द हिंदू: 11 मई 2025 को प्रकाशित:
समाचार में क्यों है?
7 मई 2025 को भारत ने 'ऑपरेशन सिन्दूर' के अंतर्गत पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) और पाकिस्तान में 9 आतंकवादी ठिकानों पर हमला किया।
इस कार्रवाई में हिज्बुल मुजाहिदीन, LeT और JeM के 5 शीर्ष आतंकवादियों को मार गिराया गया।
पाकिस्तान में LeT मुख्यालय मुरिदके में भारतीय हमले में मारे गए आतंकियों को राजकीय सम्मान दिए गए — जिसमें पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर और पंजाब की मुख्यमंत्री मरियम नवाज़ द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
यह घटना पाकिस्तान की आतंकवाद समर्थक नीति और सेना-आतंकी गठजोड़ को फिर उजागर करती है।
मुख्य पक्षकार:
भारत:
आतंकवाद के खिलाफ पूर्व-सक्रिय रणनीति अपनाकर हमला किया।
अपनी संप्रभुता की रक्षा और आतंकवादी नेटवर्क के सफाए का संदेश दिया।
दावा किया कि आतंकवादी ठिकानों पर निशाना साधा गया और ऑपरेशन सफल रहा।
पाकिस्तान:
भारत के दावों को खारिज किया, लेकिन आतंकियों को राजकीय सम्मान देना उसकी संलिप्तता को दर्शाता है।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर आलोचना का सामना कर रहा है।
पाकिस्तान की सेना और राजनीतिक नेतृत्व की भूमिका पर सवाल उठे।
आतंकी संगठन:
हिज्बुल, LeT और JeM — तीनों कट्टर इस्लामी विचारधारा और भारत विरोधी एजेंडे से संचालित।
पाकिस्तान में आधार, प्रशिक्षण केंद्र और आर्थिक मदद इन्हें ISI और अन्य संगठनों से मिलती रही है।
इन संगठनों ने 2001 संसद हमला, 2008 मुंबई हमला और 2019 पुलवामा हमला जैसे भीषण हमले किए हैं।
पृष्ठभूमि विवरण:
1. हिज्बुल मुजाहिदीन
स्थापना: 1989, पाकिस्तानी संगठन जमात-ए-इस्लामी का सशस्त्र विंग।
मुख्यालय: मुज़फ्फराबाद (PoK), संचालन: कश्मीर घाटी में।
प्रमुख: सैयद सलाहुद्दीन (मोहम्मद यूसुफ शाह)।
अमेरिका द्वारा 2017 में आतंकी संगठन घोषित।
2. लश्कर-ए-तैयबा (LeT)
स्थापना: 1990, मुख्यालय: मुरिदके, पंजाब।
प्रमुख: हाफिज सईद, वर्तमान में 'टेरर फाइनेंसिंग' के आरोप में जेल में।
भारत, अमेरिका और इज़राइल इसके मुख्य निशाने।
26/11 मुंबई हमला, अक्षरधाम हमला, बेंगलुरु, दिल्ली, हैदराबाद में बम धमाके किए।
3. जैश-ए-मोहम्मद (JeM):
स्थापना: 2000, संस्थापक: मौलाना मसूद अजहर (1999 कंधार अपहरण के बाद रिहा हुआ)।
उद्देश्य: J&K से भारतीय सेना की वापसी और भारत के कुछ हिस्सों पर कब्जा।
हमले: 2001 संसद हमला, 2016 पठानकोट एयरबेस हमला, 2019 पुलवामा हमला।
मुख्यालय: बहावलपुर, हाल ही में भारतीय स्ट्राइक में नष्ट।
भू-राजनीतिक प्रभाव:
भारत-पाक संबंधों में तनाव और बढ़ेगा।
पाकिस्तान की भूमिका पर अंतरराष्ट्रीय दबाव और बढ़ सकता है (FATF, UN, आदि)।
दक्षिण एशिया की सुरक्षा को गहरी चुनौती।
पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान की आतंकी गतिविधियों में भूमिका पर अंतरराष्ट्रीय आलोचना।
सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी प्रभाव:
भारत की 'बालाकोट नीति' का विस्तार, अब 'ऑपरेशन सिन्दूर' के रूप में।
भविष्य में प्रारंभिक कार्रवाई (pre-emptive strikes) की रणनीति को और बल मिलेगा।
J&K और सीमावर्ती इलाकों में सुरक्षा सतर्कता और बढ़ेगी।
जनमत और संदेश:
पाकिस्तान द्वारा आतंकियों को सम्मान देना, दुनिया को नकारात्मक संदेश देता है।
भारत की कार्यवाही से उसकी सख्त आतंकवाद विरोधी नीति स्पष्ट हुई।
देश में जनसामान्य का मनोबल बढ़ा, वैश्विक मंच पर भारत की छवि सुदृढ़ हुई।
निष्कर्ष:
हिज्बुल मुजाहिदीन, LeT और JeM जैसे आतंकी संगठनों को पाकिस्तान की सरकार, सेना और खुफिया एजेंसी ISI का प्रत्यक्ष समर्थन मिलता रहा है।
ऑपरेशन सिन्दूर भारत की एक साहसिक, सटीक और संदेशवाहक कार्रवाई है, जो आतंकवाद के विरुद्ध न्यूनतम सहनशीलता (Zero Tolerance) की नीति का परिचायक है।
यह कार्रवाई न केवल भारत की सुरक्षा रणनीति को सशक्त करती है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को भी पाकिस्तान की भूमिका पर पुनर्विचार के लिए प्रेरित करती है।