16 फरवरी को, भुवनेश्वर स्थित कलिंगा इंस्टिट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (KIIT) में पढ़ने वाली नेपाल की तीसरे वर्ष की एक छात्रा ने आत्महत्या कर ली।
जांच में पता चला कि एक पुरुष छात्र द्वारा लगातार उत्पीड़न के कारण छात्रा ने यह कदम उठाया।
नेपाल के छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया, क्योंकि मृत छात्रा ने कई बार उत्पीड़न की शिकायत की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।
KIIT ने नेपाली छात्रों को परिसर खाली करने का आदेश दिया, जिससे भारी आक्रोश फैला और नेपाल सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ा।
बाद में, KIIT ने अपना आदेश वापस ले लिया, लेकिन इस घटना ने भारतीय संस्थानों में नेपाली छात्रों के साथ हो रहे व्यवहार पर गंभीर सवाल खड़े किए।
1️. भारत में विदेशी छात्रों का नामांकन
ऑल इंडिया सर्वे ऑन हायर एजुकेशन (AISHE) 2021-22 के अनुसार, भारत में पढ़ने वाले विदेशी छात्रों में नेपाल की सबसे अधिक भागीदारी (28%) है।
नेपाल के छात्र भारत के 180 से अधिक विश्वविद्यालयों और संस्थानों में नामांकित हैं, जिनमें IITs, IISc और KIIT जैसी निजी संस्थाएं भी शामिल हैं।
अधिकतर नेपाली छात्र स्नातक स्तर (UG) की पढ़ाई करते हैं, लेकिन PHD नामांकन में भी धीरे-धीरे वृद्धि हो रही है।
2️. नेपाल और भारत के बीच ऐतिहासिक शैक्षिक संबंध
नेपाल की शिक्षा प्रणाली का भारत से गहरा ऐतिहासिक संबंध रहा है, जिसकी जड़ें गुरुकुल प्रणाली तक जाती हैं।
राणा शासनकाल में नेपाल में शिक्षा केवल उच्च वर्ग तक सीमित थी, जिससे मध्यम और निम्न वर्ग के लोगों को बनारस, पटना, देहरादून और दार्जिलिंग जैसे भारतीय शहरों में पढ़ाई के लिए जाना पड़ता था।
नेपाल का पहला कॉलेज, त्रि-चंद्र कॉलेज (1918), पहले कलकत्ता विश्वविद्यालय और फिर पटना विश्वविद्यालय से संबद्ध था।
1959 से पहले, नेपाल में स्नातकोत्तर (PG) स्तर की शिक्षा उपलब्ध नहीं थी, इसलिए नेपाली विद्वान भारत में उच्च शिक्षा प्राप्त करते थे।
1971 में नेपाल ने नई शिक्षा प्रणाली (NESP) लागू की, लेकिन इसके बावजूद भारतीय संस्थानों में नेपाली छात्रों का प्रवाह जारी रहा।
3️. नेपाल की शिक्षा प्रणाली पर औपनिवेशिक प्रभाव
नेपाल कभी भी ब्रिटिश उपनिवेश नहीं रहा, लेकिन इसकी शिक्षा प्रणाली पर औपनिवेशिक भारत का गहरा प्रभाव पड़ा।
यह प्रभाव दो प्रमुख तरीकों से आया:
नेपाल के कॉलेजों को भारतीय विश्वविद्यालयों से संबद्ध किया गया, जिससे नेपाल अपनी स्वतंत्र शैक्षिक पहचान विकसित नहीं कर सका।
नेपाल में पढ़ाने वाले लगभग सभी शिक्षक भारतीय विश्वविद्यालयों से प्रशिक्षित थे, जिससे वे भारतीय पाठ्यक्रम और पद्धति का अनुसरण करने लगे।
1950 के दशक के बाद, नेपाल ने "नेपालीकरण" की कोशिश की, लेकिन ब्रिटिश भारत की शिक्षा प्रणाली का प्रभाव लंबे समय तक बना रहा।
4️. KIIT घटना और भारत-नेपाल संबंधों पर प्रभाव
भारत-नेपाल शांति संधि (1950) दोनों देशों के नागरिकों को समान अधिकार देने की गारंटी देती है।
अनुच्छेद 6 के तहत, भारतीय और नेपाली नागरिकों को एक-दूसरे के देश में राष्ट्रीय स्तर पर समान व्यवहार दिया जाना चाहिए।
अनुच्छेद 7 के अनुसार, दोनों देशों के नागरिकों को रहने, संपत्ति रखने, व्यापार करने और स्वतंत्र रूप से यात्रा करने के अधिकार दिए गए हैं।
KIIT की घटना इन प्रावधानों का उल्लंघन करती है, जिससे भारत-नेपाल कूटनीतिक संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
निष्कर्ष:
शिक्षा में सुधार और समानता की आवश्यकता
भारतीय विश्वविद्यालयों को सभी छात्रों के लिए समान अवसर और सुरक्षित शैक्षिक माहौल सुनिश्चित करना चाहिए, चाहे वे किसी भी देश से हों।
नेपाल और भारत के बीच लंबे समय से चला आ रहा शैक्षिक संबंध बहुत मूल्यवान है, जिसे आपसी सम्मान और नीतिगत सुधारों द्वारा मजबूत किया जाना चाहिए।
मेजबान संस्थानों को अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा मानकों का पालन करना चाहिए, ताकि भेदभावपूर्ण व्यवहार और छात्र उत्पीड़न जैसी घटनाओं को रोका जा सके।