स्टारलिंक का भारत में संघर्ष: स्पेक्ट्रम, निगरानी और कनेक्टिविटी:

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द हिंदू: 30 अप्रैल 2025 को प्रकाशित: 

 

समाचार में क्यों है?

SpaceX की सैटेलाइट इंटरनेट सेवा Starlink भारत में सेवाएं शुरू करने के लिए प्रयास कर रही है, लेकिन उसे विभिन्न कानूनी और सुरक्षा संबंधी अड़चनों का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीण भारत में इंटरनेट पहुंच बढ़ाने की इसकी योजना, स्पेक्ट्रम आवंटन, राष्ट्रीय सुरक्षा, और स्थानीय नियमों के अनुपालन जैसे मुद्दों में उलझ गई है।

 

मुख्य मुद्दा क्या है?

Starlink का लक्ष्य भारत के दुर्गम ग्रामीण इलाकों में उच्च गति इंटरनेट देना है, जहां पारंपरिक नेटवर्क नहीं पहुंच पाते।

लेकिन इसके लिए उसे भारत के विस्तृत कानूनी ढांचे का पालन करना होगा जो दूरसंचार, स्पेस नीति, डेटा सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है।

कई मंत्रालयों की मंजूरी, स्पेक्ट्रम मूल्य निर्धारण, और सुरक्षा क्लियरेंस की प्रक्रिया में देरी के कारण Starlink की शुरुआत अटकी हुई है।

 

प्रमुख कानूनी व नियामक ढांचा:

भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 – Starlink को VSAT लाइसेंस लेना होगा।

दूरसंचार अधिनियम, 2023 – सैटेलाइट स्पेक्ट्रम के आवंटन और मूल्य निर्धारण को नियंत्रित करता है।

सैटेलाइट कम्युनिकेशन नीति, 2000 – ISRO व IN-SPACe के साथ समन्वय जरूरी।

TRAI अधिनियम, 1997 – स्पेक्ट्रम और प्रतिस्पर्धा से जुड़े सुझाव देने की भूमिका।

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 और डिजिटल व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा अधिनियम, 2023 – डेटा गोपनीयता, एन्क्रिप्शन, और साइबर सुरक्षा से संबंधित नियम लागू होते हैं।

गृह मंत्रालय और खुफिया एजेंसियां – राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर अंतिम मंजूरी देती हैं। 

 

Starlink की मंजूरी में देरी के कारण:

VSAT लाइसेंस के लिए तकनीकी और वित्तीय जांच की लंबी प्रक्रिया।

Ku और Ka बैंड के लिए स्पेक्ट्रम मूल्य निर्धारण पर विवाद।

विदेशी स्वामित्व और सुरक्षा जोखिम को लेकर गहन छानबीन।

ISRO से ऑर्बिटल समन्वय और IN-SPACe की औपचारिकताएं।

इन सभी कारणों से व्यवसायिक लागत बढ़ रही है और निवेशक विश्वास में कमी हो सकती है।

 

सुरक्षा और निगरानी संबंधी चिंताएं:

Starlink उपकरणों के गलत इस्तेमाल की खबरों ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है।

सरकार चाहती है कि Starlink डेटा ट्रैकिंग, वैध इंटरसेप्शन, और यूज़र पहचान की कड़ी व्यवस्था अपनाए।

SpaceX को पारदर्शिता और सहयोग के जरिए भरोसा फिर से कायम करना होगा।

 

भारत में Starlink की संभावित लागत:

सेवा शुरू करने की लागत उच्च होने की संभावना है क्योंकि:

सैटेलाइट पर निवेश,

लाइसेंस फीस,

और उपकरण (डिश, राउटर) की कीमतें अधिक होंगी।

ग्रामीण गरीबों के लिए यह सेवा सस्ती नहीं होगी, जब तक कि सरकार सब्सिडी या डिजिटल समावेशन योजनाएं न लाए।

शुरुआत में यह सेवा संस्थानों या संपन्न ग्रामीण उपयोगकर्ताओं को लक्षित कर सकती है।

 

भारत के लिए Starlink क्यों जरूरी है?

यह ग्रामीण और शहरी भारत के बीच डिजिटल खाई को भर सकता है।

स्वास्थ्य, शिक्षा, ई-गवर्नेंस, आपदा प्रबंधन आदि क्षेत्रों में इंटरनेट की पहुंच को क्रांतिकारी रूप से बढ़ा सकता है।

यह भारत के डिजिटल महाशक्ति बनने के लक्ष्य को पूरा करने में सहायक हो सकता है।

 

वैश्विक परिप्रेक्ष्य में Starlink का महत्व:

Starlink का अनुभव बताता है कि तकनीक, संप्रभुता और कानून के बीच संतुलन कैसे जरूरी है।

यह दर्शाता है कि विदेशी तकनीकी कंपनियों को स्थानीय ढांचे के अनुरूप ढलना होगा।

साथ ही, राष्ट्रीय सुरक्षा डिजिटल नीति का अभिन्न हिस्सा है।

 

निष्कर्ष:

Starlink की भारत में शुरुआत केवल एक तकनीकी सेवा नहीं है, यह एक प्रतीकात्मक प्रयास है — जो ग्रामीण-शहरी अंतर, अवसरों, और आवाज व दृश्यता को एक मंच पर लाने की कोशिश है।

भारत को पारदर्शी, पूर्वानुमेय और नवाचार के अनुकूल नियामक माहौल तैयार करना होगा, ताकि Starlink जैसे प्रयास न केवल संभव हो सकें, बल्कि समावेशी विकास के वाहक बन सकें।

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