द हिंदू: 28 फरवरी 2025 को प्रकाशित:
यह खबर में क्यों है?
अमेरिकी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) ने गौतम अडानी और सागर अडानी को समन (summons) भेजने के लिए हेग सेवा संधि (Hague Service Convention) के तहत भारत सरकार की सहायता मांगी है। SEC ने अनुच्छेद 5(a) का हवाला देते हुए भारत के विधि एवं न्याय मंत्रालय से इस प्रक्रिया को पूरा करने का अनुरोध किया है। भारत द्वारा इस संधि पर कुछ आपत्तियाँ दर्ज कराने और वैकल्पिक सेवा विधियों को प्रतिबंधित करने के कारण यह मामला कानूनी और राजनयिक रूप से महत्वपूर्ण हो गया है।
प्रमुख मुद्दे:
हेग सेवा संधि क्या है?
दस्तावेज़ों की सेवा के कई तरीके उपलब्ध हैं, जैसे:
SES अडानी समूह पर समन कैसे भेज रहा है?
अनुच्छेद 5(a) लागू: SEC ने भारत के विधि एवं न्याय मंत्रालय से अनुरोध किया है कि वह अडानी समूह को समन भेजे।
वैकल्पिक विधियों की खोज: SEC संघीय नियम 4(f) के तहत अन्य तरीकों से सेवा करने के विकल्प भी तलाश रहा है।
अमेरिकी कार्यकारी आदेश की चुनौती: ट्रंप प्रशासन ने विदेशी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (FCPA) को 180 दिनों के लिए निलंबित कर दिया। हालांकि, SEC का मानना है कि यह प्रतिबंध पूर्वव्यापी रूप से लागू नहीं होता, इसलिए अडानी समूह की जांच जारी रहेगी।
भारत ने हेग सेवा संधि पर क्या आपत्तियाँ दर्ज कराई हैं?
भारत ने 2006 में संधि को स्वीकार किया, लेकिन कुछ सख्त शर्तों के साथ:
भारत में समन प्रक्रिया इस प्रकार कार्य करती है:
SEC अनुरोध भेजता है → भारत के विधि एवं न्याय मंत्रालय को।
मंत्रालय अनुरोध की समीक्षा करता है और उसे स्वीकार या अस्वीकार कर सकता है।
यदि अनुरोध स्वीकार किया जाता है, तो समन भारतीय अदालतों के माध्यम से भेजा जाता है।
सेवा पूरी होने पर, भारत सरकार SEC को सेवा प्रमाणपत्र जारी करती है।
इस पूरी प्रक्रिया में आमतौर पर 6-8 महीने लगते हैं।
क्या अमेरिकी अदालत डिफ़ॉल्ट निर्णय सुना सकती है?
यदि भारत समय पर कार्रवाई नहीं करता, तो हेग संधि के अनुच्छेद 15 के तहत डिफ़ॉल्ट निर्णय (default judgment) जारी किया जा सकता है।
डिफ़ॉल्ट निर्णय जारी करने के लिए शर्तें:
कम से कम छह महीने बीत चुके हों।
सेवा प्रमाण पत्र नहीं मिला हो, बावजूद इसके कि इसे प्राप्त करने का हर संभव प्रयास किया गया हो।
हेग संधि की मान्य विधियों के तहत अनुरोध भेजा गया हो।
भारत के कानून के तहत, यदि अनुच्छेद 15 की सभी शर्तें पूरी होती हैं, तो डिफ़ॉल्ट निर्णय जारी किया जा सकता है।
उदाहरण: Duong v. DDG BIM Services LLC (2023) मामले में, अमेरिकी अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि भारत की केंद्रीय प्राधिकरण सेवा में विफल रहता है, तो अमेरिका में डिफ़ॉल्ट निर्णय दिया जा सकता है।
इस मामले के प्रभाव-
राजनयिक संवेदनशीलता – यह मामला भारत-अमेरिका कानूनी सहयोग को प्रभावित कर सकता है।
कानूनी मिसाल – यदि भारत SEC के अनुरोध को अस्वीकार करता है, तो यह भविष्य के अंतर्राष्ट्रीय मामलों के लिए मिसाल बन सकता है।
समय प्रबंधन – 6-8 महीने की देरी के कारण, SEC को कानूनी और राजनयिक बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है।
डिफ़ॉल्ट निर्णय का खतरा – यदि भारत कार्रवाई नहीं करता, तो अमेरिकी अदालत अडानी समूह के खिलाफ डिफ़ॉल्ट निर्णय दे सकती है।
आगे क्या हो सकता है?
भारत का विधि मंत्रालय SEC के अनुरोध की समीक्षा करेगा और इसे स्वीकार या अस्वीकार कर सकता है।
यदि अनुरोध स्वीकार किया जाता है, तो समन भेजा जाएगा और मामला कानूनी प्रक्रिया के तहत आगे बढ़ेगा।
यदि अनुरोध अस्वीकार किया जाता है, तो अमेरिकी अदालत डिफ़ॉल्ट निर्णय जारी कर सकती है।
इस मामले पर कानूनी विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं की बारीकी से नजर रहेगी, क्योंकि यह भविष्य के अंतर्राष्ट्रीय कानूनी मामलों को प्रभावित कर सकता है।
मुख्य निष्कर्ष-