द हिंदू: 9 दिसंबर 2025 को प्रकाशित।
ख़बर में क्यों?
अमेरिका की नई defence-tech स्टार्टअप कंपनियों ने पिछले वर्ष में पेंटागन (अमेरिकी रक्षा विभाग) से मिलने वाले कॉन्ट्रैक्ट्स में अपनी हिस्सेदारी लगभग दोगुनी कर ली है।
रूस–यूक्रेन युद्ध के बाद ड्रोन और स्वचालित हथियारों की बढ़ती मांग ने इन कंपनियों की वैल्यूएशन को तेज़ी से बढ़ाया है।
लेकिन अब ये कंपनियाँ एक बड़ी चुनौती का सामना कर रही हैं—अनुसंधान/प्रोटोटाइप से बड़े पैमाने पर हथियार उत्पादन की ओर बढ़ना।
पृष्ठभूमि:
यूक्रेन युद्ध ने दिखाया कि आधुनिक युद्धों में ड्रोन, AI-संचालित सिस्टम और स्वचालित हथियार निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।
इस कारण पेंटागन अब पारंपरिक बड़ी कंपनियों (जैसे बोइंग, लॉकहीड मार्टिन आदि) पर निर्भरता कम कर नई तकनीकी कंपनियों को शामिल करना चाहता है।
वर्षों से यह बाज़ार “प्राइम” कॉन्ट्रैक्टर्स द्वारा नियंत्रित था, लेकिन अब स्टार्टअप्स उसकी दीवारों को धीरे-धीरे तोड़ रहे हैं।
मुख्य विवरण:
A. रक्षा स्टार्टअप्स की बढ़ती वैल्यूएशन
Saronic Technologies → $4 बिलियन (ड्रोन बोट निर्माता)
Anduril Industries → $30 बिलियन (स्वचालित हथियार और AI सिस्टम)
Chaos Industries → $4.5 बिलियन (रडार और सेंसर टेक्नॉलॉजी)
B. पेंटागन की नई रणनीति:
अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हिगसेथ ने कहा कि:
“प्राइम-डॉमिनेटेड” रक्षा संस्कृति से बाहर निकलना होगा।
तेज़ उत्पादन और नए हथियारों की तैनाती के लिए चुस्त (agile) व्यावसायिक कंपनियों को लाया जाएगा।
पूरी Defence Acquisition System को बदला जाएगा ताकि परिणाम-आधारित, तेज़ डिलीवरी संभव हो।
C. सबसे बड़ी चुनौती — उत्पादन को स्केल करना
एक हथियार का प्रोटोटाइप बनाना आसान,
लेकिन उसे हज़ारों की संख्या में बनाना बेहद कठिन है।
समस्याएँ:
बड़े कारखानों की कमी
सप्लाई चेन का अभाव
skilled वर्कफोर्स की कमी
सैन्य ग्रेड मानकों पर उत्पादन का अनुभव नहीं
वर्तमान चुनौतियाँ:
A. पुरानी नौकरशाही और सिस्टम
पेंटागन की प्रक्रियाएँ धीमी और जटिल हैं।
स्टार्टअप्स को ज़्यादातर सिर्फ प्रोटोटाइप कॉन्ट्रैक्ट (10–30 मिलियन डॉलर) ही मिलते हैं, बड़े प्रोडक्शन कॉन्ट्रैक्ट नहीं।
B. राजनीतिक और कॉर्पोरेट दबाव
पुरानी रक्षा कंपनियाँ (Primes) भारी लॉबिंग और राजनीतिक नेटवर्क रखती हैं।
उनके कॉन्ट्रैक्ट हज़ारों नौकरियों से जुड़े हैं, इसलिए उन्हें हटाना मुश्किल है।
C. निजी कंपनियों के लिए धन और अनुभव की कमी
वैल्यूएशन ऊँची है, पर उत्पादन के लिए आवश्यक भारी निवेश और इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं।
D. सीमित बाजार
पेंटागन 92% कॉन्ट्रैक्ट बड़े रक्षा प्राइम्स को ही देता रहता है।
“10 नई प्राइम कंपनियाँ बनाना असंभव है”—उद्योग विशेषज्ञों का मानना।
प्रभाव:
A. अमेरिकी रक्षा रणनीति पर
यदि स्टार्टअप्स स्केल कर सके — अमेरिका तेज़ी से नए हथियार तैयार कर सकेगा, चीन की चुनौती से बेहतर निपट सकेगा।
यदि वे असफल रहे — अमेरिका पुरानी, धीमी रक्षा प्रणाली पर निर्भर रहेगा।
B. स्टार्टअप कंपनियों पर
JPMorgan जैसी कंपनियाँ $10 बिलियन का निवेश कर रही हैं।
नई साझेदारियों का दौर—
जैसे Shield AI + HII → स्वचालित जहाज निर्माण।
C. उद्योग संरचना में बदलाव
अब एक मिश्रित मॉडल विकसित हो रहा है—
स्टार्टअप्स = नवाचार
प्राइम्स = बड़े पैमाने का उत्पादन
दीर्घकालीन प्रभाव:
A. रक्षा उद्योग का परिवर्तन
यह मॉडल अमेरिकी रक्षा उद्योग को अधिक तेज़, स्वचालित और AI-आधारित बना सकता है।
B. सख्त हकीकत
ज़्यादातर स्टार्टअप्स बड़े रक्षा कार्यक्रमों से बहुत दूर हैं।
प्रोटोटाइप से बड़े उत्पादन तक पहुँचने के लिए भारी पूंजी और सरकारी समर्थन चाहिए।
C. वैश्विक प्रतिस्पर्धा
चीन, इज़राइल और तुर्की तेजी से defence-tech उत्पादन बढ़ा रहे हैं।
अमेरिका पीछे रह सकता है यदि उसके स्टार्टअप्स स्केल-अप नहीं कर पाए।
निष्कर्ष:
सिलिकॉन वैली समर्थित रक्षा कंपनियाँ तेजी से नवाचार ला रही हैं—ड्रोन, AI हथियार, स्वायत्त सिस्टम—और पेंटागन में अपनी जगह बना रही हैं।