‘भ्रष्ट सौर परियोजना’: रिश्वतखोरी ‘योजना’ के अमेरिकी निष्कर्षों में अडानी उलझे: द हिंदू: 28 नवंबर 2024 को प्रकाशित:

‘भ्रष्ट सौर परियोजना’: रिश्वतखोरी ‘योजना’ के अमेरिकी निष्कर्षों में अडानी उलझे: द हिंदू: 28 नवंबर 2024 को प्रकाशित:

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खबर में क्यों है?

भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी, और अडानी ग्रीन व एज्योर पावर के कई अधिकारियों को अमेरिकी अभियोजकों द्वारा “द करप्ट सोलर प्रोजेक्ट” नामक रिश्वतखोरी योजना में शामिल होने का आरोप लगाया गया है। इस योजना में भारत में सरकारी अधिकारियों को $265 मिलियन (लगभग ₹2200 करोड़) की रिश्वत देने का आरोप है,  ताकि सोलर ऊर्जा परियोजनाओं में अनुचित व्यापारिक लाभ प्राप्त किया जा सके।

सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) द्वारा जारी निविदाओं को हासिल करने के लिए यह रिश्वतखोरी योजना बनाई गई थी। हालांकि, अडानी समूह ने इन आरोपों को “बेबुनियाद” बताया है, और भारत सरकार के अधिकारियों ने इस पर अभी तक कोई औपचारिक बयान नहीं दिया है।

 

मुख्य आरोप:

रिश्वतखोरी योजना और साजिश:

गौतम अडानी और अन्य अधिकारियों पर अडानी ग्रीन और एज्योर पावर के माध्यम से भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देकर परियोजनाओं के अनुबंध हासिल करने का आरोप है।

इस योजना में $265 मिलियन (₹2200 करोड़) तक रिश्वत दी गई।

 

निवेशकों को गुमराह करना:

अडानी समूह पर भारतीय स्टॉक एक्सचेंज और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को गलत जानकारी देने का आरोप है, जबकि उन्हें इस मामले की चल रही जांच की जानकारी थी।

2021 से 2024 के बीच, अडानी समूह ने अमेरिकी निवेशकों से $3 बिलियन से अधिक जुटाए, जिसमें से $175 मिलियन (₹1400 करोड़) 2021 में अडानी ग्रीन की बॉन्ड पेशकश से जुटाए गए।

 

सागर अडानी की भूमिका:

सागर अडानी, जो अडानी ग्रीन के कार्यकारी निदेशक और गौतम अडानी के भतीजे हैं, पर आरोप है कि उन्होंने रिश्वत की जानकारी अधिकारियों के साथ साझा करने के लिए अपने मोबाइल फोन का उपयोग किया।

 

एज्योर पावर अधिकारियों की भागीदारी:

एज्योर पावर के अधिकारियों ने वित्तीय योजनाएं और प्रेजेंटेशन तैयार कीं (Excel और PowerPoint का उपयोग करके), ताकि अडानी ग्रीन को उनकी दी गई रिश्वत के खर्चों को पुनः प्राप्त करने में मदद मिल सके।

 

रिश्वत कैसे दी गई?

भुगतान की प्रक्रिया:

SECI (सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया) से लाभकारी अनुबंध प्राप्त करने के लिए भारतीय अधिकारियों को रिश्वत दी गई।

कुछ परियोजनाओं के लिए $30,000 प्रति मेगावाट (लगभग ₹24 लाख) के हिसाब से रिश्वत देने का दस्तावेजी प्रमाण मिला।

 

मुख्य भूमिका निभाने वाले व्यक्ति:

सागर अडानी ने रिश्वतखोरी की संचार प्रक्रिया का प्रबंधन किया और यह सुनिश्चित किया कि भुगतान बिना किसी बाधा के हो।

एज्योर पावर के अधिकारियों ने अडानी ग्रीन के खर्चों को पुनः प्राप्त करने के लिए वित्तीय दस्तावेज तैयार किए।

 

दस्तावेजी साक्ष्य:

ईमेल, स्प्रेडशीट, और प्रेजेंटेशन जैसे दस्तावेज मिले हैं, जिनसे यह रिश्वतखोरी योजना स्पष्ट होती है।

 

प्रश्नगत परियोजनाएं:

SECI निविदाएं:

आरोप 2019 और 2020 के बीच जारी SECI की नवीकरणीय ऊर्जा निविदाओं पर केंद्रित हैं, जिन्हें अडानी ग्रीन और एज्योर पावर ने हासिल किया।

 

खावड़ा एनर्जी पार्क:

इसमें खावड़ा एनर्जी पार्क प्रमुख परियोजना है, जिसे अडानी समूह दुनिया का सबसे बड़ा नवीकरणीय ऊर्जा पार्क कहता है।

यह परियोजना कथित रिश्वतखोरी योजना का प्रमुख लाभार्थी है।

 

अन्य नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएं:

इन निविदाओं और समझौतों ने अडानी ग्रीन और एज्योर पावर को भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में प्रमुख स्थान दिलाने में मदद की, जबकि यह प्रक्रिया प्रतिस्पर्धा के मूल सिद्धांतों के खिलाफ थी।

 

FBI जांच:

जांच की शुरुआत:

मार्च 2023 में, FBI ने इस कथित भ्रष्टाचार की जांच शुरू की और अडानी समूह के वित्तीय और संचार रिकॉर्ड को खंगाला।

 

साक्ष्य संग्रह:

  • FBI ने सागर अडानी से पूछताछ के लिए सर्च वारंट और समन जारी किए।
  • सागर अडानी के पास से इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य (ईमेल, वित्तीय रिकॉर्ड और प्रेजेंटेशन) जब्त किए गए।

 

ग्रैंड जूरी की भागीदारी:

  • मामले की गहन जांच के लिए ग्रैंड जूरी समन जारी किए गए।
  • अब तक मिले साक्ष्य से यह साबित होता है कि यह रिश्वतखोरी योजना सुनियोजित और व्यवस्थित थी।

 

FBI की जांच का फोकस:

  • रिश्वत की राशि और उनके वितरण का विवरण।
  • अडानी ग्रीन और एज्योर पावर के बीच वित्तीय समझौते का विश्लेषण।
  • फंड्स के प्रवाह को ट्रैक करना, जिसमें विदेशी खातों या अवैध चैनलों की संभावना भी शामिल है।
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