द हिंदू: 27 मई 2025 को प्रकाशित:
समाचार में क्यों है?
अप्रैल 2025 में प्रकाशित Nature पत्रिका के एक शोध पत्र में वैज्ञानिकों ने ग्रेगर मेंडल द्वारा अध्ययन किए गए मटर के सभी सात गुणों के पूरा आनुवंशिक रहस्य उजागर कर दिया। यह 160 वर्ष पुरानी एक वैज्ञानिक गुत्थी को सुलझाता है जो अब तक अनसुलझी थी।
पृष्ठभूमि:
1856 से 1864 तक, ऑस्ट्रियाई मोंक ग्रेगर मेंडल ने मटर के पौधों पर प्रयोग किए और लक्षणों के वंशानुक्रम को समझने की कोशिश की।
उन्होंने अपने परिणाम 1865 में प्रस्तुत किए और 1866 में प्रकाशित किए, जिन्हें उस समय कोई मान्यता नहीं मिली।
मेंडल ने यह पाया कि कुछ लक्षण अन्य लक्षणों पर हावी होते हैं — जैसे 3:1 का अनुपात।
1900 में ह्यूगो डी व्रीस, कार्ल कोरेन्स, और एरिच वॉन टशेरमाक ने स्वतंत्र रूप से उनके कार्य को पुनः खोजा और यह आधुनिक आनुवंशिकी का आधार बना।
हालांकि मेंडल के सभी सात लक्षणों के ठीक आनुवंशिक कारण इतने वर्षों तक अस्पष्ट रहे।
मुख्य वैज्ञानिक खोज:
वैज्ञानिकों ने 697 मटर पौधों की किस्मों का डीएनए अनुक्रमण (sequencing) कर 60 टेराबेस से अधिक डेटा एकत्र किया।
प्रमुख उपलब्धियाँ:
सभी 7 मेंडेलियन लक्षणों का आनुवंशिक मानचित्रण।
पूर्व-ज्ञात लक्षणों में नई एलील विविधताएं (allelic variants) की खोज।
बचे हुए 3 लक्षणों की पहचान:
फली का रंग (Pod Colour): ChlG जीन के पास डीएनए हटने से।
फली का आकार (Pod Shape): MYB और CLE-peptide जीन में बदलाव से।
फूल की स्थिति (Flower Position): CIK-like-coreceptor kinase जीन और एक संशोधक (modifier) लुसस के कारण।
इसके अतिरिक्त, अध्ययन में 72 कृषि-प्रासंगिक लक्षणों की भी पहचान की गई जो बीज, फूल, पत्तियों, जड़ों आदि से जुड़े हैं।
मुख्य मुद्दे:
मेंडल के नियमों की पूर्ण पुष्टि।
यह दर्शाता है कि वंशानुक्रम सिर्फ सरल प्रभुत्व (dominance) नहीं है, बल्कि जटिल आनुवंशिक सहभागिता है।
जनसंख्या आनुवंशिकी से पता चला कि मटर की ज्ञात 4 प्रजातियाँ असल में 8 आनुवंशिक समूहों में विभाजित हैं।
प्रभाव / महत्व-
विज्ञान के लिए:
160 वर्ष पुरानी पहेली का समाधान।
जीन की अभिव्यक्ति और प्रभुत्व की गहरी समझ।
परंपरागत आनुवंशिकी और आधुनिक जीनोमिक्स का संगम।
कृषि के लिए:
बेहतर फसल सुधार, रोग प्रतिरोधक क्षमता और उत्पादन में वृद्धि के लिए नई राहें खुलीं।
उपयोगी लक्षणों की पहचान से जेनेटिक ब्रेडिंग को बढ़ावा मिलेगा।
शिक्षा के लिए:
मेंडल की आनुवंशिकी को आणविक साक्ष्यों के साथ जोड़ता है।
छात्रों को यह सिखाता है कि पुराने प्रश्न भी आधुनिक तकनीक से सुलझाए जा सकते हैं।
निष्कर्ष:
यह खोज केवल इतिहास की एक उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह दर्शाती है कि कैसे उन्नत वैज्ञानिक तकनीकें प्राचीन अवधारणाओं को सिद्ध कर सकती हैं। एक 19वीं सदी के मोंक के सरल सवालों से आज की आधुनिक जैवविज्ञान और कृषि को नई दिशा मिली है। मेंडल का "क्यों" पूछना आज भी विज्ञान की प्रेरणा बना हुआ है।