द हिंदू: 7 फरवरी 2025 को प्रकाशित:
समाचार का विश्लेषण:
चर्चा में क्यों है?
अमेरिकी डॉलर में जबरदस्त उछाल आया है, जिससे यह दो साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है, और नेट लॉन्ग पोजीशन नौ वर्षों में सबसे अधिक हो गई है।
कॉर्पोरेट ट्रेज़रर (वित्तीय प्रबंधक) मुद्रा विनिमय में उतार-चढ़ाव से बचने के लिए हेजिंग बढ़ा रहे हैं।
अमेरिकी अर्थव्यवस्था की मजबूती और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार नीतियां डॉलर को ऊंचा बनाए रख रही हैं।
डॉलर की मजबूती के प्रमुख कारण
स्पेकुलेटिव निवेश: निवेशकों द्वारा डॉलर पर बड़े पैमाने पर दांव लगाने से इसकी मांग और मूल्य बढ़ रहा है।
आर्थिक विकास: अमेरिकी अर्थव्यवस्था की मजबूती डॉलर को समर्थन दे रही है।
व्यापार नीतियां और टैरिफ: मैक्सिको, कनाडा और चीन पर लगाए गए टैरिफ डॉलर को और मजबूत कर रहे हैं।
कॉर्पोरेट सेक्टर पर प्रभाव
हेजिंग गतिविधि में वृद्धि:
कंपनियां फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट, स्वैप और ऑप्शंस जैसी मुद्रा हेजिंग तकनीकों का अधिक उपयोग कर रही हैं।
छोटी कंपनियों के लिए बजट और संसाधनों की सीमाओं के कारण यह चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर प्रभाव:
Apple और Microsoft जैसी कंपनियों ने चेतावनी दी है कि मजबूत डॉलर से उनकी आय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
निर्यातकों को नुकसान होगा क्योंकि अमेरिकी उत्पाद वैश्विक बाजार में महंगे हो जाएंगे।
कैश फ्लो और सप्लाई चेन जोखिम:
व्यापारिक अनिश्चितताओं के कारण कंपनियों के लिए आय का पूर्वानुमान लगाना मुश्किल हो रहा है।
कई कंपनियों को अपनी आपूर्ति श्रृंखला को समायोजित करना पड़ सकता है।
बाजार और आर्थिक प्रभाव
फॉरेक्स अस्थिरता: डॉलर की मजबूती और व्यापार अनिश्चितता के कारण मुद्रा बाजार में भारी उतार-चढ़ाव हो रहा है।
कॉर्पोरेट वित्तीय योजना: बड़ी और छोटी कंपनियां अब अपने जोखिम को कम करने के लिए नई रणनीतियां अपना रही हैं।
दीर्घकालिक मुद्रा दृष्टिकोण: यदि टैरिफ जारी रहे, तो मजबूत डॉलर वैश्विक व्यापार संतुलन को प्रभावित कर सकता है।
जोखिम और चुनौतियां
व्यापार युद्ध की आशंका: बढ़ते व्यापार विवाद कंपनियों की हेजिंग रणनीतियों को विफल कर सकते हैं।
आय पर दबाव: वैश्विक स्तर पर कारोबार करने वाली कंपनियों को मुद्रा रूपांतरण हानि का सामना करना पड़ सकता है।
आर्थिक अनिश्चितता: डॉलर की निरंतर मजबूती मुद्रास्फीति, ब्याज दरों और वैश्विक पूंजी प्रवाह को प्रभावित कर सकती है।