को प्रकाशित:
समाचार में क्यों?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की टैरिफ नीतियों और फेडरल रिजर्व में हस्तक्षेप ने वैश्विक बॉन्ड बाजारों में भारी उथल-पुथल मचा दी है।
मुद्रास्फीति (Inflation) के डर और केंद्रीय बैंक की स्वतंत्रता पर खतरे ने निवेशकों को अमेरिकी बांड बेचने के लिए प्रेरित किया, जिससे बांड प्रतिफल (yield) बढ़ा और डॉलर कमजोर हुआ।
यह स्थिति वैश्विक अर्थव्यवस्था, विशेष रूप से विकासशील देशों के लिए गंभीर खतरा बनती जा रही है।
मुख्य अवधारणाएँ (Key Concepts):
बॉन्ड (Bond): एक वित्तीय साधन जो निश्चित अवधि के बाद एक तय राशि (Face Value) देने का वादा करता है।
यील्ड (Yield): बॉन्ड होल्डर को मिलने वाला रिटर्न। (बॉन्ड कीमत घटे → यील्ड बढ़ती है)
मुद्रास्फीति (Inflation): वास्तविक रिटर्न को कम कर देती है; मुद्रास्फीति के डर से निवेशक बॉन्ड बेचने लगते हैं।
मुद्रा जोखिम (Currency Risk): स्थानीय मुद्रा के अवमूल्यन से विदेशी निवेशकों को नुकसान हो सकता है।
मुख्य मुद्दे:
टैरिफ से बढ़ती महंगाई:
ट्रम्प के टैरिफ से घरेलू स्तर पर वस्तुओं की कीमतें बढ़ रही हैं, जिससे मुद्रास्फीति का दबाव पैदा हो रहा है।
बॉन्ड यील्ड में वृद्धि और डॉलर में गिरावट:
बॉन्ड की कीमतें गिर रही हैं → यील्ड बढ़ रही है।
निवेशक महंगाई के प्रभाव को संतुलित करने के लिए अधिक रिटर्न की मांग कर रहे हैं।
डॉलर कमजोर हो रहा है, जो निवेशकों के भरोसे में गिरावट दर्शाता है।
ट्रम्प बनाम फेडरल रिजर्व:
ट्रम्प ने फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल को "हारने वाला" करार दिया।
फेड पर दबाव डालना बाजार में और अस्थिरता पैदा कर रहा है।
वैश्विक पूंजी का पलायन:
निवेशक अमेरिकी परिसंपत्तियों से पैसा निकाल रहे हैं।
जर्मनी जैसी स्थिर अर्थव्यवस्थाएं अब निवेश का नया केंद्र बन रही हैं (स्थिर मुद्रास्फीति और यूरो मुद्रा की मजबूती)।
व्यापक आर्थिक प्रभाव:
विकासशील देशों पर असर:
भारत जैसे देशों में भी महंगाई के डर से वित्तीय घाटा सीमित करने के लिए कानून (जैसे FRBM Act, 2003) लाए गए हैं।
वैश्विक अनिश्चितता में वृद्धि:
अमेरिका के सुरक्षित निवेश स्थल (Safe Haven) का स्थान खोने से पूरी दुनिया में अर्थिक अस्थिरता बढ़ेगी।
व्यापार बाधित होगा, जिससे निर्यात और कमाई प्रभावित होगी।
विकासशील देशों से पूंजी का पलायन हो सकता है।
सारांश (The Gist):